चौपालः प्रदेश में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इंसान तो इंसान जानवरों के लिए भी बर्फ में लिपटी ये ठंड किसी थर्ड डिग्री के टॉर्चर से कम नहीं है. ऊपरी शिमला के नेरवा इलाके के कुछ युवा समाजसेवक इन दिनों गौसेवा में जुटे हैं. इस प्रचंड ठंड में ये युवा आवारा जानवरों का सहारा बनकर सामने आए हैं.
इनके गौसदन में गायों के लिए चारे का उचित प्रबंध है. बकायदा पंजाब के पटियाला से गायों के लिए भूसा और हरा चारा मंगवाया जाता है. गौसदन की सफाई और गौवंश का ध्यान रखने के लिए 2 लोगों को नौकरी भी दी गई है.
150 से ज्यादा बेसहारा पशुओं को आसरा
करीब 50 से 60 गोवंश के लिए बनाए गए इस गौसदन में अब 150 से ज्यादा बेसहारा पशुओं को आसरा और पर्याप्त चारा मिल रहा है. बर्फ और माईनस डिग्री के तापमान के बीच मौत का इंतजार करते इन सैकड़ों बेसहारा पशुओं के लिए नेरवा के युवा मसीहा बनकर सामने आए है.
सरकार से नहीं मिली कोई मदद
इसके अलावा बीमार और वृद्ध गोवंश की सेवा के लिए अलग से कुछ व्यवस्थाएं की गई है. समाजसेवकों का कहना है कि सरकार और प्रशासन की तरफ से उन्हें कुछ सहयोग और मदद मिलती तो वह इस काम को ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकते हैं.
टैग हटाकर लोग सड़कों पर छोड़ रहे पशु
वहीं, उनका कहना है कि सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर पशु पालन विभाग की ओर से गाय के कानों पर टैग लगवाए गए थे, लेकिन कुछ लोग टैग हटाकर उन्हें सड़कों पर छोड़ रहे हैं. इसके अलावा समाजसेवकों का कहना कि सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से उनके पास अभी तक कोई भी मदद के लिए नहीं आया है.
दवाइयों की कमी
युवा समाजसेवियों का कहना है कि सरकार के पशु चिकित्सालय में गोवंश के लिए वैक्सीन और दवाइयां प्राप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही हैं. जिसकी वजह से कई मवेशियों को ईलाज के आभाव में अपनी जान गंवानी पड़ रही है.
सरकार बड़े-बड़े दावे
हिमाचल सरकार गौ सेवा के बड़े-बड़े दावे करती है. पहाड़ी गायों को गौरी नाम देने से लेकर हर जिले में गौ सदन खोलने और शराब की बोतल पर गाय के नाम पर टैक्स लगाने तक. सरकार ने गौवंश के हित में कदम तो कई उठाए हैं, लेकिन आवारा पशुओं की तादाद में कमी नहीं आ रही. ऐसे में सरकार को रिट्टु, संजीत और विवेद जैसे युवाओं की मदद के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए जो कहीं ना कहीं सरकार के गौसेवा मिशन को साकार करने में जुटे हैं.