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देश समेत विदेश में भी बढ़ी हिमाचली टोपी की मांग, PM और राष्ट्रपति भी हैं मुरीद

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Published : Mar 2, 2019, 9:51 PM IST

हिमाचली टोपी की मुरीद बड़ी-बड़ी हस्तियां. विदेशों तक हिमाचली टोपी की धूम.

डिजाइन फोटो

शिमला: हिमाचल में पहने जाने वाली टोपियां देशभर में अपनी पहचान रखती हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल के लोग आज देश भर में पहाड़ी टोपी से पहचाने जाते हैं. हिमाचल में अलग-अलग रंगों की टोपियां प्रचलन में हैं. वहीं, अब हिमाचल टोपी अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है.

पहाड़ी टोपियां पश्मीना, ऊनी पट्टी, रंगीन और लाल मखमल से तैयार की जाती हैं. समय के साथ-साथ टोपियों में राजनीतिक रंग भी चढ़ा. हरी पट्टी वाली टोपी को कांग्रेस और मैरून कलर की टोपी को भाजपा नेता इस्तेमाल में लाने लगे. हालांकि जयराम सरकार आते ही मुख्यमंत्री ने ऐलान किया है कि टोपियों की राजनीति को खत्म किया जाएगा. मौजूदा समय में सीएम जयराम दोनों रंगों की टोपी इस्तेमाल में लाते हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी पहाड़ी टोपी के मुरीद हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिमाचल आने पर टोपी पहनते नजर आते हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी जब इजराइल दौरे पर थे तब भी वो हिमाचली टोपी में नजर आए थे.
कुल्लू के भुट्टिको के कारीगर और प्रबंधकों ने राष्ट्रपति भवन जाकर रामनाथ कोविंद को कुल्लवी टोपी भेंट की थी, जिसके बाद भुट्टिको के कारीगर नूप राम ने राष्ट्रपति के निजी दर्जी की मशीन में ही करीब 3 घंटे के अंदर महामहिम के नाप की टोपी तैयार कर राष्ट्रपति को भेंट की. राष्ट्रपति को ये टोपी इतनी पसंद आई कि उन्होंने तीन टोपियों का और ऑर्डर दे दिया.

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इसके साथ ही पूर्व पीएम स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को भी हिमाचली टोपी खूब भाती थी और बहुत से समारोहों में वे इसे पहना करते थे. वहीं, सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी हिमाचली टोपी को पसंद करते हैं. इन सब के साथ-साथ बहुत बड़ी हस्तियां पहाड़ी टोपियों की मुरीद हैं. बता दें कि हिमाचली टोपियां प्रदेश के गर्व से भी जुड़ी हुई हैं. अप्पर हिमाचल समते प्रदेश के कई हिस्सों में ये मेहमानों के सम्मान, विवाह और अन्य उत्सवों के दौरान विशेष स्थान रखती हैं. हिमाचली लोग आज अपने राज्य में अन्य राज्यों से आए मेहमानों को पहाड़ी टोपी से सम्मानित करते हैं.

हिमाचल में विशेषकर तीन तरह की टोपियां इस्तेमाल में लाई जाती हैं. बुशहरी टोपी हिमाचल के रामपुर, बुशहर क्षेत्र से जुड़ी हुई है. 20वीं शताब्दी की शुरुआत से इस टोपी का उपयोग काफी बढ़ गया था. करीब सभी लोगों ने इस टोपी को पहनने में गर्व महसूस किया. बुशहर व किन्नौरी टोपी देखने में एक जैसी होती हैं.

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हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में शादी समारोह में बारातियों को ये टोपियां पहनाई जाती हैं. इसके साथ टोपी पर एक जंगली फूल भी लगाया जाता है. जिसे किन्नौरी भाषा में चमका-ऊ भी कहते हैं. इस फूल को लगाने से टोपी की शान और भी बढ़ जाती है.
कुल्लूवी टोपी अधिकतर जिला कुल्लू में रहने वाले लोगों द्वारा पहनी जाती है. इस टोपी में रंगबिरंगे मखमल का प्रयोग किया जाता है. वर्तमान में इन टोपियों की पहचान भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है.

शिमला: हिमाचल में पहने जाने वाली टोपियां देशभर में अपनी पहचान रखती हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल के लोग आज देश भर में पहाड़ी टोपी से पहचाने जाते हैं. हिमाचल में अलग-अलग रंगों की टोपियां प्रचलन में हैं. वहीं, अब हिमाचल टोपी अब ऑनलाइन भी उपलब्ध है.

पहाड़ी टोपियां पश्मीना, ऊनी पट्टी, रंगीन और लाल मखमल से तैयार की जाती हैं. समय के साथ-साथ टोपियों में राजनीतिक रंग भी चढ़ा. हरी पट्टी वाली टोपी को कांग्रेस और मैरून कलर की टोपी को भाजपा नेता इस्तेमाल में लाने लगे. हालांकि जयराम सरकार आते ही मुख्यमंत्री ने ऐलान किया है कि टोपियों की राजनीति को खत्म किया जाएगा. मौजूदा समय में सीएम जयराम दोनों रंगों की टोपी इस्तेमाल में लाते हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी पहाड़ी टोपी के मुरीद हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिमाचल आने पर टोपी पहनते नजर आते हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी जब इजराइल दौरे पर थे तब भी वो हिमाचली टोपी में नजर आए थे.
कुल्लू के भुट्टिको के कारीगर और प्रबंधकों ने राष्ट्रपति भवन जाकर रामनाथ कोविंद को कुल्लवी टोपी भेंट की थी, जिसके बाद भुट्टिको के कारीगर नूप राम ने राष्ट्रपति के निजी दर्जी की मशीन में ही करीब 3 घंटे के अंदर महामहिम के नाप की टोपी तैयार कर राष्ट्रपति को भेंट की. राष्ट्रपति को ये टोपी इतनी पसंद आई कि उन्होंने तीन टोपियों का और ऑर्डर दे दिया.

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इसके साथ ही पूर्व पीएम स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को भी हिमाचली टोपी खूब भाती थी और बहुत से समारोहों में वे इसे पहना करते थे. वहीं, सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी हिमाचली टोपी को पसंद करते हैं. इन सब के साथ-साथ बहुत बड़ी हस्तियां पहाड़ी टोपियों की मुरीद हैं. बता दें कि हिमाचली टोपियां प्रदेश के गर्व से भी जुड़ी हुई हैं. अप्पर हिमाचल समते प्रदेश के कई हिस्सों में ये मेहमानों के सम्मान, विवाह और अन्य उत्सवों के दौरान विशेष स्थान रखती हैं. हिमाचली लोग आज अपने राज्य में अन्य राज्यों से आए मेहमानों को पहाड़ी टोपी से सम्मानित करते हैं.

हिमाचल में विशेषकर तीन तरह की टोपियां इस्तेमाल में लाई जाती हैं. बुशहरी टोपी हिमाचल के रामपुर, बुशहर क्षेत्र से जुड़ी हुई है. 20वीं शताब्दी की शुरुआत से इस टोपी का उपयोग काफी बढ़ गया था. करीब सभी लोगों ने इस टोपी को पहनने में गर्व महसूस किया. बुशहर व किन्नौरी टोपी देखने में एक जैसी होती हैं.

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हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में शादी समारोह में बारातियों को ये टोपियां पहनाई जाती हैं. इसके साथ टोपी पर एक जंगली फूल भी लगाया जाता है. जिसे किन्नौरी भाषा में चमका-ऊ भी कहते हैं. इस फूल को लगाने से टोपी की शान और भी बढ़ जाती है.
कुल्लूवी टोपी अधिकतर जिला कुल्लू में रहने वाले लोगों द्वारा पहनी जाती है. इस टोपी में रंगबिरंगे मखमल का प्रयोग किया जाता है. वर्तमान में इन टोपियों की पहचान भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है.

Intro:इजराइल में प्रधानमंत्री मोदी के सर जो सजी थी, उस टोपी की धमक अब पूरी दुनिया में।

जिस टोपी की ब्रांडिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इजरायल दौरे के दौरान की थी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जिसे पहन कर 26 जनवरी को राजपथ से सलामी ली थी आजकल उस टोपी की धमक पूरी दुनिया छाई है।

हिमाचली संस्कृति और पहनावे की पहचान हिमाचली टोपी प्रदेश और देश की सीमाओं को लांघते हुए विदेशी कदरदानो को भी खूब पसंद आ रही है। अब इसे हिमाचली टोपी की दिवानगी कहें या प्रदेश सरकार की इंवेस्टिर मीट का असर पर इन दिनों हिमाचली टोपी देश दुनिया मे अपनी पहचान छोड़ रही है।


Body:सर्द हवाओं और कड़ाके की ठंड से सिर को बचाने के लिए पहाड़ी टोपी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई सालों से पहने जाने वाली यह टोपी धीरे धीरे प्रदेश वासियों के पहनावे का एक अहम हिस्सा बन गयी। प्रदेश के लोग शादियों त्योहारों और अन्य शुभ अवसरों पर पहाड़ी टोपी पहनते हैं।

अगर पहाड़ी टोपी के विभिन्न प्रकारों की बात करें तो कुल्लवी टोपी के विकास और प्रचार में सहकारी आंदलोन के संस्थापक ठाकुर देव राम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कुल्लू मनाली आने वाले पर्यटकों बड़ी संख्या में कुल्लवी टोपी और शाल ख़रीदकर बतौर निशानी ले जाते हैं । बुशहरी टोपी भी हिमाचल में बहुत प्रचलित है। इसका इतिहास रामपुर बुशहर रियासत से जुड़ा हुआ है। किन्नौरी टोपी भी हिमाचल में खासी प्रचलित है। यह अधिकतर किन्नौरी जिला और आसपास के क्षेत्रों में पहनी जाती है।

हिमाचली टोपी तो प्रसिद्ध करने में प्रदेश की राजनीति का भी खासा योगदान रहा है। लम्बे समय तक कांग्रेस समर्थक हरी और भाजपा समर्थक लाल रंग की पट्टी वाली टोपी पहनते रहे हैं। टोपी की राजनीति का असर आज भी देखा जा सकता है। दरअसल कांग्रेस के लंबे समय से नेता वीरभद्र सिंह आजादी से पहले रामपुर बुशहर रियासत के राजा थे और किन्नौर भी उनकी रियासत का महत्वपूर्ण भाग था इस रियासत में बुशहर टोपी काफी प्रचलित है। वीरभद्र सिंह भी बुशहरी टोपी पहनते थे और यह टोपी धीरे धीरे हिमाचल में कांग्रेस की पहचान बन गई।


Conclusion:
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