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भारतीय मजदूर संघ ने सोलन में श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में किया प्रदर्शन - Bharatiya Mazdoor Sangh protest

भारतीय मजदूर संघ ने जिला सोलन में बुधवार को श्रम कानूनों में किए गए बदलाव को लेकर प्रदर्शन किया. साथ ही मजदूर संघ ने श्रम अधिकारी के माध्यम से केंंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा है जिसमें श्रमिको को प्रभावित करने वाले श्रम कानूनों को रद्द करने की मांग की है.

Bharatiya Mazdoor Sangh
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Published : Oct 28, 2020, 10:43 PM IST

सोलनः भारतीय मजदूर संघ की प्रदेश इकाई ने केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए फेरबदल का विरोध किया है. मजदूर संघ ने बुधवार को इसके विरोध में प्रदर्शन किया और श्रम अधिकारी के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा है.

भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष मेला राम चंदेल ने कहा कि नए कानूनों के तहत अब कामगारों की सौ से कम संख्या वाले कारखानों में छंटनी व बंद करने के लिए सरकार की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस फैसले से फैक्टरी संचालकों को मनमानी बढ़ जाएगी और कामगारों को शोषण होगा. यही नहीं कारखाने में स्टेडिंग आर्डर भी निष्प्रभावी हो गए हैं. कंपनियों में पहले हड़ताल की सूचना आवश्यक सेवाओ में दी जाती थी, लेकिन अब सभी में अनिवार्य हो गई है.

उन्होंने कहा कि नए नियम के तहत अब कारखानों में 51 श्रमिकों की सदस्यता वाली यूनियन ही नेगोशिनयन का अधिकार रखेगी. मजदूर संघ ने इन सभी कानूनों का विरोध किया है और आशा वर्कर, आगंनबाड़ी कार्यकर्ता, मिड डे मिल, सिलाई अध्यापिकाओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करते उन्हें 18 हजार रुपये मानदेय की मांग रखी है.

मजदूर संघ ने श्रम अधिकारी के माध्यम से केंंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा है जिसमें श्रमिको को प्रभावित करने वाले श्रम कानूनों को रद्द करने की मांग की है.

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सोलनः भारतीय मजदूर संघ की प्रदेश इकाई ने केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए फेरबदल का विरोध किया है. मजदूर संघ ने बुधवार को इसके विरोध में प्रदर्शन किया और श्रम अधिकारी के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा है.

भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष मेला राम चंदेल ने कहा कि नए कानूनों के तहत अब कामगारों की सौ से कम संख्या वाले कारखानों में छंटनी व बंद करने के लिए सरकार की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस फैसले से फैक्टरी संचालकों को मनमानी बढ़ जाएगी और कामगारों को शोषण होगा. यही नहीं कारखाने में स्टेडिंग आर्डर भी निष्प्रभावी हो गए हैं. कंपनियों में पहले हड़ताल की सूचना आवश्यक सेवाओ में दी जाती थी, लेकिन अब सभी में अनिवार्य हो गई है.

उन्होंने कहा कि नए नियम के तहत अब कारखानों में 51 श्रमिकों की सदस्यता वाली यूनियन ही नेगोशिनयन का अधिकार रखेगी. मजदूर संघ ने इन सभी कानूनों का विरोध किया है और आशा वर्कर, आगंनबाड़ी कार्यकर्ता, मिड डे मिल, सिलाई अध्यापिकाओं को सरकारी कर्मचारी घोषित करते उन्हें 18 हजार रुपये मानदेय की मांग रखी है.

मजदूर संघ ने श्रम अधिकारी के माध्यम से केंंद्र सरकार को ज्ञापन भेजा है जिसमें श्रमिको को प्रभावित करने वाले श्रम कानूनों को रद्द करने की मांग की है.

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