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लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल, नालागढ़ कांग्रेस में चल रही बगावत से थे परेशान - हिमाचल की सियासत

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में अभी भले ही कुछ वक्त है, लेकिन सूबे की सियासत में उथल-पुथल मची हुई है. चुनावी साल में प्रदेश में दल-बदल की राजनीति चरम पर पहुंच चुकी है. दल बदल की लिस्ट में नालागढ़ के कांग्रेस विधायक लखविंद्र सिंह राणा का नाम भी जुड़ गया है. नालागढ़ कांग्रेस में चल रही बगावत से परेशान होकर लखविंद्र राणा ने हाथ का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है. इस तरह से चुनाव से पहले सोलन जिले में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है.

lakhwinder rana joins bjp
लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल
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Published : Aug 17, 2022, 4:37 PM IST

Updated : Aug 17, 2022, 5:05 PM IST

सोलन: चुनावी साल में हिमाचल की सियासत में एक बार उठापठक का दौर शुरू हो चुका है. आज नालागढ़ के कांग्रेस विधायक लखविंद्र सिंह राणा (Nalagarh Congress MLA Lakhwinder Singh Rana) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भाजपा का दामन थाम लिया है. या यूं कहें कि लखविंद्र राणा अपने घर वापस (lakhwinder rana joins bjp ) आ गए हैं. लखविंद्र राणा पिछले कई दिनों से निर्वाचन क्षेत्र में अपने कार्यक्रमों को अपलोड करते समय अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कांग्रेस के चिन्ह का इस्तेमाल बंद कर दिया था. उनके कार्यक्रमों को उनकी व्यक्तिगत क्षमता में अपलोड किया जा रहा था और उन्हें पहले की तरह भाजपा के खिलाफ और इसका विरोध नहीं करते हुए भी चुप्पी साधे हुए देखा गया था.

कांग्रेस पार्टी के एक धड़े के रूप में पार्टी के एक गुट के रूप में उन्हें कमजोर करने की कोशिश करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से वे इन दिनों नाराज चल रहे थे और भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष हरदीप बावा (Indian National Trade Union Congress President) को प्रोत्साहित कर रहे थे, जिन्हें महासचिव भी बनाया गया था.

lakhwinder rana joins bjp
लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल.

हरदीप सिंह बावा, जिन्होंने राणा के खिलाफ पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था और उन्हें 2017 में छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन उन्हें फिर से शामिल किया गया और महासचिव के रूप में पदोन्नत किया गया. उन्होंने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया था और विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly monsoon session 2022) लड़ने के इच्छुक थे, जिसके लिए वे मौजूदा विधायक का विरोध करके कार्यकर्ताओं के बीच फूट पैदा कर रहे थे. इस तरह की पार्टी विरोधी गतिविधियों में खुले तौर पर शामिल होने के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व बावा के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई करने में विफल रहा.

लखविंद्र राणा ने राज्य प्रभारी राजीव शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह (Himachal Congress President Pratibha Singh) के साथ-साथ पार्टी की प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष अपनी शिकायतों को प्रसारित किया था. उन्होंने बावा की पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में वरिष्ठ नेताओं के सामने एक लिखित शिकायत भी की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. दो बार के विधायक जो 2011 में उपचुनाव में भाजपा द्वारा टिकट से वंचित किए जाने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए थे. उनकी जड़ें भाजपा में हैं, जहां वे जिलाध्यक्ष रहे और साथ ही दो बार मंडल अध्यक्ष भी रहे. अपने 32 साल के राजनीतिक जीवन के दौरान, वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता भी रहे.

● 13 जून, 1968 को ग्राम जोघों, तहसील नालागढ़ में लखविंद्र सिंह राणा का जन्म हुआ.

● 1996 में शिल्ली में प्रशिक्षित आईटीसी; एबीवीपी में 1996-97 तक सदस्य बने रहे.

● 1997-98 तक राज्य कार्यकारी भाजयुमो, और 1998-99 तक भाजपा मंडल नालागढ़ के अध्यक्ष बने रहे.

● 1999-2000, भाजपा जिला सोलन, 2000-03 तक नालागढ़ ब्लॉक के पंचायत समिति सदस्य बने रहे.

● 1990-95 तक जिला परिषद सोलन और इसके अलावा 1995-2000 तक एचपी सहकारी और ग्रामीण विकास बैंक निदेशक बने रहे.

● 1992-97 तक आरटीए सदस्य और 1998-2003, एचपी स्मॉल सेविंग बैंक के सदस्य बने रहे.

● 1998-2003 तक शिकायत निवारण समिति जिला सोलन की जिम्मेदारी मिली.

● 1998-03 और 2005 में राज्य शिकायत निवारण समिति की जिम्मेदारी मिली.

● 2005 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में बतौर प्रवक्ता शामिल हुए. इसके अलावा 2008 में जिला कांग्रेस कमेटी सोलन के सदस्य बने रहे. वहीं, 2008 से राज्य कांग्रेस कार्यकारी समितिके सदस्य नियुक्त किए गए.

● नवंबर, 2011 (उपचुनाव) कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते और विधानसभा क्षेत्र से विधायक के लिए चुने गए.

● 2017 में तेरहवीं विधानसभा ( दूसरा कार्यकाल) के लिए फिर से कांग्रेस की टिकट से विधयक बने.

ये भी पढ़ें: विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल कांग्रेस को बड़ा झटका, पवन काजल और लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल

सोलन: चुनावी साल में हिमाचल की सियासत में एक बार उठापठक का दौर शुरू हो चुका है. आज नालागढ़ के कांग्रेस विधायक लखविंद्र सिंह राणा (Nalagarh Congress MLA Lakhwinder Singh Rana) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भाजपा का दामन थाम लिया है. या यूं कहें कि लखविंद्र राणा अपने घर वापस (lakhwinder rana joins bjp ) आ गए हैं. लखविंद्र राणा पिछले कई दिनों से निर्वाचन क्षेत्र में अपने कार्यक्रमों को अपलोड करते समय अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कांग्रेस के चिन्ह का इस्तेमाल बंद कर दिया था. उनके कार्यक्रमों को उनकी व्यक्तिगत क्षमता में अपलोड किया जा रहा था और उन्हें पहले की तरह भाजपा के खिलाफ और इसका विरोध नहीं करते हुए भी चुप्पी साधे हुए देखा गया था.

कांग्रेस पार्टी के एक धड़े के रूप में पार्टी के एक गुट के रूप में उन्हें कमजोर करने की कोशिश करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से वे इन दिनों नाराज चल रहे थे और भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष हरदीप बावा (Indian National Trade Union Congress President) को प्रोत्साहित कर रहे थे, जिन्हें महासचिव भी बनाया गया था.

lakhwinder rana joins bjp
लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल.

हरदीप सिंह बावा, जिन्होंने राणा के खिलाफ पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था और उन्हें 2017 में छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन उन्हें फिर से शामिल किया गया और महासचिव के रूप में पदोन्नत किया गया. उन्होंने अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया था और विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly monsoon session 2022) लड़ने के इच्छुक थे, जिसके लिए वे मौजूदा विधायक का विरोध करके कार्यकर्ताओं के बीच फूट पैदा कर रहे थे. इस तरह की पार्टी विरोधी गतिविधियों में खुले तौर पर शामिल होने के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व बावा के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई करने में विफल रहा.

लखविंद्र राणा ने राज्य प्रभारी राजीव शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह (Himachal Congress President Pratibha Singh) के साथ-साथ पार्टी की प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष अपनी शिकायतों को प्रसारित किया था. उन्होंने बावा की पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में वरिष्ठ नेताओं के सामने एक लिखित शिकायत भी की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. दो बार के विधायक जो 2011 में उपचुनाव में भाजपा द्वारा टिकट से वंचित किए जाने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए थे. उनकी जड़ें भाजपा में हैं, जहां वे जिलाध्यक्ष रहे और साथ ही दो बार मंडल अध्यक्ष भी रहे. अपने 32 साल के राजनीतिक जीवन के दौरान, वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता भी रहे.

● 13 जून, 1968 को ग्राम जोघों, तहसील नालागढ़ में लखविंद्र सिंह राणा का जन्म हुआ.

● 1996 में शिल्ली में प्रशिक्षित आईटीसी; एबीवीपी में 1996-97 तक सदस्य बने रहे.

● 1997-98 तक राज्य कार्यकारी भाजयुमो, और 1998-99 तक भाजपा मंडल नालागढ़ के अध्यक्ष बने रहे.

● 1999-2000, भाजपा जिला सोलन, 2000-03 तक नालागढ़ ब्लॉक के पंचायत समिति सदस्य बने रहे.

● 1990-95 तक जिला परिषद सोलन और इसके अलावा 1995-2000 तक एचपी सहकारी और ग्रामीण विकास बैंक निदेशक बने रहे.

● 1992-97 तक आरटीए सदस्य और 1998-2003, एचपी स्मॉल सेविंग बैंक के सदस्य बने रहे.

● 1998-2003 तक शिकायत निवारण समिति जिला सोलन की जिम्मेदारी मिली.

● 1998-03 और 2005 में राज्य शिकायत निवारण समिति की जिम्मेदारी मिली.

● 2005 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में बतौर प्रवक्ता शामिल हुए. इसके अलावा 2008 में जिला कांग्रेस कमेटी सोलन के सदस्य बने रहे. वहीं, 2008 से राज्य कांग्रेस कार्यकारी समितिके सदस्य नियुक्त किए गए.

● नवंबर, 2011 (उपचुनाव) कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते और विधानसभा क्षेत्र से विधायक के लिए चुने गए.

● 2017 में तेरहवीं विधानसभा ( दूसरा कार्यकाल) के लिए फिर से कांग्रेस की टिकट से विधयक बने.

ये भी पढ़ें: विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल कांग्रेस को बड़ा झटका, पवन काजल और लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल

Last Updated : Aug 17, 2022, 5:05 PM IST

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