सोलन: हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन में इन दिनों कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. जिले में 1200 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. जिले में कोरोना के मामले बढ़ने के साथ स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है.
क्षेत्रीय अस्पताल में उपचार को आई एक गर्भवती महिला के कोविड टेस्ट में संक्रमित होने के बावजूद उसे निगेटिव बताकर डिस्चार्ज कर दिया गया. अब इस महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में कोरोना संक्रमित महिला स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के बारे में बता रही है.
वीडियो में महिला बता रही है कि वह तीन दिन से क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में एडमिट थी, महिला ने बताया कि वह गर्भवती है और अस्पताल के गायनी वार्ड में एडमिट थी. इस बीच उसके सैंपल कोरोना जांच के लिए गए जिसमें वह निगेटिव पाई गई और उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया.
उसके बाद महिला सोलन बाजार में घूमी और ढाबे पर खाना खाया. वहीं, देर शाम महिला को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से फोन आया कि वह पॉजिटिव है. महिला ने कहा कि जब उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव थी और निगेटिव बताई गई इसमें किसकी गलती है. वह इस दौरान कई लोगों से मिली है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है.
खाने में मिला कीड़ा तो फिर बना डाला वीडियो
वहीं, महिला को जिस कोविड केयर सेंटर में आइसोलेट किया गया है वहां की भी दयनीय स्थिति को दिखाते हुए महिला ने एक और वीडियो सोशल मीडिया पर डाला है. जिसमें वह कोविड सेंटर की स्थिति के बारे में बता रही है. सेंटर में उसे दिए गए खाने में कीड़ा मिला, जिसके बाद उसने उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर अपलोड किया है.
क्या कहते हैं डीसी सोलन ?
मामले को लेकर जब उपायुक्त सोलन केसी चमन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि एक वीडियो उनके ध्यान में आया है. जिस किसी की भी चूक इस मामले में हुई है उसपर स्वास्थ्य विभाग को कड़ी कार्रवाई करने के दिशा निर्देश दिए गए हैं.
उन्होंने कहा कि महिला किस-किस से संपर्क में थी इसके लिए भी स्वास्थ्य विभाग को उचित दिशा निर्देश दिए गए हैं, जिस किसी ने भी चूक की है उसेक खिलाफ कड़ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
क्या कहना है स्वास्थ्य विभाग का ?
जब इस बारे में सीएमओ सोलन डॉ. राजन उप्पल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले के बारे में उन्हें पता लगा है, लेकिन यह जिम्मेवारी एमएस की थी. उन्होंने एमएस पर सारी बात टालते हुए कहा कि वह इस बारे में बता पाएंगे क्या कहां चूक हुई है.
सवाल यह उठता है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो गई, क्योंकि जब गर्भवती महिला तीन दिन से अस्पताल में उपचाराधीन थी तो उसे घर भेजने की जरूरत क्या थी? उसके संपर्क में कितने लोग आए हैं यह स्वास्थ्य विभाग पता ना लगा पाया तो इस शहर के लिए चिंता का विषय बन सकता है.
बहरहाल, जिस तरह से महिला ने आइसोलेशन सेंटर का भी वीडियो वायरल किया है उसे देखकर तो यही लगता है कि प्रदेश की जयराम सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय सिर्फ बातों में ही कार्य कर रहा है. वीडियो देखकर पोल खुल रही है किस तरह से कोविड-19 पीड़ितों को वहां पर खाना दिया जा रहा है और किस तरह से उनकी देखभाल की जा रही है.