सोलन: खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के आयोजन पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. इस बार लिटफेस्ट की राह आयोजकों के लिए आसान नहीं है. करीब 30 लाख रुपये के खर्च वाले इस आयोजन से हिमाचल सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं. पिछले कुछ सालों तक लिटफेस्ट को सरकार की ओर से करीब पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद मिलती रही है. लेकिन इस बार सरकार ने हामी नहीं भरी है. लिटफेस्ट के आयोजन को जहां धनराशि देने वाले कम हो रहे हैं, वहीं, विश्व भर से यहां पहुंचने वाले लोगों में इजाफा हो रहा है.
साल 2012 में जब लिटफेस्ट का आगाज हुआ था तो कसौली में करीब 200 लोग ही पहुंच पाये थे. लेकिन पिछले साल एक हजार से ज्यादा लोग लिटफेस्ट में पहुंच रहे हैं. मेहमानों के रहने, खाने समेत अन्य व्यवस्थाएं आयोजन समिति करती है. कसौली में इतनी तादाद में देश और विदेश से पहुंच रहे लोगों के आने से हिमाचल के पर्यटन को भी पंख लगे. जिसकी वजह से प्रदेश सरकार लिटफेस्ट के आयोजन पर तय राशि खर्च करती रही है.
इसके अलावा देश भर में खुशवंत सिंह को चाहने वाले आयोजन के लिए कुछ न कुछ योगदान भी करते रहे है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है. जिससे भविष्य में लिटफेस्ट के आयोजन को जारी रखने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं.
खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने हिमाचल सरकार से इस बार किसी भी तरह की मदद नहीं मिलने पर निराश हैं, उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को लिटफेस्ट के लिए आर्थिक मदद के लिए उन्होंने पत्र लिखा था, जैसा कि वो पहले से करते आए हैं. हर साल सरकार की ओर से आर्थिक मदद मिलती थी लेकिन इस बार सरकार ने कोई मदद नहीं की.
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