शिमला: इतिहास में 15 अक्टूबर का दिन भारत के मिसाइल और परमाणु हथियार कार्यक्रम को फौलादी और अभेद बनाने वाले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है. बेहद सहज और सरल व्यक्तित्व वाले मृदुभाषी कलाम की रहनुमाई में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने सबसे घातक और मारक हथियार प्रणालियों का देश में ही विकास किया. 15 अक्टूबर 1931 को जन्मे कलाम देश के युवाओं को देश की सच्ची पूंजी मानते थे और बच्चों को हमेशा बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करते थे.
मिसाइल मैन के नाम से विख्यात पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 23 दिसंबर 2004 को हिमाचल विधानसभा को संबोधित किया था. उस समय प्रदेश में वीरभद्र सिंह ( Virbhadra Singh)के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी और गंगूराम मुसाफिर विधानसभा के अध्यक्ष थे. तब वीरभद्र सिंह ने एपीजे कलाम की हिमाचल यात्रा से संबंधित स्मृतियों को अपनी फेसबुक वॉल (Facebook Wall) पर भी शेयर किया था. एपीजे अब्दुल कलाम के मन में हिमाचल के प्रति खूब आकर्षण था.
दूरदर्शी व्यक्तित्व के मालिक मिसाइल मैन छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल की क्षमताओं और सीमाओं को जानते थे. वह जानते थे कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियां और सीमित आर्थिक संसाधनों के बीच हिमाचल के लिए विकास का रास्ता आसान नहीं है. उन्होंने हिमाचल के विकास के लिए नौ मंत्र बताए थे.
वह चाहते थे कि छोटा पहाड़ी राज्य होने के बावजूद हिमाचल विकास के रास्ते पर बड़े कदम रखे. तब हिमाचल आने पर विधानसभा में अपने यादगार भाषण में कलाम ने देवभूमि को तरक्की और समृद्धि के रास्ते पर तीव्र गति से चलने के लिए नौ मंत्र बताए थे. कलाम ने विकास के लिए नौ सूत्र देते हुए कहा था कि हिमाचल को साक्षरता, कौशल विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा, ग्रामीणों को शहरी इलाकों जैसी सुविधाएं प्रदान करना, मेडिसिनल-हॉर्टिकल्चर, एरोमैटिक प्लांट्स सहित सघन बागवानी, जल स्रोतों का प्रबंधन, जलविद्युत क्षमता का वैज्ञानिक दोहन, इनफार्मेशन एंड कम्युनिकेशन तकनीक (आईसीटी), पर्यटन व मूल्य वर्धित वस्त्र उद्योग पर ध्यान देना होगा.
उन्होंने इन सूत्रों पर विस्तार के साथ अपना मत व्यक्त किया था. हिमाचल विधानसभा में सदस्यों को संबोधित करते हुए कलाम ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि जनता की सेवा का उन्हें मौका मिला है. कलाम ने शिमला में एक पौधा भी रोपा था. इसके अलावा उन्होंने राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ(State Guest House Peterhof) में एनसीसी कैडेट्स (NCC Cadets) और एनएसएस के स्वयंसेवकों सहित बच्चों को भी मूल्यवान बातें बताई थीं. इन सभी अवसरों पर उन्होंने हिमाचल की खूबसूरती के यहां के शांत वातावरण का जिक्र करते हुए राज्य के लोगों के मेहनतकश स्वभाव को खूब सराहा था.
हिमाचल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अनुसार एपीजे अब्दुल कलाम भारत मां के सच्चे सपूत थे. वीरभद्र सिंह ने अपनी फेसबुक वॉल पर कलाम के चित्र भी पोस्ट किए थे. तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर के मुताबिक कलाम के व्यक्तित्व में गजब का आकर्षण था. शिमला के सरोग गांव (Sarog Village) में हिमाचल की लोक संस्कृति के कायल हुए थे. कलाम ने दिसंबर 2004 में ही राष्ट्रपति के अपने कार्यकाल के दौरान कलाम ने हिमाचल का एक गांव देखने की इच्छा जताई थी.
कलाम के दौरे के लिए शिमला जिला का सरोग गांव चुना गया. उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार (BJP government) थी. तब भाजपा नेता और प्रेम कुमार धूमल (Prem Kumar Dhumal) सरकार में कैबिनेट मंत्री, नरेंद्र बरागटा राष्ट्रपति के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग थे. एपीजे कलाम के सम्मुख लोकनृत्य, लोकगीत पेश किए गए. लोक नृत्य चोल्टू व ठोडा पेश किया गया.
मिनिस्टर इन वेटिंग नरेंद्र बरागटा ने राष्ट्रपति कलाम को तब चोल्टू नृत्य व ठोडा के लोक व सांस्कृतिक पक्ष की जानकारी दी. बाद में हिमाचल के ख्याति प्राप्त लोकगायक किशन वर्मा (Folk singer Kishan Verma) ने एपीजे कलाम के समक्ष अपनी मंडली के साथ एक लोकगीत (Folk song) पेश किया. लोकगीत के बोल थे- 'मेरिए साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू...' तब नरेंद्र बरागटा ने ही इस लोकगीत का अनुवाद कर कलाम को समझाया था. कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से परिचित करवाने के लिए पारंपरिक लोकनृत्य ठोडा खेला गया. साथ ही चोल्टू नृत्य भी पेश किया गया.
लोकगायक किशन वर्मा ने अपनी मधुर आवाज में 'मेरी साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू, गाया.' उन्होंने ढीली नाटी (लोकगीतों का एक प्रकार) भी प्रस्तुत की थी. कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग के तौर पर मौजूद भाजपा नेता (अब स्वर्गीय) नरेंद्र बरागटा ने उन्हें लोकगीतों का मतलब समझाया था. कलाम ने उत्सुकता के साथ हिमाचल के संदर्भ में अनेक बातें पूछी थीं. खासकर लोक संस्कृति को लेकर वे बहुत जिज्ञासापूर्ण सवाल करते रहे.
उन्होंने देव वाद्य यंत्रों को लेकर भी कई सवाल पूछे थे. इसके अलावा कलाम ने सोलन और हमीरपुर का भी दौरा किया था. वह कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर (Agricultural University Palampur) भी गए थे.
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