सोलन: सोलन खुंभ अनुसंधान केंद्र में (Solan Mushroom Research Center) शनिवार को मशरूम मेला (Mushroom fair in Solan) आयोजित किया गया. जिसमें पूर्व सांसद और हिमाचल अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर वीरेंद्र कश्यप बतौर मुख्यातिथि पहुंचे. इस दौरान एक बड़ी प्रदर्शनी का आयोजन हुआ और मशरूम संबंधी उत्पाद जैसे बीज, अचार, स्पान भी लोगों ने खरीदे. वहीं, मशरूम उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली मशीनें भी खरीदी गईं. इस मशरूम मेले में पूरे देश से 500 प्रतिभागी आए हुए हैं और 45 किस्मों की मशरूम की प्रदर्शनी लगाई गई है.
डीएमआर के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों तक आधुनिक तकनीक पहुंचाना है. आज देश में प्रतिवर्ष एक लाख नब्बे हजार टन व हिमाचल में 15 हजार टन मशरूम उगाया जाता है. डीएमआर के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि पिछले दो साल करोना संकट के कारण मशरूम मेला मेले का आयोजन नहीं हो पाया था. इस साल स्थिति सामान्य होने पर फिर से मेला लगा है. उन्होंने कहा कि इस मेले को लगाने का उद्देश्य मशरूम उत्पादकों को नई तकनीक के बारे में जानकारी देना है. उन्होंने कहा कि मशरूम मेले में मशरूम की विभिन्न 45 प्रजातियों की प्रदर्शनी लगाई गई है.
मेले में देशभर के (Mushroom fair in Solan) विभिन्न राज्यों से करीब 500 मशरूम उत्पादक भाग ले रहे हैं. बता दें कि डीएमआर चंबाघाट देश का एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां पर मशरूम उगाने की तकनीक सिखाई जाती है. देशभर के किसान हर साल यहां पर मशरूम उगाने की तकनीक सीखने आते हैं. 1983 में राष्ट्रीय मशरूम अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र सोलन में अस्तित्व में आया. इसे 26 दिसंबर, 2008 को डीएमआर में अपग्रेड किया गया था. 27 राज्यों में डीएमआर की विकसित तकनीकों के परीक्षण व अन्य कार्यों के लिए 23 समन्वयक व 9 सहकारी केंद्र हैं.
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