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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव : यहां जानें, क्या है मेल-इन वोटिंग

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव इस बार निश्चित रूप से एक वोट पर निर्भर होगा, क्योंकि अमेरिका ने कोरोना वायरस महामारी के पहले भी नस्लीय अन्याय और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी देखी है. इस ऐतिहासिक चुनाव की वैधता पर सवाल उठाया जा रहा है, क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेल-इन वोटिंग को लेकर चिंता जताई है.

राष्ट्रपति चुनाव
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Published : Oct 2, 2020, 7:34 PM IST

वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में मेल-इन वोटिंग के खिलाफ वोट की वैधता पर सवाल उठाया है. हालांकि, अमेरिका में लोग लगभग सौ वर्षों से मेल द्वारा मतदान कर रहे हैं, लेकिन यह कभी भी इतना बड़ा मुद्दा नहीं रहा, जितना कि 2020 के चुनाव में है. इसके दो कारण हैं.

पहला, कोरोना महामारी के कारण पहले से कहीं अधिक लोग मेल द्वारा मतदान कर रहे हैं. कोरोना के चलते मतदान केंद्रों पर जाकर वोट करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. इस खतरे के चलते चुनाव कर्मी भी मतदान केंद्रों में काम नहीं करना चाहते, इसलिए बहुत ही कम मतदान केंद्र बनाए गए हैं.

राज्य में मेल मतपत्रों के अनुरोधों में दस गुना वृद्धि हुई है, जो लोग आमतौर पर मेल मतदान नहीं करते थे अब वह भी मेल के जरिए वोट देना चाहते हैं. महामारी से पहले पांच राज्यों ने मेल-इन वोटिंग पर भरोसा कर वोट डलवाए और इसमें बहुत कम समस्याएं आई थीं.

यह मतदान करने का एक बहुत ही सुरक्षित और प्रभावी तरीका माना जाता है और इसमें धोखाधड़ी होने की संभावना भी कम हो जाती है.

पढ़ें- ट्रंप ने कहा- बाइडेन का खतरनाक एजेंडा उजागर किया

मेल वोटिंग एक बड़ा मुद्दा बन गया है, इसका दूसरा कारण हैं राष्ट्रपति ट्रंप, जो दावा कर रहे हैं कि व्यापक मेल मतदान बड़ी मात्रा में धोखाधड़ी का कारण होगा.

हालांकि, बहुत सारे रिपब्लिकन मेल द्वारा वोट देना चाहते हैं और उनका मानना है कि पार्टी मेल द्वारा वोटिंग जारी रखना चाहिए.

यह समझना महत्वपूर्ण है कि व्यापक मेल मतदान से एक पार्टी या दूसरी पार्टी को कोई बड़ा लाभ नहीं होता है.

वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में मेल-इन वोटिंग के खिलाफ वोट की वैधता पर सवाल उठाया है. हालांकि, अमेरिका में लोग लगभग सौ वर्षों से मेल द्वारा मतदान कर रहे हैं, लेकिन यह कभी भी इतना बड़ा मुद्दा नहीं रहा, जितना कि 2020 के चुनाव में है. इसके दो कारण हैं.

पहला, कोरोना महामारी के कारण पहले से कहीं अधिक लोग मेल द्वारा मतदान कर रहे हैं. कोरोना के चलते मतदान केंद्रों पर जाकर वोट करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. इस खतरे के चलते चुनाव कर्मी भी मतदान केंद्रों में काम नहीं करना चाहते, इसलिए बहुत ही कम मतदान केंद्र बनाए गए हैं.

राज्य में मेल मतपत्रों के अनुरोधों में दस गुना वृद्धि हुई है, जो लोग आमतौर पर मेल मतदान नहीं करते थे अब वह भी मेल के जरिए वोट देना चाहते हैं. महामारी से पहले पांच राज्यों ने मेल-इन वोटिंग पर भरोसा कर वोट डलवाए और इसमें बहुत कम समस्याएं आई थीं.

यह मतदान करने का एक बहुत ही सुरक्षित और प्रभावी तरीका माना जाता है और इसमें धोखाधड़ी होने की संभावना भी कम हो जाती है.

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मेल वोटिंग एक बड़ा मुद्दा बन गया है, इसका दूसरा कारण हैं राष्ट्रपति ट्रंप, जो दावा कर रहे हैं कि व्यापक मेल मतदान बड़ी मात्रा में धोखाधड़ी का कारण होगा.

हालांकि, बहुत सारे रिपब्लिकन मेल द्वारा वोट देना चाहते हैं और उनका मानना है कि पार्टी मेल द्वारा वोटिंग जारी रखना चाहिए.

यह समझना महत्वपूर्ण है कि व्यापक मेल मतदान से एक पार्टी या दूसरी पार्टी को कोई बड़ा लाभ नहीं होता है.

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