सोलन: अब हिमाचल प्रदेश में डीएनए के जरिये वन्य प्राणियों की सही पहचान हो सकेगी. इसके लिए जिला मुख्यालय स्थित भारतीय वन्य प्राणी सर्वेक्षण विभाग सोलन (Wildlife Survey of India Department Solan) में आण्विक पद्धति बुद्ध प्रयोगशाला का शुभारंभ हो चुका है. इसका शुभारंभ आज बुधवार को भारतीय वन्य प्राणी सर्वेक्षण विभाग कोलकाता की निदेशक डॉ. धृति बनर्जी द्वारा किया गया. इस मौके पर निदेशक डॉ. धृति बनर्जी ने कहा कि प्रयोगशाला के माध्यम से उन वन्य प्राणियों की पहचान करने में आसानी होगी जिनकी पहचान नहीं की जा सकती (Solan molecular lab ZSI) है.
डॉ. धृति बनर्जी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में कई ऐसे वन्य प्राणी है जिनकी सही पहचान करना मुश्किल होता है. इसकी एक वजह इनका एक जैसा दिखना भी है. उन्होंने बताया कि कई बार दुर्गम सहित दूसरे क्षेत्रों में मृत जानवर मिलते हैं. कुछ ही अवशेष शेष रहने पर इनकी पहचान नहीं हो पाती. लेकिन, अब डीएनए जांच से इनकी पहचान हो सकेगी. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश की पहली आण्विक पद्धति बद्ध प्रयोगशाला सोलन जिला मुख्यालय में स्थापित हो चुकी है. यह प्रयोगशाला भारतीय वन्य प्राणी सर्वेक्षण विभाग की ओर से स्थापित की गई है.
40 लाख रुपए से लगी आण्विक पद्धतिबद्ध प्रयोगशाला: वर्तमान में प्रदेश में ऐसी कोई भी प्रयोगशाला नहीं है, जहां पर जंगली जानवरों के डीएनए का पता लगाया जा (animals identification by DNA test) सके. सोलन में भारतीय वन्य प्राणी सर्वेक्षण विभाग का क्षेत्रीय कार्यालय है. यहां पर करीब 40 लाख रुपये से आण्विक पद्धति बद्ध प्रयोगशाला यानी मॉलिक्यूल सिस्टम लैब स्थापित की गई है.
सोलन में है वन्य प्राणियों का संग्रहालय: भारतीय वन्य प्राणी सर्वेक्षण विभाग सोलन में उत्तर भारत का पहला जीव-जंतुओं व वन्य प्राणियों का संग्रहालय है. यहां पर विशेष प्रकार के केमिकल की सहायता से करीब 300 किस्म के जीव-जंतुओं के शरीर को सहेज रखा है. इस संग्रहालय में कई ऐसे वन्य प्राणी हैं जो अब या तो विलुप्त हो चुके हैं या फिर विलुप्त होने की कगार पर हैं. विभाग अब इन वन्य प्राणियों के डीएनए की जांच भी करेगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह कौन सी प्रजाति के हैं.
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