ETV Bharat / city

शिमला थी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली, आजादी से पहले बापू ने की थी हिमाचल की दस यात्राएं - Mahatma Gandhi's relation with Himachal

पहाड़ी शहर शिमला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली रही है. देश को आजादी मिलने से पहले बापू ने शिमला की दस यात्राएं कीं. उनकी अधिकांश यात्राएं ब्रिटिश हुक्मरानों के साथ चर्चा से संबंधित थी. महात्मा गांधी ने आजाद भारत में शिमला की कोई यात्रा नहीं की. गांधीज पैशन: दि लाइफ एंड लीगेसी ऑफ महात्मा गांधी में स्टेनले वोलपोर्ट ने भी इन यात्राओं की तस्दीक की है.

STORY OF FATHER OF NATION MAHATMA GANDHI SHIMLA VISITS ON HIS BIRTH ANNIVERSARY
फोटो.
author img

By

Published : Oct 2, 2021, 5:00 AM IST

Updated : Oct 2, 2021, 9:45 AM IST

शिमला: ब्रिटिश हुकूमत के दौरान ऐतिहासिक पहाड़ी शहर शिमला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली रही है. देश को आजादी मिलने से पहले बापू ने शिमला की दस यात्राएं कीं. उनकी अधिकांश यात्राएं ब्रिटिश हुक्मरानों के साथ चर्चा से संबंधित थी तो कुछ चर्चाएं विभिन्न कानूनों को लेकर थीं.

ये दिलचस्प तथ्य है कि आजाद भारत में महात्मा गांधी ने शिमला की कोई यात्रा नहीं की. ये बात अलग है कि गांधी वध का ट्रायल शिमला में ही हुआ. मौजूदा समय में हिमाचल के राज्य अतिथिगृह पीटरहॉफ में गांधी वध का मुकदमा चला था, जो उस समय पंजाब हाईकोर्ट कहलाता था. खैर, शिमला के लिए ये गर्व की बात है कि ऐसी शख्सियत ने शिमला की दस यात्राएं कीं, जिसने समूची मानवता को गहराई तक प्रभावित किया. शिमला प्रवास के दौरान महात्मा गांधी मेनरविले में ठहरते थे. मेनरविले राजकुमारी अमृत कौर की संपत्ति रही है.

वर्ष 1935 से महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के संपर्क में आए. उसके बाद से तो शिमला में मेनरविले महात्मा गांधी का नियमित ठहराव बन गया था. वर्ष 1935 के बाद महात्मा गांधी वर्ष 1939 में दो विजिट, 1940 में चार विजिट और एक विजिट 1945 में की. गांधी की शिमला यात्रा से जुड़ा एक रोचक तथ्य है. ब्रिटिश वायसराय लार्ड वेवल के समय उनके एडीसी पीटर कोट्स ने गांधी जी की एक यात्रा के विवरण में लिखा है कि उन्हें गांधी जी की बकरी के लिए एक गैराज का इंतजाम करना पड़ा.

जून 1945 में शिमला कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की बात है. कोट्स ने लिखा- मुझे यहां कई काम करने हैं. इन अनगिनत कार्यों की सूची में मुझे गांधी जी के लिए निवास की व्यवस्था करनी है. एक निवास अलग से नेहरू के लिए चाहिए, क्योंकि वे किसी के साथ नहीं रहेंगे और एक गैराज का इंतजाम गांधी जी की बकरी के लिए भी. ये सब हो चुकने के बाद ही उम्मीद की जा सकती है कि गांधी जी आएंगे. इतना होने के बाद भी गांधी जी आए तो कोट्स ने लिखा कि वे उस घर में नहीं ठहरे जिसमें व्यवस्था की गई थी, बल्कि वे राजकुमारी अमृत कौर के निवास में रहे. ये शिमला में गांधी का सबसे लंबा प्रवास था. इस प्रवास में वे शिमला में 26 जून से 17 जुलाई तक रहे.

महात्मा गांधी की पहली शिमला यात्रा वर्ष 1921 में हुई. उस यात्रा में वे चक्कर में शांत कुटीर में ठहरे थे. तब ये मकान होशियारपुर के साधु आश्रम की संपत्ति थी. महात्मा गांधी की दूसरी व तीसरी यात्रा 1931 में हुई. इस यात्रा में वे जाखू में फरग्रोव इमारत में ठहरे. इस समय ये मच्छी वाली कोठी के नाम से विख्यात है. अपनी अगली यात्रा में बापू क्लीव लैंड में ठहरे. ये विधानसभा के समीप एक इमारत थी. तीसरी यात्रा अगस्त 1931 में हुई थी. महात्मा गांधी अपनी अंतिम शिमला यात्रा के दौरान 1946 में आए. ये यात्रा दो हफ्ते की थी. इस दौरान वे समरहिल में चैडविक इमारत में ठहरे. गांधीज पैशन: दि लाइफ एंड लीगेसी ऑफ महात्मा गांधी में स्टेनले वोलपोर्ट ने भी इन यात्राओं की तस्दीक की है.

शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पृष्ठ भाग पर उनकी शिमला यात्राओं का विवरण दर्ज है, परंतु इसमें भी उनकी वर्ष 1939 की दो यात्राओं का ब्योरा नहीं है. वर्ष 1939 में महात्मा गांधी ने दो बार शिमला की यात्राएं की थीं. सितंबर 4 व सितंबर 26 को बापू शिमला आए थे. उनकी यात्राओं का मकसद तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो से मुलाकात करना था. उस समय गांधी राजकुमारी अमृत कौर के समरहिल स्थित निवास मेनरविले में ठहरे थे.

महात्मा गांधी की शिमला की 10 यात्राएं
- पहली यात्रा : 12 से 18 मई 1921
- दूसरी यात्रा : 13 से 17 मई 1931
- तीसरी यात्रा : 15 से 22 जुलाई 1931
- चौथी यात्रा : 25 से 27 अगस्त 1931
- पांचवी यात्रा : 04 से 05 सितंबर 1939
- छठी यात्रा : 26 सितंबर 1939
- सातवीं यात्रा : 29 जून 1940
- आठवी यात्रा : 27 से 30 सितंबर 1940
- नोवीं यात्रा : 24 जून से 16 जुलाई 1945
- दसवीं यात्रा : 2 से 14 मई 1946

ये भी पढ़ें: गांधी जयंती: शिमला में किसने लगवाई थी राष्ट्रपिता की प्रतिमा...कोई नहीं जानता

शिमला: ब्रिटिश हुकूमत के दौरान ऐतिहासिक पहाड़ी शहर शिमला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मस्थली रही है. देश को आजादी मिलने से पहले बापू ने शिमला की दस यात्राएं कीं. उनकी अधिकांश यात्राएं ब्रिटिश हुक्मरानों के साथ चर्चा से संबंधित थी तो कुछ चर्चाएं विभिन्न कानूनों को लेकर थीं.

ये दिलचस्प तथ्य है कि आजाद भारत में महात्मा गांधी ने शिमला की कोई यात्रा नहीं की. ये बात अलग है कि गांधी वध का ट्रायल शिमला में ही हुआ. मौजूदा समय में हिमाचल के राज्य अतिथिगृह पीटरहॉफ में गांधी वध का मुकदमा चला था, जो उस समय पंजाब हाईकोर्ट कहलाता था. खैर, शिमला के लिए ये गर्व की बात है कि ऐसी शख्सियत ने शिमला की दस यात्राएं कीं, जिसने समूची मानवता को गहराई तक प्रभावित किया. शिमला प्रवास के दौरान महात्मा गांधी मेनरविले में ठहरते थे. मेनरविले राजकुमारी अमृत कौर की संपत्ति रही है.

वर्ष 1935 से महात्मा गांधी राजकुमारी अमृत कौर के संपर्क में आए. उसके बाद से तो शिमला में मेनरविले महात्मा गांधी का नियमित ठहराव बन गया था. वर्ष 1935 के बाद महात्मा गांधी वर्ष 1939 में दो विजिट, 1940 में चार विजिट और एक विजिट 1945 में की. गांधी की शिमला यात्रा से जुड़ा एक रोचक तथ्य है. ब्रिटिश वायसराय लार्ड वेवल के समय उनके एडीसी पीटर कोट्स ने गांधी जी की एक यात्रा के विवरण में लिखा है कि उन्हें गांधी जी की बकरी के लिए एक गैराज का इंतजाम करना पड़ा.

जून 1945 में शिमला कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की बात है. कोट्स ने लिखा- मुझे यहां कई काम करने हैं. इन अनगिनत कार्यों की सूची में मुझे गांधी जी के लिए निवास की व्यवस्था करनी है. एक निवास अलग से नेहरू के लिए चाहिए, क्योंकि वे किसी के साथ नहीं रहेंगे और एक गैराज का इंतजाम गांधी जी की बकरी के लिए भी. ये सब हो चुकने के बाद ही उम्मीद की जा सकती है कि गांधी जी आएंगे. इतना होने के बाद भी गांधी जी आए तो कोट्स ने लिखा कि वे उस घर में नहीं ठहरे जिसमें व्यवस्था की गई थी, बल्कि वे राजकुमारी अमृत कौर के निवास में रहे. ये शिमला में गांधी का सबसे लंबा प्रवास था. इस प्रवास में वे शिमला में 26 जून से 17 जुलाई तक रहे.

महात्मा गांधी की पहली शिमला यात्रा वर्ष 1921 में हुई. उस यात्रा में वे चक्कर में शांत कुटीर में ठहरे थे. तब ये मकान होशियारपुर के साधु आश्रम की संपत्ति थी. महात्मा गांधी की दूसरी व तीसरी यात्रा 1931 में हुई. इस यात्रा में वे जाखू में फरग्रोव इमारत में ठहरे. इस समय ये मच्छी वाली कोठी के नाम से विख्यात है. अपनी अगली यात्रा में बापू क्लीव लैंड में ठहरे. ये विधानसभा के समीप एक इमारत थी. तीसरी यात्रा अगस्त 1931 में हुई थी. महात्मा गांधी अपनी अंतिम शिमला यात्रा के दौरान 1946 में आए. ये यात्रा दो हफ्ते की थी. इस दौरान वे समरहिल में चैडविक इमारत में ठहरे. गांधीज पैशन: दि लाइफ एंड लीगेसी ऑफ महात्मा गांधी में स्टेनले वोलपोर्ट ने भी इन यात्राओं की तस्दीक की है.

शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पृष्ठ भाग पर उनकी शिमला यात्राओं का विवरण दर्ज है, परंतु इसमें भी उनकी वर्ष 1939 की दो यात्राओं का ब्योरा नहीं है. वर्ष 1939 में महात्मा गांधी ने दो बार शिमला की यात्राएं की थीं. सितंबर 4 व सितंबर 26 को बापू शिमला आए थे. उनकी यात्राओं का मकसद तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो से मुलाकात करना था. उस समय गांधी राजकुमारी अमृत कौर के समरहिल स्थित निवास मेनरविले में ठहरे थे.

महात्मा गांधी की शिमला की 10 यात्राएं
- पहली यात्रा : 12 से 18 मई 1921
- दूसरी यात्रा : 13 से 17 मई 1931
- तीसरी यात्रा : 15 से 22 जुलाई 1931
- चौथी यात्रा : 25 से 27 अगस्त 1931
- पांचवी यात्रा : 04 से 05 सितंबर 1939
- छठी यात्रा : 26 सितंबर 1939
- सातवीं यात्रा : 29 जून 1940
- आठवी यात्रा : 27 से 30 सितंबर 1940
- नोवीं यात्रा : 24 जून से 16 जुलाई 1945
- दसवीं यात्रा : 2 से 14 मई 1946

ये भी पढ़ें: गांधी जयंती: शिमला में किसने लगवाई थी राष्ट्रपिता की प्रतिमा...कोई नहीं जानता

Last Updated : Oct 2, 2021, 9:45 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.