वॉशिंगटन : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिका के प्रतिष्ठान एनओएए (NOAA) के सह-नेतृत्व में एक बहुराष्ट्रीय परियोजना (multinational project) को संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था ने इसमें इस्तेमाल में लाई गई नवीन प्रौद्योगिकी के लिए अपना समर्थन दिया है. इस परियोजना का उद्देश्य उपग्रह तथा भूमि-आधारित अवलोकनों के आधार पर सटीक तटीय आंकड़े प्राप्त करना है, ताकि इनका इस्तेमाल वैज्ञानिकों के बीच विश्वास तथा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया जा सके.
राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) ने बुधवार को एक बयान में बताया कि इस परियोजना को 'पृथ्वी निगरानी उपग्रह-तटीय अवलोकन, अनुप्रयोग, सेवाएं एवं उपकरण (CEOS COAST) के लिए समिति' कहा जा है. इसकी प्रारंभिक परियोजनाएं 'ओशन डिकेड' पहल के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्दिष्ट 17 सतत विकास लक्ष्यों में से कई को पूरा करने के लिए पृथ्वी निगरानी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने में विशेष रूप से सक्षम है. इन परियोजनाओं के विषयों में महाद्वीपीय तटरेखाओं और छोटे द्वीप राष्ट्रों के बीच आपदा जोखिम में कमी और तटीय लचीलापन लाना शामिल हैं.
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उन्होंने कहा, इनके काम से समुद्र के भूमि को प्रभावित करने के अध्ययन के हमारे तरीके में सुधार आएगा, उदाहरण के लिए भीषण बाढ़, साथ ही भूमि उपयोग तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे प्रभावित करता है, इसका पता चलेगा, लेकिन यह केवल पानी की गुणवत्ता के मुद्दों, तटीय अपवाह तथा तलछट समेत मूल कारणों तक सीमित नहीं है.
बयान में कहा गया कि सीईओएस सीओएएसटी कृषि, निर्माण, और वाणिज्यिक और मछली पकड़ने जैसे उद्योगों के हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहा है. परियोजना को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय समुद्र विज्ञान आयोग (IOC) ने अपना समर्थन प्रदान किया है, जो संयुक्त राष्ट्र की महासागर दशक (ओशन डिकेड) योजना की प्रारंभिक कार्रवाई के रूप में 2021–2030 तक चलेगी.
(भाषा)