शिमलाः ट्रैक पर चलने वाली गाड़ियों को दिशा दिखाने का काम करते हुए पॉइंटमैन को पटरियों पर तैनात देखा होगा, लेकिन विश्व धरोहर कालका शिमला ट्रैक पर चलने वाली गाड़ियां पॉइंटमैन नहीं बल्कि पॉइंटवूमेन तनुजा के इशारों की मोहताज है. शिमला कालका ट्रैक के समरहिल रेलवे स्टेशन पर तनुजा पॉइंटमैन के पद पर तैनात है. इस ट्रैक पर पॉइंटमैन के पद पर तैनात होने वाली तनुजा पहली महिला हैं.
हालांकि, देश में बहुत कम महिलाएं ट्रेनों को दिशा दिखाने और ट्रैक बदलने का काम कर रही है. शिमला कालका ट्रैक की बात करे तो यहां पर अभी भी ट्रैक बदलने का काम मेनुअल ही किया जाता है. इन ट्रैक को बदलने के लिए लिवर को खींचने में काफी जोर भी लगता है. जिन्हें अमूमन पुरुष ही बदलने का काम करते हैं, लेकिन अब इस काम को महिलाएं भी करने लगी हैं.
रेलवे में पॉइंटमैन के पद पर भर्ती हुई पहली महिला
हरियाणा के रोहतक की रहने वाली तनुजा डेढ़ साल पहले रेलवे में पॉइंटमैन के पद पर भर्ती हुई हैं. उसके बाद उनकी पहली पोस्टिंग शिमला के समरहिल रेलवे पर हुई. शुरू में तो काम करने में तनुजा को काफी दिक्कत हुई, लेकिन बाद में तनुजा इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं.
हिम्मत दिखाकर सीखा काम
तनुजा का कहना है कि काम देख कर एक बार परिवार वाले डर गए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाई और दो दिन में काम सिख लिया. अब हर रोज 6 गाड़ियों का रूट बनाने के साथ ही सिग्नल डाउन करने के साथ गाड़ियों को झंडी दिखाने का काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस काम में मेहनत काफी ज्यादा लगती है. रूट बदलने के लिए काफी मेहनत लगती है. शुरू-शुरू में काफी दिक्कत हुई, लेकिन अब आसानी से इस काम को अंजाम दे रही हैं.
इरादे पक्के हो तो कोई काम मुश्किल नहीं
तनुजा का कहना है कि इसमें काफी मेहनत लगती है, लेकिन इरादे पक्के हो तो कोई काम मुश्किल नहीं होता है. उन्होंने कहा कि लड़कियों को भी लड़कों की तर्ज आजादी देनी चाहिए तभी वो कुछ कर सकती हैं.
तनुजा पहली पॉइंटमैन के पद पर तैनात
वहीं, समरहिल स्टेशन मास्टर संजय घेरा का कहना है कि शिमला कालका ट्रैक पर तनुजा पहली पॉइंटमैन के पद पर तैनात हुई है और ये अपना काम बखूबी कर रही है. लिवर खिंचने का काम बहुत मुश्किल होता है और इस पद पर अधिकतर जगहों पर पुरुष ही तैनात है.
लिवर खिंच कर ट्रैक बदलने में काफी मुश्किल
संजय घेरा ने कहा कि यहां पर इस पद पर तनुजा सेवा दे रही है और हर रोज 6 बार लिवर खिंच कर ट्रैक बदलना पड़ता है और इसमें काफी मेहनत लगती है. उन्होंने कहा कि शुरू में सबको लगता था कि तनुजा ये काम नहीं कर पाएगी, लेकिन उन्होंने सभी को गलत साबित कर दिया और आज डेढ़ साल से इस काम को बखूबी कर रही हैं.
बेटियों को आगे बढ़ने की अपील
वहीं, तनुजा की माता संतोष का कहना है कि आज बेटी पॉइंटमैन के पद पर है, इस बात को लेकर पूरे परिवार के लोग काफी खुशी हैं. संतोष बेटी को बड़ा अफसर देखना चाहती है. उन्होंने दूसरे लोगों को भी बेटियों को आगे बढ़ने देने की अपील भी की.
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बता दें कि देश में महिलाओं को भले ही सम्मानता का दर्जा दिया गया, लेकिन इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है कि हमारा समाज पुरुष प्रदान समाज है. अभी भी महिलाओं को बहुत से मामलों में पुरषों को से कम आंका जाता है. जिसमें शारीरिक बल भी शामिल है, लेकिन तनुजा ने इस मानसिक को पछाड़ते हुए समाज को ये बता दिया है कि अगर महिला ठान ले तो किसी भी असम्भव कार्य को संभव कर दिखा सकती है.
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