शिमला: साल 2021 अपने अंतिम चरण में है. ऐसे में अधिकांश लोगों की यह जानने की इच्छा रहती है कि आखिर इस साल कौन-कौन सी ऐसी घटनाएं और उपलब्धियां रहीं जिसे आने वाले कई सालों तक याद किया जाता रहेगा. तो ईटीवी भारत हिमाचल प्रदेश आपकी सुविधा के लिए साल भर की बड़ी खबरों से एक बार फिर से रूबरू कराने का प्रयास कर रहा है. कहते हैं छोटा परिवार सुखी परिवार. इसका सबसे सटीक उदाहरण साल 2021 में हिमाचल में देखने को मिला. छोटे से पहाड़ी राज्य ने इस साल कई ऐसी उपलब्धियां हासिल की जो देश के लिए राज्यों के लिए भी मिसाल साबित हुईं. एक ओर हिमाचल ने देश में शत प्रतिशत वैक्सीनेशन वाला पहला राज्य हासिल करने का गौरव प्राप्त किया, तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन की ओर से सख्ती दिखाते हुए कोविड के कारण डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत चार हजार एफआईआर दर्ज की गई थी. वैक्सीन की जीरो वेस्टेज के लिए देश भर में हिमाचल की सराहना की गई. इससे पहले कि हम 2021 को अलविदा कहें, आइए एक नजर डालते हैं, पिछले एक साल में हुई स्वास्थ्य जगत से जुड़ी घटनाओं और उपलब्धियों पर.
शत प्रतिशत वैक्सीनेशन वाला पहला राज्य बना था हिमाचल: यूं तो इस साल हिमाचल के नाम कई सारी उपलब्धियां रहीं, लेकिन इस साल हिमाचल के नाम सबसे बड़ी उपलब्धि अपनी शत प्रतिशत अबादी को देश भर में सबसे पहले वैक्सीन की दोनों डोज देने की रही. हिमाचल प्रदेश 5 दिसंबर को कोविड-19 (Covid-19) से बचाव के लिए राज्य के अर्हता प्राप्त सभी वयस्कों का टीकाकरण करने वाला देश का पहला राज्य बन गया था. इस संबंध में सरकार ने कहा था कि राज्य के अर्हता प्राप्त 53,86,393 व्यस्कों को टीके की दूसरी खुराक दे दी गई है. वहीं, वैक्सीनेशन की पहली दोज में भी हिमाचल में यही कमाल (Himachal fully vaccinated) दिखाते हुए पहला स्थान हासिल किया था. हिमाचल ने यह लक्ष्य अगस्त महीने के आखिर में प्राप्त कर किया था. वहीं, शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा करने के बाद हिमाचल प्रदेश में एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी शामिल हुए थे.
वैक्सीन की जीरो वेस्टेज के लिए देश भर में हुई थी हिमाचल की सराहना: इस साल हिमाचल के नाम कई बड़ी उपलब्धियां रहीं. इसमें वैक्सीने की जीरो वेस्टेज करने वाला हिमाचल पहला राज्य बना था, जहां पर वैक्सीनेशन की पूरी प्रक्रिया के दौरान शून्य प्रतिशत वैक्सीन की बर्बादी हुई थी. वहीं, देशभर में इस बात की (Wastage of vaccine in India) सराहना भी हुई थी. इतना ही नहीं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिमाचल प्रदेश की पीठ थपथपाई थी. उस समय अपने दिल्ली दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi on Himachal) ने हिमाचल की कोरोना वैक्सीन के सफल अभियान के लिए सराहना की है. वहीं, हिमाचल देशभर के लिए एक रोल मॉडल बन कर भी उभरा था.
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में रोल मॉडल बना था हिमाचल: इस साल जहां देशभर में कोरोना संक्रमण ने खूब कहर बरपाया, तो वहीं हिमाचल प्रदेश कोरोना महामारी की लहर को रोकने के लिए देशभर में रोल मॉडल बन कर उभरा. इसके लिए हिमाचल प्रदेश की हर जगह सराहना भी की (Himachal role model in vaccination drive) गई. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश की सराहना करते हुए कोरोना महामारी को रोकने के लिए एसीएफ कैंपेन को एक महत्वपूर्ण कदम बताया था. प्रधानमंत्री ने हिमाचल प्रदेश में एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान (Active case finding campaign Himachal) को प्रभावी रूप से चलाने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के प्रयासों की सराहना की थी. जबकि उन्होंने सभी राज्यों को कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए हिमाचल प्रदेश की इस पहल का अनुसरण करने का भी आग्रह किया था.
वैक्सीनेशन के लिए हिमाचल में हुआ था ड्राई रन: हिमाचल प्रदेश में इस साल जहां कोरोना का खतरा था, तो वहीं लोगों को वैक्सीन देना भी एक बहुत बड़ी चुनौती थी. इसी को देखते हुए साल के शुरुआत में ही हिमाचल प्रदेश में वैक्सीनेशन का ड्राई रन किया गया था. 2 जनवरी 2021 को शिमलाा सहित देश के हर राज्य में कोरोना (Dry run of vaccine in Himachal) वैक्सीन का ड्राई रन हुआ था. हिमाचल प्रदेश की बात करें तो प्रदेश की राजधानी शिमला में तीन जगहों पर यह ट्रायल किया गया था. शिमला में डीडीयू अस्पताल, तेंजिन अस्पताल और कुसुम्पटी के सरकारी स्कूल में वैक्सीन का यह ड्राई रन हुआ था, जिसमें 25-25 लोगों पर ट्रायल किया गया था. वहीं, शिमला में डब्ल्यूएचओ की टीम की निगरानी में वैक्सीन का यह ड्राई रन हुआ था.
पहले चरण में कोरोना कोरोना वॉरियर्स को निशुल्क टीकाकरण का हुआ था एलान: कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में हिमाचल सरकार ने 5 जनवरी को एक अहम फैसला लिया था. हिमाचल सरकार ने फैसला लिया था की पहले चरण में 1 लाख 35 हजार कोरोना वॉरियर्स को निशुल्क वैक्सीन जगाई (Vaccination in Himachal) जाएगी. पहले ये संख्या 70 हजार निर्धारित की गई थी. हालांकि बाद में इसमें फ्रंट लाइन वारियर्स भी जोड़े गए थे. इनमें डॉक्टर्स, पैरामैडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी सहित फ्रंट लाइन वॉरियर्स के रूप में पुलिस कर्मी आदि भी शामिल किए गए थे. वहीं, वैक्सीनेशन के पहले चरण के लिए हिमाचल प्रदेश में कुल 300 वैक्सीनेशन सेंटर बनाए गए थे, जिसमें हर सेंटर पर सौ लोगों को वैक्सीन लगाने की योजना बनाई गई थी.
10 फरवरी को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मेकशिफ्ट अस्पताल का किया था उद्घाटन: 2020 की तरह इस साल भी हिमाचल प्रदेश में कोरोना ने अपना खूब कहर बरपाया. इसके लिए प्रदेश सरकार ने साल के शुरुआत से ही सभी तैयारियां पूरी कर ली थी. सरकार ने इस साल के शुरुआत में ही 2 जगहों पर पहली बार मेक शिफ्ट अस्पताल खोले थे. फरवरी में सरकार की ओर से यह मेकशिफ्ट अस्पताल खोले गए थे, जबकि 10 फरवरी को देश के (Vice President Venkaiah Naidu on Himachal) उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इन अस्पतालों का उद्घाटन किया था. ये मेक शिफ्ट अस्पताल कांगड़ा के डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज यानी टांडा अस्पताल और बद्दी में स्थापित किए गए थे. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 10 फरवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इन दोनों अस्पतालों का शुभारंभ किया था. शुरुआती दौर में दोनों जगह स्थापित प्री-फैब्रिकेटिड अस्पतालों में 66-66 बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध करवाई गई थी.
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कोरोना के चलते स्थगित हुई थी बोर्ड और यूजी की परीक्षाएं: हिमाचल में इस साल कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई बड़े मेलों और कार्यक्रमों पर भी रोक लगाई गई थी. इसमें ऊना जिले का मैड़ी मिला भी शामिल था. सरकार ने 15 मार्च को कैबिनेट की बैठक में इस मेले पर रोक लगाने का निर्णय लिया था. मैड़ी मेला बाबा बड़भाग सिंह को समर्पित है और इसमें हिमाचल सहित पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा व दिल्ली के श्रद्धालु भाग लेते हैं. मैड़ी मेले में लाखों की भीड़ होती है. इसी को देखते हुए सरकार ने इसमें के पर रोक लगाने का निर्णय लिया था.
इस साल हिमाचल में ग्राम सभाओं (Board exams in Himachal) पर भी रोक लगा दी गई थी. अप्रैल माह में होने वाले ग्राम सभा पर कोरोना के बढ़ते हमलों के बाद रोक लगा दी गई थी. जबकि कोरोना का असर स्कूल के बच्चों की पढ़ाई पर भी दिखा था और बोर्ड की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थी. अप्रैल माह (PG exams in Himachal) में सरकार ने बोर्ड परीक्षाएं और यूजी की परीक्षाएं पोस्टपोन कर दी थी. वहीं, 14 अप्रैल को शिक्षा विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी की थी. इसके अलावा सरकार ने मार्च में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए नो मास्क, नो सर्विस का भी एलान किया था.
कोविड के कारण डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत चार हजार एफआईआर हई थी दर्ज: हिमाचल में इस साल जहां कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने बंदिशें लगाई थी. वहीं, बंदिशें के बाद भी लोगों ने जमकर नियमों की उल्लंघना की थी. कोरोना नियमों का उल्लंघना करने वालों के खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के (Disaster management act Himachal) तहत एफआईआर तक दर्ज की गई थी. आलम यह था कि कोविड के कारण डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत करीब चार हजार एफआईआर दर्ज हुई थी. वहीं, समय पर फैसला न लेने से यह मामले कोर्ट में पहुंच गए थे. सरकार ने हिमाचल में कोरोना नियमों को सख्ती से लागू किया था, बावजूद इसके स्थानीय लोगों से लेकर हिमाचल पहुंचे पर्यटकों ने भी नियमों की सही ढंग से पालन नहीं किया था.
अप्रैल महीने में मिला था हिमाचल में यूके स्ट्रेन: हिमाचल प्रदेश में इस साल 5 अप्रैल को कोरोना के नए स्ट्रेन का पहला मामला सामने आया था. सोलन जिले की एक महिला डॉक्टर में यूके के स्ट्रेन की पुष्टि हुई थी. जिसके बाद लोगों में भी काफी डर का माहौल था. दरअसल प्रदेश सरकार ने कोरोना के 525 सैंपल जांच के (UK strain in Himachal) लिए पुणे भेजे गए थे, जिसमें महिला डॉक्टर में नया स्ट्रेन मिला था. महिला डॉक्टर ने सोलन जिले में पहला टीका लगवाया था और दो डोज लेने के बाद वो पॉजिटिव पाई गई थी. वहीं, पॉजिटिव आने के बाद उनका सैंपल पुणे की लैब में जांच के लिए भेजा गया था. महिला का यह सैंपल 12 मार्च को भेजा गया था, जबकि 5 अप्रैल को इसकी रिपोर्ट आई थी.
राजभवन में भी कोरोना ने दी थी दस्तक: हिमाचल प्रदेश में इस साल अप्रैल माह में पहले चरण के दौरान करीब 16.22 लाख लोगों कोरोना की वैक्सीन लगाई गई थी. इसके अलावा कोरोना के कहर के चलते मई महीने में 13 दिनों में 600 से अधिक लोगों की कोरोना से मौत भी हुई थी और कुछ दिनों तक यह आंकड़ा लगातार 60 से ऊपर (Corona case in Raj Bhawan shimla) जा रहा था. जबकि मई महीने में कोरोना वायरस ने राजभवन में भी दस्तक दी थी और उस समय यानी तत्कालीन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की धर्मपत्नी और तत्कालीन लेडी गवर्नर भी संक्रमित पाई गई थीं. जिसके बाद उन्हें आईजीएमसी (Bandaru Dattatreya Himachal) के स्पेशल वार्ड में शिफ्ट किया गया था. वहीं, बाद में राजभवन के हाउस स्टाफ के दो कर्मचारी भी पॉजिटिव पाए गए थे.
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