सोलन: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार को शिमला से वर्चुअल माध्यम से डॉ. वाईएस परमार बागवानी (Nauni university solan foundation day) एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के 37वें स्थापना दिवस के अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि हिमाचल प्रदेश ने बागवानी क्षेत्र में आशातीत प्रगति की है और यह क्षेत्र कृषि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है. उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन में बागवानी क्षेत्र का योगदान लगभग 33 प्रतिशत है और केवल सेब का ही वार्षिक कारोबार पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक का है. उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी क्षेत्र रोजगार सृजन, पोषण सुरक्षा और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में निरन्तर अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने कहा कि डॉ. वाईएस परमार विश्वविद्यालय (Horticulture and Forestry University Nauni) जैसे उच्चतर शैक्षणिक संस्थान नवीनतम ज्ञान और तकनीक विकसित करने और कृषि समुदाय तक इनकी पहुंच बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं. उन्होंने प्रदेश में बागवानी विश्वविद्यालय की स्थापना में हिमाचल प्रदेश के संस्थापक एवं प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के अमूल्य योगदान को भी स्मरण किया. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बागवानी क्षेत्र ने बहुत महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान की है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी अटल नवाचार सूची में विश्वविद्यालय को ए-ग्रेड दिया गया है और भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा मान्यता प्राप्त कृषि विश्वविद्यालय की सूची में इसे 11वां स्थान प्राप्त हुआ है. उन्होंने कहा कि अपनी स्थापना से अब तक इस विश्वविद्यालय से 7,376 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं और वर्तमान में विश्वविद्यालय के विभिन्न डिग्री कार्यक्रमों के अन्तर्गत 2,627 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. प्रदेश सरकार ने जिला मंडी के थुनाग में बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय भी स्थापित किया है.
उन्होंने आग्रह किया कि विश्वविद्यालय प्रशिक्षित मानव संसाधन और नवीनतम तकनीक का सृजन कर इस तकनीक और ज्ञान को किसानों तक पहुंचाए ताकि वे अपनी आय व जीवन स्तर और बेहतर कर सकें. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ऐतिहासिक नई शिक्षा नीति-2020 के सफलतापूर्वक क्रियान्नवयन के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया है. विश्वविद्यालय द्वारा इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट भी लगभग तैयार है जिससे विद्यार्थी लाभान्वित होंगे और देश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल अपनी नैसर्गिक सुन्दरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में पयर्टन के साथ बागवानी क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के इको-टूरिज्म मॉडल को स्थापित करने के लिए बागवानी और पर्यटन क्षेत्र को मिलकर आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को भी खाद्य प्रसंस्करण की दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय अधिक से अधिक कृषकों को खाद्य प्रसंस्करण में प्रशिक्षित करे और नई तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करें ताकि उन्हें अपने उत्पाद के अच्छे मूल्य प्राप्त हो.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय में वर्तमान में विभिन्न वित्तीय संस्थानों की 80 से अधिक परियोजनाएं चल रही हैं और पिछले एक वर्ष के दौरान विश्वविद्यालय 7.45 करोड़ रुपये की 18 नई परियोजनाएं प्राप्त करने में सफल रहा है. प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालय की विभिन्न परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है. उन्होंने कहा कि विश्व बैंक तथा एशियन विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना एवं भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा 25 करोड़ रुपये की संस्थागत विकास योजना को भी प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान प्रदान किया गया है.
उन्होंने आशा व्यक्त की कि आज सम्मानित होने वाले प्रत्येक जिले के प्रगतिशील किसान अपना ज्ञान और अनुभव अन्य किसानों के साथ साझा करेंगे. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आठ करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी लैब का भी लोकार्पण किया.
ये भी पढ़ें- हिमाचल में सेकंड डोज वैक्सीनेशन पर स्वास्थ्य मंत्री सैजल बोले- जल्द पूरा होगा टारगेट