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DMR सोलन का एक नया शोध, याददाश्त बढ़ाने के लिए इजाद की कोरल मशरूम

दिमाग की नसें खोलने या याददाश्त बढ़ाने के लिए दवाइयों जरूरत नहीं है, क्योंकि खुम्भ अनुसंधान केंद्र सोलन ने कोरल मशरूम नामक नई किस्म पैदा की है. ये किस्म यूरोपियन कंट्रीज में उगाई जाती थी, लगभग 3 सालों की मेहनत के बाद मशरूम की ये किस्म तैयार हुई है.

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Published : Mar 7, 2020, 3:50 PM IST

DMR Solan created a new variety of mushroom
कोरल मशरूम

सोलन: देश का इकलौता खुम्भ अनुसंधान केंद्र सोलन ने दिमाग की नसें खोलने और याददाश्त बढ़ाने के लिए मशरूम की कोरल नामक नई किस्म पैदा की है. मशरूम वैज्ञानिकों की ये मेहनत तीन साल बाद रंग लगाई है.

बता दें कि कोरल नामक नई किस्म यूरोपियन कंट्रीज में उगाई जाती थी, लगभग 3 सालों की मेहनत के बाद मशरूम की ये किस्म तैयार हुई है. दिमाग की नसें खोलने या याददाश्त बढ़ाने के लिए दवाइयों जरूरत नहीं है, क्योंकि ये किस्म औषधी के रुप में काम करेंगी.

वीडियो

मशरूम वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि हिरेशियम मशरूम की इस प्रजाति को कोरल मशरूम के नाम से भी जाना जाता है, इसको बनाने में तीन साल का समय लगा है. उन्होंने बताया कि ये किस्म यूरोपियन कंट्री में पाई जाती है, जिसमें हीरेशियम तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो याददाश्त बढ़ाने में सहायता करते हैं.

DMR Solan created a new variety of mushroom
डीएमआर सोलन के वैज्ञानिक

सतीश शर्मा ने बताया कि यूरोपीयन कंट्री में कोरल मशरूम की किस्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था, लेकिन भारत में सबसे पहले इसे डीएमआर सोलन में इजात किया गया है.

मशरूम
कोरल

किसान आसानी से कर सकते कोरल मशरुम की खेती.

सतीश शर्मा ने बताया कि इसे 18 से 20 डिग्री तापमान में रखा जाता है थोड़ी सी ग्रोथ के बाद इसे 30 से 25 डिग्री तापमान में रखा जाता है. ये मशरूम करीब 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाती है.

DMR Solan created a new variety of mushroom
कोरल मशरूम

औषधीय गुणों से भरपूर है कोरम मशरूम.

हीरेशियम प्रजाति की मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है, क्योंकि इसमें बिटागम , गलॉकन , साइकेन,और हरेशिमॉन तत्व पाया जाता है, जो दिमाग की नसों के लिए फायदेमंद है.

6 घंटे बिजली की होती है जरूरत.

डॉ. सतीश ने बताया कि इस मशरूम को एक बंद कमरे में तैयार किया जाता है और इसके लिए टेंपरेचर के साथ-साथ 5 से 6 घण्टों तक बिजली की जरूरत होती है.

सोलन: देश का इकलौता खुम्भ अनुसंधान केंद्र सोलन ने दिमाग की नसें खोलने और याददाश्त बढ़ाने के लिए मशरूम की कोरल नामक नई किस्म पैदा की है. मशरूम वैज्ञानिकों की ये मेहनत तीन साल बाद रंग लगाई है.

बता दें कि कोरल नामक नई किस्म यूरोपियन कंट्रीज में उगाई जाती थी, लगभग 3 सालों की मेहनत के बाद मशरूम की ये किस्म तैयार हुई है. दिमाग की नसें खोलने या याददाश्त बढ़ाने के लिए दवाइयों जरूरत नहीं है, क्योंकि ये किस्म औषधी के रुप में काम करेंगी.

वीडियो

मशरूम वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि हिरेशियम मशरूम की इस प्रजाति को कोरल मशरूम के नाम से भी जाना जाता है, इसको बनाने में तीन साल का समय लगा है. उन्होंने बताया कि ये किस्म यूरोपियन कंट्री में पाई जाती है, जिसमें हीरेशियम तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो याददाश्त बढ़ाने में सहायता करते हैं.

DMR Solan created a new variety of mushroom
डीएमआर सोलन के वैज्ञानिक

सतीश शर्मा ने बताया कि यूरोपीयन कंट्री में कोरल मशरूम की किस्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था, लेकिन भारत में सबसे पहले इसे डीएमआर सोलन में इजात किया गया है.

मशरूम
कोरल

किसान आसानी से कर सकते कोरल मशरुम की खेती.

सतीश शर्मा ने बताया कि इसे 18 से 20 डिग्री तापमान में रखा जाता है थोड़ी सी ग्रोथ के बाद इसे 30 से 25 डिग्री तापमान में रखा जाता है. ये मशरूम करीब 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाती है.

DMR Solan created a new variety of mushroom
कोरल मशरूम

औषधीय गुणों से भरपूर है कोरम मशरूम.

हीरेशियम प्रजाति की मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है, क्योंकि इसमें बिटागम , गलॉकन , साइकेन,और हरेशिमॉन तत्व पाया जाता है, जो दिमाग की नसों के लिए फायदेमंद है.

6 घंटे बिजली की होती है जरूरत.

डॉ. सतीश ने बताया कि इस मशरूम को एक बंद कमरे में तैयार किया जाता है और इसके लिए टेंपरेचर के साथ-साथ 5 से 6 घण्टों तक बिजली की जरूरत होती है.

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