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IGMC में मरीज को इमरजेंसी की स्थिति में कर्मचारियों ने खुद दिया अपना खून, लॉकडाउन के चलते खाली हुए ब्लड बैंक - shimla blood donation news

आईजीएमसी शिमला में इंसानियत की मिसाल देखने को मिली. यहां ब्लड की कमी के चलते दो कर्मचारियों ने अपना खून देकर मरीज की जान बचाई. तीमारदार ने इसके लिए कर्मचारियों का आभार जताया. वहीं, कर्मचारी नोखराम ने बताया कि कर्फ्यू के दौरान अस्प्ताल में खून की कमी चल रही है. ऐसे में मरीज की गम्भीरता को देखते हुए उन्होंने खुद अपना खून मरीज को दिया.

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Published : Apr 26, 2020, 10:05 PM IST

Updated : Apr 27, 2020, 7:22 AM IST

शिमला : कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से लॉकडाउन किया गया है. इस दौरान ब्लड डोनेशन कैंप्स बहुत ही कम आयोजित हो पा रहे हैं और अस्पतालों में भी कम ही ब्लड डोनर रक्तदान करने के लिए पहुंच रहे हैं, जिसके चलते अस्पतालों में ब्लड की कमी देखने को मिल रही है. लेकिन महामारी के दौर में भी कुछ लोग ऐसे भी सामने आ रहे हैं जिनसे इंसानियत पर भरोसा मजबूत होता है.

आईजीएमसी शिमला में एक ऐसा ही एक वाकया देखने को मिला. यहां दो कर्मचारियों ने अपना खून देकर मरीज की जान बचाई. हुआ यूं कि, आईजीएमसी में एक मरीज गम्भीर हालत में दाखिल था और उसे ब्लड एबी पॉजिटिव की सख्त जरूरत थी, लेकिन तीमारदार जब ब्लड बैंक पहुंचा तो वहां उसे बताया गया कि खून बैंक में उपलब्ध नहीं है.

वीडियो.

इससे तीमारदार परेशान हो गया और हताश होकर वहीं बैठ गया. ब्लड बैंक में मौजूद एक कर्मचारी ने तीमारदार से उसकी परेशानी का कारण पूछा. तीमारदार ने ब्लड न मिलने की व्यथा सुनाई.

इत्तेफाक से कमर्चारी का खून भी एबी पॉजिटिव था. इस पर कर्मचारी ने खुद अपना खून मरीज को देने का फैसला लिया. नोखराम ने अपने एक अन्य सहयोगी कर्मचारी, जिसका ब्लड भी एबी पॉजिटिव था, के साथ खून दान कर मरीज की जान बचाई.

नोखराम ने बताया कि कर्फ्यू के दौरान अस्प्ताल में खून की कमी चल रही है. इस समय ब्लड बहुत ही कम आ रहे हैं. ऐसे में मरीज की गम्भीरता को देखते हुए उन्होंने खुद अपना खून मरीज को दिया. उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौर हम सभी को एक-दुसरे की मदद करने के लिए हाथ आगे बढ़ाने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- सरकार की पहल: चंडीगढ़ से छात्रों को लाने का सिलसिला शुरू, 15 बसों में आएंगे स्टूडेंट्स

शिमला : कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से लॉकडाउन किया गया है. इस दौरान ब्लड डोनेशन कैंप्स बहुत ही कम आयोजित हो पा रहे हैं और अस्पतालों में भी कम ही ब्लड डोनर रक्तदान करने के लिए पहुंच रहे हैं, जिसके चलते अस्पतालों में ब्लड की कमी देखने को मिल रही है. लेकिन महामारी के दौर में भी कुछ लोग ऐसे भी सामने आ रहे हैं जिनसे इंसानियत पर भरोसा मजबूत होता है.

आईजीएमसी शिमला में एक ऐसा ही एक वाकया देखने को मिला. यहां दो कर्मचारियों ने अपना खून देकर मरीज की जान बचाई. हुआ यूं कि, आईजीएमसी में एक मरीज गम्भीर हालत में दाखिल था और उसे ब्लड एबी पॉजिटिव की सख्त जरूरत थी, लेकिन तीमारदार जब ब्लड बैंक पहुंचा तो वहां उसे बताया गया कि खून बैंक में उपलब्ध नहीं है.

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इससे तीमारदार परेशान हो गया और हताश होकर वहीं बैठ गया. ब्लड बैंक में मौजूद एक कर्मचारी ने तीमारदार से उसकी परेशानी का कारण पूछा. तीमारदार ने ब्लड न मिलने की व्यथा सुनाई.

इत्तेफाक से कमर्चारी का खून भी एबी पॉजिटिव था. इस पर कर्मचारी ने खुद अपना खून मरीज को देने का फैसला लिया. नोखराम ने अपने एक अन्य सहयोगी कर्मचारी, जिसका ब्लड भी एबी पॉजिटिव था, के साथ खून दान कर मरीज की जान बचाई.

नोखराम ने बताया कि कर्फ्यू के दौरान अस्प्ताल में खून की कमी चल रही है. इस समय ब्लड बहुत ही कम आ रहे हैं. ऐसे में मरीज की गम्भीरता को देखते हुए उन्होंने खुद अपना खून मरीज को दिया. उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौर हम सभी को एक-दुसरे की मदद करने के लिए हाथ आगे बढ़ाने की जरूरत है.

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Last Updated : Apr 27, 2020, 7:22 AM IST
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