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Union Minister Arjun Ram Meghwal: शिमला में केंद्रीय मंत्री मेघवाल बन गए किस्सागो: बताया कि कैसे पत्नी ने स्कूल से नाम कटने से बचाया

शिमला में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के आयोजन में पीएम नरेंद्र मोदी कैबिनेट के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल किस्सागो के रूप में नजर आए. मेघवाल ने बताया कि कैसे उनकी पत्नी ने जीवन को संवारने में भूमिका निभाई. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jun 16, 2022, 7:49 PM IST

Union Minister Meghwal in Shimla
मोदी कैबिनेट के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

शिमला: राजधानी शिमला में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के आयोजन में पीएम नरेंद्र मोदी कैबिनेट के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल किस्सागो के रूप में नजर आए. मेघवाल ने बताया कि कैसे उनकी पत्नी ने जीवन को संवारने में भूमिका निभाई. मंत्री ने अपने जीवन से जुड़े कई किस्से सुनाए और बताया कि कैसे एक बार स्कूल से नाम कटने से उनकी पत्नी ने बचाया. शिमला में पहले सत्र में अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनके जीवन में जो भी सफलता मिली है, उसमें धर्मपत्नी का योगदान महत्वपूर्ण है. इस दौरान उन्होंने अपने गुरू के उपन्यास का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि मेरे गुरु ने फीमेल डॉग पर उपन्यास लिखा था. उपन्यास का केंद्रीय भाव यह था कि जब फीमेल डॉग की डिलीवरी हुई तो उस मोहल्ले के लोगों ने यूनियन बनाई और प्रसूता को तेल, आटा, घी इत्यादि खिलाया.

इस उपन्यास के जरिए समाज की मानसिकता पर कटाक्ष किया था कि (Union Minister Meghwal in Shimla) जब महिला का प्रसव होता है तो उसके साथ इतनी संजीदगी के साथ व्यवहार नहीं किया जाता है. बहू की डिलीवरी के दौरान अस्पताल में कहीं सास समय नहीं दे पाती, कहीं ननद कहती है मैं क्यों जाऊं. बाद में गुरुजी को इसी उपन्यास पर अवार्ड मिला था. केंद्रीय मंत्री ने कहा जब मैं केवल केवल 15 वर्ष का था, तो मेरी शादी हो गई. जब मैं 11वीं में पढ़ता था तब एक शिक्षक ने कहा कि क्या आप फुटबॉल खेलते हो तो मैंने हां कहा. लेकिन उन्होंने कहा कि आपने दो रुपये जमा नहीं करवाए हैं. अगर कल 11बजे तक नहीं करवाए तो आपका नाम स्कूल से काट दिया जाएगा. मैंने दादी से दो रुपये मांगे तो उन्होंने बुनकर के काम के जरिए या फिर खेती करने की सलाह दी. रिश्तेदारों ने भी मदद नहीं की लेकिन मेरी पत्नी ने बाजार से सात रूपये की जमा पूंजी में से हस्तशिल्प का सामान खरीदा और रातों-रात उससे कई उत्पाद तैयार किए.

मेरी पत्नी ने सुबह उन्हें बाजार में बेचा. इससे उन्हें 9 रुपये मिले. मंत्री ने भावुक होते हुए कहा कि पत्नी ने मुझे 2 दिए ताकि मेरा नाम स्कूल से न कटे. अगर मेरी पत्नी मेरी मदद न करती तो मैं यहां न होता.. उन्होंने कहा कि जब मैं आईआईएम में आइएएस की ट्रेनिंग ले रहा था तब जर्मन के एक प्रोफेसर ने 3 घंटे के पेपर में पूछा कि एक ऐसा नाम बताओ जिसकी वजह से आप सफल हुए हो. मंत्री ने कहा कि जवाब के लिए उन्होंने काफी दिमाग खपाया और अंतत: अपनी धर्मपत्नी का नाम लिख दिया. उस समय को याद करते हुए अर्जुन मेघवाल ने कहा कि, लेकिन लंच के समय पेपर आउट हो गया. सब मुझे कहने लगे कि मैं जोरू का गुलाम हूं. प्रोफेसर ने बताया कि तुम अकेले ऐसे व्यक्ति हो जिसने अपनी पत्नी को अपना प्रेरणा स्रोत बताया है. वह इस उत्तर से काफी खुश हुए.

शिमला: राजधानी शिमला में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के आयोजन में पीएम नरेंद्र मोदी कैबिनेट के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल किस्सागो के रूप में नजर आए. मेघवाल ने बताया कि कैसे उनकी पत्नी ने जीवन को संवारने में भूमिका निभाई. मंत्री ने अपने जीवन से जुड़े कई किस्से सुनाए और बताया कि कैसे एक बार स्कूल से नाम कटने से उनकी पत्नी ने बचाया. शिमला में पहले सत्र में अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनके जीवन में जो भी सफलता मिली है, उसमें धर्मपत्नी का योगदान महत्वपूर्ण है. इस दौरान उन्होंने अपने गुरू के उपन्यास का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि मेरे गुरु ने फीमेल डॉग पर उपन्यास लिखा था. उपन्यास का केंद्रीय भाव यह था कि जब फीमेल डॉग की डिलीवरी हुई तो उस मोहल्ले के लोगों ने यूनियन बनाई और प्रसूता को तेल, आटा, घी इत्यादि खिलाया.

इस उपन्यास के जरिए समाज की मानसिकता पर कटाक्ष किया था कि (Union Minister Meghwal in Shimla) जब महिला का प्रसव होता है तो उसके साथ इतनी संजीदगी के साथ व्यवहार नहीं किया जाता है. बहू की डिलीवरी के दौरान अस्पताल में कहीं सास समय नहीं दे पाती, कहीं ननद कहती है मैं क्यों जाऊं. बाद में गुरुजी को इसी उपन्यास पर अवार्ड मिला था. केंद्रीय मंत्री ने कहा जब मैं केवल केवल 15 वर्ष का था, तो मेरी शादी हो गई. जब मैं 11वीं में पढ़ता था तब एक शिक्षक ने कहा कि क्या आप फुटबॉल खेलते हो तो मैंने हां कहा. लेकिन उन्होंने कहा कि आपने दो रुपये जमा नहीं करवाए हैं. अगर कल 11बजे तक नहीं करवाए तो आपका नाम स्कूल से काट दिया जाएगा. मैंने दादी से दो रुपये मांगे तो उन्होंने बुनकर के काम के जरिए या फिर खेती करने की सलाह दी. रिश्तेदारों ने भी मदद नहीं की लेकिन मेरी पत्नी ने बाजार से सात रूपये की जमा पूंजी में से हस्तशिल्प का सामान खरीदा और रातों-रात उससे कई उत्पाद तैयार किए.

मेरी पत्नी ने सुबह उन्हें बाजार में बेचा. इससे उन्हें 9 रुपये मिले. मंत्री ने भावुक होते हुए कहा कि पत्नी ने मुझे 2 दिए ताकि मेरा नाम स्कूल से न कटे. अगर मेरी पत्नी मेरी मदद न करती तो मैं यहां न होता.. उन्होंने कहा कि जब मैं आईआईएम में आइएएस की ट्रेनिंग ले रहा था तब जर्मन के एक प्रोफेसर ने 3 घंटे के पेपर में पूछा कि एक ऐसा नाम बताओ जिसकी वजह से आप सफल हुए हो. मंत्री ने कहा कि जवाब के लिए उन्होंने काफी दिमाग खपाया और अंतत: अपनी धर्मपत्नी का नाम लिख दिया. उस समय को याद करते हुए अर्जुन मेघवाल ने कहा कि, लेकिन लंच के समय पेपर आउट हो गया. सब मुझे कहने लगे कि मैं जोरू का गुलाम हूं. प्रोफेसर ने बताया कि तुम अकेले ऐसे व्यक्ति हो जिसने अपनी पत्नी को अपना प्रेरणा स्रोत बताया है. वह इस उत्तर से काफी खुश हुए.

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