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आईजीएमसी में भर्ती मरीजों के लिए टीबी की जांच अनिवार्य, एमएस ने दिए निर्देश - आईजीएमसी के एमएस जनक राज

आईजीएमसी में एडमिट हाेने वाले हर मरीज (Patient admitted in IGMC) का अब काेराेना के साथ-साथ टीबी का टेस्ट भी (TB test mandatory in IGMC) करवाया जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने सभी एचओडी काे आदेश जारी कर दिए हैं. ऐसा इसलिए किया गया है क्याेंकि एक ओर जहां काेराेना के बाद टीबी का खतरा बढ़ा है, वहीं सरकार टीबी काे 2022 तक खत्म करने के लिए भी प्रयासरत है.

TB test mandatory for patients admitted in IGMC
आईजीएमसी में दाखिल मरीजों का अब टीवी टेस्ट भी होगा
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Published : Nov 28, 2021, 5:50 PM IST

शिमला: आईजीएमसी में एडमिट हाेने वाले हर मरीज का अब काेराेना के साथ-साथ टीबी का टेस्ट भी (Patient admitted in IGMC) करवाया जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने सभी एचओडी काे आदेश (TB Test IGMC) जारी कर दिए हैं. ऐसा इसलिए किया गया है क्याेंकि एक ओर जहां काेराेना के बाद टीबी का खतरा बढ़ा है. वहीं, सरकार टीबी काे 2022 तक खत्म करने के लिए भी प्रयासरत है.

ऐसे में यदि व्यक्ति टीबी से संक्रमित पाया जाएगा, ताे उसे अन्य बीमारियाें के साथ-साथ टीबी की दवाएं भी दी जाएगी. ऐसे लोगों का एक डाटा भी आईजीएमसी अपने पास रखेगा, ताकि यह पता रहे कि राेजाना कितने मरीज संक्रमित हाे रहे हैं. वहीं, मरीजाें काे समय पर दवाएं लेने के लिए भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता जागरूक (People will be made aware about TB) करेंगे.

वीडियो.

काेराेना के बाद यह भी सामने आया है कि सर्दी खांसी के लक्षणाें (cold cough symptoms) के साथ अस्पतालाें में बढ़ रहे काेराेना के मरीजों और संक्रमण के बाद ठीक हाे चुके लाेगाें काे अब टीबी हाेने का डर है. टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है. सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में (TB Dots centers) इसका फ्री इलाज होता है. इसमें सबसे जरूरी बात यह है कि टीबी का इलाज पूरी तरह ठीक होने तक चले.

इसे बीच में छोड़ देने से बैक्टीरिया में दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. अगर 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी है तो डॉक्टर को दिखाएं. वहीं, दवा का कोर्स भी जरूर पूरा करें. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम मरीज से संपर्क में भी रहती है, ताकि समय-समय पर पता चल सके कि मरीज दवाएं समय पर ले रहा है और कितना फिसदी रिकवर हाे रहा है.

ये भी पढ़ें: Provincial Convention में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, बोले- स्वस्थ जीवन के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी

वहीं, इस संबंध में आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज (IGMC MS Dr. Janak Raj) ने बताया कि आईजीएमसी में एडमिट हाेने वाले हर मरीज की अब काेराेना के साथ-साथ टीबी की (TB test mandatory in IGMC) टेस्टिंग भी हाेगी. इसके लिए सभी विभागाध्यक्षाें काे आदेश जारी कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि एडमिट हाेते ही मरीज काे टीबी का सैंपल भी देना हाेगा. वहीं, लाेगाें से अपील है कि यदि उन्हें काेराेना हुआ है और खांसी दाे हफ्ते से ज्यादा है या फिर वजन कम हाे रहा है, ताे वह तुरंत टीबी की जांच करवाएं.

यह सभी अस्पतालाें में फ्री में (Treatment of TB)की जाती है और इसका पूरा इलाज भी फ्री किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य है, जबकि प्रदेश सरकार 2022 तक इसे खत्म करने की तैयारी में है. यह तभी हाे सकता है, यदि व्यक्ति लक्षण आने पर तुरंत टीबी की जांच करवाए.

यह हैं टीबी के लक्षण
-दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी.
-दो हफ्ते तक बुखार आना.
-तेजी से शरीर का वजन घटना.
-रात में सोते वक्त पसीना आना.

ये भी पढ़ें: स्वतंत्रता सेनानी हिरदा राम की 137वीं जयंती, ताम्रपत्र से सम्मानित करने की उठी मांग

शिमला: आईजीएमसी में एडमिट हाेने वाले हर मरीज का अब काेराेना के साथ-साथ टीबी का टेस्ट भी (Patient admitted in IGMC) करवाया जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने सभी एचओडी काे आदेश (TB Test IGMC) जारी कर दिए हैं. ऐसा इसलिए किया गया है क्याेंकि एक ओर जहां काेराेना के बाद टीबी का खतरा बढ़ा है. वहीं, सरकार टीबी काे 2022 तक खत्म करने के लिए भी प्रयासरत है.

ऐसे में यदि व्यक्ति टीबी से संक्रमित पाया जाएगा, ताे उसे अन्य बीमारियाें के साथ-साथ टीबी की दवाएं भी दी जाएगी. ऐसे लोगों का एक डाटा भी आईजीएमसी अपने पास रखेगा, ताकि यह पता रहे कि राेजाना कितने मरीज संक्रमित हाे रहे हैं. वहीं, मरीजाें काे समय पर दवाएं लेने के लिए भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता जागरूक (People will be made aware about TB) करेंगे.

वीडियो.

काेराेना के बाद यह भी सामने आया है कि सर्दी खांसी के लक्षणाें (cold cough symptoms) के साथ अस्पतालाें में बढ़ रहे काेराेना के मरीजों और संक्रमण के बाद ठीक हाे चुके लाेगाें काे अब टीबी हाेने का डर है. टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है. सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में (TB Dots centers) इसका फ्री इलाज होता है. इसमें सबसे जरूरी बात यह है कि टीबी का इलाज पूरी तरह ठीक होने तक चले.

इसे बीच में छोड़ देने से बैक्टीरिया में दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. अगर 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी है तो डॉक्टर को दिखाएं. वहीं, दवा का कोर्स भी जरूर पूरा करें. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम मरीज से संपर्क में भी रहती है, ताकि समय-समय पर पता चल सके कि मरीज दवाएं समय पर ले रहा है और कितना फिसदी रिकवर हाे रहा है.

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वहीं, इस संबंध में आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज (IGMC MS Dr. Janak Raj) ने बताया कि आईजीएमसी में एडमिट हाेने वाले हर मरीज की अब काेराेना के साथ-साथ टीबी की (TB test mandatory in IGMC) टेस्टिंग भी हाेगी. इसके लिए सभी विभागाध्यक्षाें काे आदेश जारी कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि एडमिट हाेते ही मरीज काे टीबी का सैंपल भी देना हाेगा. वहीं, लाेगाें से अपील है कि यदि उन्हें काेराेना हुआ है और खांसी दाे हफ्ते से ज्यादा है या फिर वजन कम हाे रहा है, ताे वह तुरंत टीबी की जांच करवाएं.

यह सभी अस्पतालाें में फ्री में (Treatment of TB)की जाती है और इसका पूरा इलाज भी फ्री किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य है, जबकि प्रदेश सरकार 2022 तक इसे खत्म करने की तैयारी में है. यह तभी हाे सकता है, यदि व्यक्ति लक्षण आने पर तुरंत टीबी की जांच करवाए.

यह हैं टीबी के लक्षण
-दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी.
-दो हफ्ते तक बुखार आना.
-तेजी से शरीर का वजन घटना.
-रात में सोते वक्त पसीना आना.

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