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खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के लिए हिमाचल सरकार से नहीं मिली मदद, आयोजकों में छाई मायूसी - हिमाचल प्रदेश में खुशवंत सिंह लिटफेस्ट

सोलन के कसौली में आयोजित होने वाले खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के लिए हिमाचल सरकार हर साल आर्थिक मदद करती थी, लेकिन इस बार सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. आर्थिक मदद नहीं मिलने से खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने नाराजगी जताई है.

Himachal government did not get help for Khushwant Singh LitFest
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Published : Oct 11, 2019, 11:44 PM IST

सोलन: खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के आयोजन पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. इस बार लिटफेस्ट की राह आयोजकों के लिए आसान नहीं है. करीब 30 लाख रुपये के खर्च वाले इस आयोजन से हिमाचल सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं. पिछले कुछ सालों तक लिटफेस्ट को सरकार की ओर से करीब पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद मिलती रही है. लेकिन इस बार सरकार ने हामी नहीं भरी है. लिटफेस्ट के आयोजन को जहां धनराशि देने वाले कम हो रहे हैं, वहीं, विश्व भर से यहां पहुंचने वाले लोगों में इजाफा हो रहा है.

साल 2012 में जब लिटफेस्ट का आगाज हुआ था तो कसौली में करीब 200 लोग ही पहुंच पाये थे. लेकिन पिछले साल एक हजार से ज्यादा लोग लिटफेस्ट में पहुंच रहे हैं. मेहमानों के रहने, खाने समेत अन्य व्यवस्थाएं आयोजन समिति करती है. कसौली में इतनी तादाद में देश और विदेश से पहुंच रहे लोगों के आने से हिमाचल के पर्यटन को भी पंख लगे. जिसकी वजह से प्रदेश सरकार लिटफेस्ट के आयोजन पर तय राशि खर्च करती रही है.

वीडियो.

इसके अलावा देश भर में खुशवंत सिंह को चाहने वाले आयोजन के लिए कुछ न कुछ योगदान भी करते रहे है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है. जिससे भविष्य में लिटफेस्ट के आयोजन को जारी रखने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं.

खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने हिमाचल सरकार से इस बार किसी भी तरह की मदद नहीं मिलने पर निराश हैं, उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को लिटफेस्ट के लिए आर्थिक मदद के लिए उन्होंने पत्र लिखा था, जैसा कि वो पहले से करते आए हैं. हर साल सरकार की ओर से आर्थिक मदद मिलती थी लेकिन इस बार सरकार ने कोई मदद नहीं की.

ये भी पढ़ें: सोलन जिले में नहीं होगा इस बार जनमंच, कसौली विधानसभा क्षेत्र में होना था आयोजित

सोलन: खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के आयोजन पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. इस बार लिटफेस्ट की राह आयोजकों के लिए आसान नहीं है. करीब 30 लाख रुपये के खर्च वाले इस आयोजन से हिमाचल सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं. पिछले कुछ सालों तक लिटफेस्ट को सरकार की ओर से करीब पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद मिलती रही है. लेकिन इस बार सरकार ने हामी नहीं भरी है. लिटफेस्ट के आयोजन को जहां धनराशि देने वाले कम हो रहे हैं, वहीं, विश्व भर से यहां पहुंचने वाले लोगों में इजाफा हो रहा है.

साल 2012 में जब लिटफेस्ट का आगाज हुआ था तो कसौली में करीब 200 लोग ही पहुंच पाये थे. लेकिन पिछले साल एक हजार से ज्यादा लोग लिटफेस्ट में पहुंच रहे हैं. मेहमानों के रहने, खाने समेत अन्य व्यवस्थाएं आयोजन समिति करती है. कसौली में इतनी तादाद में देश और विदेश से पहुंच रहे लोगों के आने से हिमाचल के पर्यटन को भी पंख लगे. जिसकी वजह से प्रदेश सरकार लिटफेस्ट के आयोजन पर तय राशि खर्च करती रही है.

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इसके अलावा देश भर में खुशवंत सिंह को चाहने वाले आयोजन के लिए कुछ न कुछ योगदान भी करते रहे है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है. जिससे भविष्य में लिटफेस्ट के आयोजन को जारी रखने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं.

खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने हिमाचल सरकार से इस बार किसी भी तरह की मदद नहीं मिलने पर निराश हैं, उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को लिटफेस्ट के लिए आर्थिक मदद के लिए उन्होंने पत्र लिखा था, जैसा कि वो पहले से करते आए हैं. हर साल सरकार की ओर से आर्थिक मदद मिलती थी लेकिन इस बार सरकार ने कोई मदद नहीं की.

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Intro:कसौली में हो रहे खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में प्रदेश सरकार ने खींचे हाथ
:-हर साल मिलती थी 5 लाख की आर्थिक मदद
:- आर्थिक मदद ना मिलने से खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने जताई नाराजगी


खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के आयोजन पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है। इस बार लिटफेस्ट की राह आयोजकों के लिए आसान नहीं है। करीब 30 लाख रुपये के खर्च वाले इस आयोजन से हिमाचल सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं। पिछले कुछ सालों तक लिटफेस्ट को सरकार की ओर से करीब पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद मिलती रही है।लेकिन इस बार सरकार ने हामी नहीं भरी है। लिटफेस्ट के आयोजन को जहां धनराशि देने वाले कम हो रहे हैं, वहीं, विश्व भर से यहां पहुंचने वाले लोगों में इजाफा हो रहा है।


Body:वहीं खुशवंत सिंह के बेटे राहुल सिंह ने हिमाचल सरकार से इस बार किसी भी तरह की मदद ना मिलने पर निराशा जताई है,उन्होंने बात करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री को लिटफेस्ट के लिए आर्थिक मदद के लिए उन्होंने पत्र लिखा था,जैसा कि वो पहले से करते आए है,और वहीं उन्हें 5 लाख रुपये की मदद भी हर साल सरकार से मिलती थी लेकिन इस बार सरकार ने अपने हाथ मदद करने से पीछे खींच लिए है।Conclusion:
वर्ष 2012 में जब लिटफेस्ट शुरू हुआ था तो कसौली में करीब 200 लोग ही पहुंच पाते थे। लेकिन पिछले साल एक हजार से ज्यादा लोग लिटफेस्ट के दौरान कसौली पहुंचे। मेहमानों के रहने, खाने समेत अन्य व्यवस्थाएं आयोजन समिति की तरफ की गई। कसौली में इतनी तादाद में देश भर के लोगों के आने से हिमाचल के पर्यटन को भी पंख लगे। जिसकी वजह से प्रदेश सरकार लिटफेस्ट के आयोजन पर तय राशि खर्च करती रही।

इसके अलावा देश भर में खुशवंत सिंह को चाहने वाले आयोजन के लिए कुछ न कुछ योगदान भी करते रहे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है। जिससे भविष्य में लिटफेस्ट के आयोजन को जारी रखने पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
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