शिमला: राजधानी के टूटीकंडी स्थित बालिका आश्रम (girls-ashram in shimla) में आग से हुए नुकसान पर हाईकोर्ट ने आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव को तीन अगस्त को अदालत में तलब किया है. विशेष सचिव को 3 अगस्त को हाईकोर्ट के समक्ष पेश होना होगा. हाईकोर्ट में इस मामले में प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग ने शपथ पत्र के माध्यम से बताया कि बालिका आश्रम को जोड़ने वाली सड़क का कुछ हिस्सा लोक निर्माण विभाग के पास और इसका कुछ भाग नगर निगम शिमला की परिधि में आता है.
हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था: सड़क का जो भाग लोक निर्माण विभाग के पास है वह 3 मीटर चौड़ा और विभाग ने उसे पक्का भी किया. वहीं, नगर निगम शिमला की परिधि में आने वाला भाग सिर्फ एंबुलेंस रोड योग्य है. उल्लेखनीय है कि पूर्व में 2 मई को साथ लगते जंगल में आग का तांडव देखने को मिला था. जंगल की ये आग बालिका आश्रम तक पहुंच गई थी. हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया था. अदालत ने मुख्य सचिव सहित प्रधान सचिव वन और लोक निर्माण विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था. जंगल में आग लगने से बालिका आश्रम में भी धुआं फैल गया था. इससे बालिकाओं को सांस लेना मुश्किल हो गया था. हालांकि, समय पर आग पर काबू पा लिया और बड़ा हादसा होने से टल गया.
पूरे शहर में हो गया था धुआं: खबर के अनुसार छह वर्ष तक के 20 बच्चों को यूएस क्लब स्थित वर्किंग वुमन हॉस्टल में शिफ्ट किया था, जबकि 70 छात्राओं को मशोबरा स्थित आश्रम में शिफ्ट किया था. दमकल विभाग की टीम, पुलिस कर्मचारियों के अलावा स्थानीय लोगों ने भी आग बुझाने में मदद की. आग इतनी भयानक थी कि पूरे शहर में धुआं हो गया. आश्रम तक आग पहुंचने का खतरा देखते हुए पुलिस व दमकल विभाग ने बालिका आश्रम से गैस सिलेंडर बाहर निकाल दिया था. इसके बाद बिजली कनेक्शन भी काट दिया, ताकि शार्ट सर्किट की आशंका न रहे. आग बुझाने के लिए करीब पांच घंटे तक प्रयास करने पड़े थे. वहीं, पानी की कमी भी हुई.
अन्य विभाग में तैनाती को गलत ठहराया: वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने अस्थाई स्थानांतरण आधार पर अनिश्चित काल तक किसी अन्य विभाग में तैनाती को गलत ठहराते हुए प्रार्थी धनबीर सिंह को आबकारी एवं कराधान विभाग से वापिस उसके नियोक्ता कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति के आदेश दिए. न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर को आदेश दिए कि वह प्रार्थी को 2 सप्ताह के भीतर आबकारी विभाग से वापिस बुलाए और अपने नियोक्ता विभाग में तैनाती दें. कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार समझ से परे ,आखिरकार अनिश्चितकाल तक किसी कर्मचारी को उसकी इच्छा के विपरीत सैकेंडमेंट आधार पर दूसरे विभाग में रखना उचित नहीं.