शिमलाः राजधानी शिमला के चौड़ा मैदान में इंडियन इंस्टीट्यूटऑफ एडवांस स्टडीज (आईआईएएस) जिसे ब्रिटिश समय में वायसरीगल भवन के नाम से जाना जाता रहा है. अब इसका नाम बदलकर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन लॉज हो सकता है. इसके लिए संस्थान की ओर से एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है.
अगर केंद्र सरकार से इसकी अनुमति मिलती है तो सालों बाद इस संस्थान का नाम बदलेगा और इसे एक नई पहचान मिल सकती है. संस्थान का कहना है कि उपनिवेशक काल में बने इस भवन का भारतीयकरण करने के उद्देश्य से संस्थान का नाम बदलने का यह प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को मंजूरी के लिए भेजा गया है.
संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर. परांजपे ने बताया कि साल 1951 में राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने इस भवन को जिसे राष्ट्रपति निवास के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, बदल कर शोध के एक उच्च संस्थान में परिवर्तित करने की सोच लाई और इस भवन को त्याग कर इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी बनाया.
प्रो. मकरंद परांजपे ने कहा कि यह डॉ. राधाकृष्ण का त्याग ही था कि जो स्थान उनके रहने के लिए बनाया गया था, उन्होंने उसे छोड़कर उस संस्थान को शोध के विश्वविख्यात केंद्र बनाने का फैसला लिया. इसलिए इस संस्थान का नाम उनके नाम पर रखने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है.
उन्होंने बताया कि ये पुराने भवनों का भारतीयकरण करने की ओर कदम है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इस ऐतिहासिक भवन और संस्थान की पुरानी पहचान को समाप्त कर दिया जाएगा. नए नाम के साथ पुराने नाम भी इस्तेमाल किए जाएंगे और उन्हें भी महत्व दिया जाएगा जिससे कि भवन और संस्थान का जो भव्य इतिहास है, उसे भी संजो कर रखा जा सके.
संस्थान के निदेशक ने कहा कि ना केवल संस्थान बल्कि इसके साथ जुड़े अलग-अलग जो विंग या भवन हैं, उनके नाम बदलने को लेकर भी विचार चल रहा है. इनके नाम स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद होने वाले सेनानियों के नाम पर रखे जाने पर विचार किया जा रहा हैं. इसमें भगत सिंह, राजगुरु, चन्द्र शेखर आजाद के नाम पर स्पोर्ट्स कॉम्पेक्स का नाम रखा जा सकता है.
प्रों परांजपे ने बताया कि उत्तर पूर्व के कई ऐसे सेनानी हैं जिन्हें लोग नहीं पहचानते हैं, उनके नाम पर भवनों का नामकरण करने पर विचार किया जा रहा है. इसके अलावा लाइब्रेरी का नाम राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी के नाम पर करने का प्रस्ताव भेजा गया है. उन्होंने बताया कि भारत की एकता और अखंडता को और अधिक सशक्त करने की दिशा की ओर यह कदम है.
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