सोलन: नाबार्ड के महाप्रबंधक डॉ. बी. आर. प्रेमी ने सोलन जिले का दौरा किया. इस अवसर पर उनके द्वारा उपायुक्त व अतिरिक्त उपायुक्त सोलन, खुम्ब अनुसंधान निदेशालय सोलन कृषि विज्ञान केंद्र कंडाघाट, प्रबंध निदेशक जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक व बेकरी प्रशिक्षण कार्यक्रम का दौरा किया गया.
बता दें कि सोलन को ऐतिहासिक तौर पर मशरूम सिटी ऑफ इंडिया (Mushroom City Of India) के नाम से भी जाना जाता है. वर्तमान समय में मशरूम उत्पादकों द्वारा मशरूम उत्पादन का काम असंगठित तौर पर किया जाता है. इस कारण किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता है व साथ ही स्पान व कम्पोस्ट भी महंगे दामों पर मिलती है. सोलन जिले में अनुमानत: लगभग 3000 MT से अधिक मशरूम उत्पादन होता है, जिसमें से छोटे किसानों की संख्या अधिक है.
समस्याओं के चलते इन दिनों छोटे मशरूम उत्पादक मशरूम उत्पादन से मुंह मोड़ रहे हैं. इस समस्या को रेखांकित करते हुए नाबार्ड हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय (NABARD Himachal Pradesh Regional Office) द्वारा प्रदेश का पहला मशरूम उत्पादकों का संगठन बनाने का परियोजना प्रस्ताव खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, चंबाघाट, सोलन को स्वीकृत किया गया है.
महाप्रबंधक नाबार्ड, हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय, डॉ. बी. आर. प्रेमी दारा खुम्ब अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. वी पी शर्मा को परियोजना स्वीकृति पत्र सौंपा गया. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के अंतर्गत निदेशालय द्वारा आगामी 3 वर्षों में न केवल किसानों को संगठित करने की दिशा में काम किया जाएगा, बल्कि उनके इस संगठन का औपचारिक रूप से किसान उत्पादक संगठन के तौर पर रजिस्ट्रेशन भी करवाया जाएगा.
संगठित होने से न केवल किसान अपने उत्पाद के सही मूल्य के लिए मोल भाव कर सकेंगे, बल्कि स्पान व कम्पोस्ट भी कम दामों पर अपने सदस्यों को उपलब्ध करवा सकेंगे एवं प्रसंस्करण की दिशा में भी कार्य कर सकेंगे. इससे अन्य छोटे किसानों को भी मशरूम उत्पादन को अपनाने की प्रेरणा मिलेगी. 15 मार्च को कर्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे महाप्रबंधक नाबार्ड ने इस अवसर पर खुम्ब अनुसंधान निदेशालय द्वारा चलाये जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद 60 प्रशिक्षुओं को भी संबोधित किया. साथ ही उन्हें कृषक उत्पादक संगठन की अवधारणा से अवगत करवाया और उनकी शंकाओं का भी समाधान किया गया. डॉ. वी. पी. शर्मा, निदेशक, खुम्ब अनुसंधान निदेशालय द्वारा इस अवसर पर किसानों को मशरूम उत्पादन के लिए प्रेरित किया गया.
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