शिमला: विनोद गुट ने अराजपत्रित प्रदेश कर्मचारी महासंघ की मान्यता पर सवाल उठाए हैं. विनोद कुमार ने कहा कि हमने सरकार को लीगल नोटिस भेजा है. अगर 21 दिनों के भीतर फैसला नहीं बदला गया, तो आंदोलन किया जाएगा. बड़ी संख्या में सचिवालय के बाहर सरकार को घेरेंगे.
पत्रकारों को संबोधित करते हुए विनोद कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री और महासंघ के अध्यक्ष एक ही जिला से आते हैं. पहले महासंघ के अध्यक्ष के लिए व्यक्ति ग्राउंड स्तर पर कर्मचारियों से मुलाकात करते थे. उसके बाद पारंपरिक रूप से चुनाव होते थे. अब ऐसा कुछ नहीं हो रहा है.
विनोद कुमार ने कहा कि जयराम सरकार ने जो वादे कर्मचारियों से किए, वो पूरे नहीं हुए. किसी क्षेत्र विशेष को लेकर जयराम ठाकुर ने ऐसे व्यक्ति के हाथ में कमान सौंपा है, जो सक्षम नहीं हैं. विनोद कुमार ने इसे मुंडू संस्कृति का नाम दिया है. उन्होंने कहा कि हमने कर्मचारियों के हितों की आवाज उठाई है.
वर्तमान सरकार ने हमारा करियर खराब करने का काम किया है. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल जैसे ही सत्ता में आते थे, पहले दिन ही कर्मचारियों के मामलों को हल करते थे. वर्तमान सरकार ने ऐसा नहीं किया और कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ किया है.
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शांता कुमार के कार्यकाल में यह तय किया गया था कि हर 3 महीने में कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री बैठक करेंगे. प्रदेश सरकार के पर्सनल डिपार्टमेंट के ऑफिस मैनुअल में ये लिखा है, लेकिन प्रदेश सरकार ने किसी भी कर्मचारी गुट के साथ बातचीत नहीं की. विनोद कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार के फैसले के बाद कर्मचारी स्तब्ध हैं. सरकार को समझना चाहिए कि महासंघ के अध्यक्ष मुख्यमंत्री नहीं कर्मचारी बनाते हैं.
विनोद कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने सातवां वेतन आयोग लागू करने से पहले बजट में प्रावधान किया था, लेकिन प्रदेश सरकार ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है. विनोद कुमार ने कहा कि अगर प्रदेश सरकार पंजाब के तर्ज पर पे-स्केल लागू नहीं कर सकती है, तो सेंट्रल पे-कमिशन की रिपोर्ट लागू करें. डीए की किस्त 11 प्रतिशत देय हो गई है, लेकिन प्रदेश सरकार इस पर कोई फैसला नहीं कर रही है.
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