सोलन: कई सालों से लोग चीन के सामान को दिवाली पर बायकॉट करने की बात तो करते ही रहते हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा होता दिखता नहीं था, लेकिन इस बार सोलन शहर के बाजारों में चाइनीज लाइटों की सेल में कमी आई है. वहीं, हाथों से बने स्वदेशी दियों की मांग शहर के बाजारों में ज्यादा होती दिख रही है. सीधे शब्दों में कहें तो भारतीय दिये चाइनीज लाइटों पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं. सोलन शहर के बाजारों में ₹20 में 12 से 15 दिये आसानी से लोगों को मिल रहे हैं.
लोगों का मानना है कि दीपावली दीयों का त्यौहार है और हमारी संस्कृति में दियों को जलाकर दिवाली मनाई जाती है. वहीं, बाजारों में खरीदारी करने के लिए आए लोगों का मानना है कि दीपावली रोशनी का त्यौहार है. दीपावली अमावस्या की रात को होती है जिस कारण दिये जलाकर अंधकार को दूर किया जाता है.
लोगों का मानना है कि दियों को खरीदने से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है. लोगों का कहना है कि चाइनीज लाइटों को खरीद कर तो हम दूसरे देशों को मजबूत करते हैं क्यों न इस बार स्वदेशी दिये खरीदकर हम भारतीय अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दें, जिससे भारतीय कुम्हारों को भी लाभ मिले. उन्होंने अन्य लोगो से भी अपील कि है कि लोग विदेशी चीजों के इस्तेमाल करने के बजाए स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें.
वहीं, दिये बेचने वाले दुकानदारों के अनुसार ग्राहक हाथों से बने दियों की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं महंगाई के दौर में ₹20 में 12 से 15 दिन बिक रहे हैं. कुछ दुकानदारों ने बताया कि हालांकि लोग चाइनीज लाइट भी खरीद रहे हैं, लेकिन लोगों का ज्यादा रुझान दियों की तरफ देखने को मिल रहा है.
बहरहाल सोलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वह कल पढ़ लो कल का सपना सच होता दिखाई दे रहा है. हर बार चाइनीज लाइटों से लोगों के घर चमकते थे, लेकिन इस बार उम्मीद यही जताई जा रही है कि लोगों के घर मिट्टी से बने स्वदेशी दियों की खुशबू और उसकी रोशनी से जगमग होते हुए दिखाई देंगे. ऐसे में उम्मीद है कि व्यापारियों के साथ-साथ छोटे स्टाल लगाकर दिये बेचने वालों का परिवार भी इस साल बेहतर दिवाली मना पाएगा.
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