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Snowfall in Himachal Pradesh: हिमाचल के लिए सौगात है बर्फ, पर्यटन से लेकर बागवानी तक को मिलती है संजीवनी

हिमाचल में कुल जीडीपी का 13. 62 फीसदी कृषि सेक्टर का है. इसके अलावा पांच हजार करोड़ रुपये सालाना का कारोबार सेब व स्टोन फ्रूट का है. इन सबको बर्फबारी (Snowfall in Himachal Pradesh) का इंतजार रहता है. हालांकि अभी भविष्य में और बर्फबारी की उम्मीद है, ताकि पौधों (Snowfall benefits apple crop) के चिलिंग आवर्स पूरे हो सकें.

Snowfall in Himachal Pradesh, हिमाचल में बर्फबारी, tourists in himachal
Snowfall in Himachal Pradesh
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Published : Jan 10, 2022, 6:24 PM IST

Updated : Jan 10, 2022, 9:58 PM IST

शिमला: बर्फ हिमाचल के लिए आफत ही नहीं सौगात भी है. खेती-बागवानी का सेक्टर अच्छी बर्फबारी पर टिका है. बर्फबारी टूरिज्म सेक्टर के लिए (Snowfall in Himachal Pradesh) भी वरदान है. हिमाचल में कुल जीडीपी का 13. 62 फीसदी कृषि सेक्टर का है. इसके अलावा पांच हजार करोड़ रुपये सालाना का कारोबार सेब व स्टोन फ्रूट का है. इन सबको बर्फबारी का इंतजार रहता है. इस बार जनवरी के महीने में अच्छी बर्फबारी हो रही है. हिमाचल की नब्बे फीसदी आबादी खेती और बागवानी पर निर्भर है.

नौणी यूनिवर्सिटी (Nauni University Solan) में स्टोन फ्रूट डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर धर्मपाल शर्मा ने कहा कि साल की शुरुआत में हो रही बर्फबारी किसानों और बागवानों के लिए बहुत लाभदायक है. उनका कहना है कि इस बार ड्राई स्पेल कुछ लंबा हो गया था. जिससे कि पौधों को भविष्य में नुकसान हो सकता था, लेकिन बर्फबारी होने के कारण अब ड्राई स्पेल खत्म हो गया है और चिलिंग आवर्स की जो जरूरत पौधों को रहती है वह भी पूरी होने में सहायता मिलेगी.

हालांकि अभी भविष्य में और बर्फबारी की उम्मीद है, ताकि पौधों (Snowfall benefits apple crop) के चिलिंग आवर्स (chilling hours) पूरे हो सकें. प्रोफेसर धर्मपाल शर्मा ने बागवानों को प्रूनिंग और कटिंग के कार्य जल्द पूरा करने को कहा है उनका कहना है कि बर्फबारी होने के बाद अब बागवानों को पौधों की काट छांट (Apple pruning work in Himachal) का कार्य पूरा कर लेना चाहिए. वैसे धर्मपाल शर्मा ने बोडो मिक्चर कॉपी करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि बागवान टीएसओ की स्प्रे भी कर सकते हैं.

Snowfall in Himachal Pradesh, हिमाचल में बर्फबारी, tourists in himachal
फोटो.

उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार समय से बर्फबरी होने से पौधों में अच्छी फ्लावरिंग होगी. जहां तक चिलिंग आवर की बात है. इसकी आवश्यकता सभी पौधों में अलग-अलग होती है, लेकिन ऐसे सभी पौधे जिनके पत्ते झड़ते हैं उन्हें चिलिंग आवर्स की आवश्यकता रहती है. सेब (Apple crop in Himachal Pradesh) से शुरुआत करें तो प्रदेश में सालाना औसतन चार हजार करोड़ से अधिक सेब उत्पादन होता है.

सेब के पौधे में अच्छे फूल लगने के लिए 1200 से 1600 चिलिंग आवर्स जरूरी है. जनवरी में अच्छी बर्फबारी हो जाए तो यह चिलिंग आवर्स पूरे हो जाते हैं. दिसंबर से लेकर मार्च तक के चार महीनों में 1200 से 1600 चिलिंग आवर्स यानी इतने सर्द घंटे पूरे हों तो सेब के पौधों में नए प्राण आ जाते हैं. इन आवर्स पर ही हिमाचल के चार लाख बागवानों की उम्मीदें और चार हजार करोड़ का सेब कारोबार टिका है. इसके लिए दिसंबर और जनवरी में बारिश व बर्फबारी शुरू हो जाए तो आगामी समय में भी बर्फबारी के आसार के कारण चिलिंग आवर्स तय समय में पूरे हो जाते हैं. जिस तरह शरीर के लिए प्राण जरूरी है, वैसे ही सेब की सेहत के लिए चिलिंग आवर्स जरूरी है. सेब के पौधे में फल लगने के लिए सात डिग्री सेल्सियस से कम तापमान बेहद जरूरी है.

Snowfall in Himachal Pradesh, हिमाचल में बर्फबारी, tourists in himachal
फोटो.

सेब के पौधे दिसंबर माह में सुप्त अवस्था में होते हैं. उन्हें इस अवस्था से बाहर आने के लिए सात डिग्री सेल्सियस का तापमान औसतन 1200 से 1600 घंटे तक चाहिए. ये सर्द घंटे चार माह में पूरे हो जाने चाहिए. यदि चार माह में जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएं तो सेब के पौधों में फल की सेटिंग बहुत अच्छी होती है और उत्पादन बंपर होता है. जब चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएं तो सेब की फ्लावरिंग (Apple Flowering In Himachal) बेहतर होगी और फल की क्वालिटी भी अच्छी होती है.

यदि मौसम दगा दे जाए और चिलिंग आवर्स पूरे न हों तो पौधों में कहीं फूल अधिक आ जाते हैं और कहीं कम. इससे फलों की सेटिंग प्रभावित हो जाती है. डालियों में फल भी नहीं लगता. हिमाचल प्रदेश में चार लाख बागवान परिवार हैं. सबसे अधिक सेब (apple business in himachal) शिमला जिले में होता है. इसके अलावा कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर में भी सेब का उत्पादन होता है.

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हिमाचल में सालाना चार से पांच करोड़ पेटी सेब होता है. एक सेब सीजन में चार हजार करोड़ से अधिक का कारोबार होता है. युवा बागवान मनोज चौहान के अनुसार जनवरी में इस बार मौसम के आसार अच्छे हैं. चिलिंग आवर्स पूरा होने से किसानों बागवानों को लाभ होगा. उनका कहना है कि जिस समय चिलिंग आवर्स पूरे हो जाते हैं, पौधों की सुप्त अवस्था पूरी हो जाती है. जिस समय पौधे सुप्त अवस्था यानी डोरमेंसी में होते हैं, पौधों में मौजूद पोषक तत्व जड़ों की तरफ चले जाते हैं. जब चिलिंग आवर्स पूरे होने पर पौधे की सुप्त अवस्था टूटती है और पोषक तत्व फिर से सारे पौधे में एक समान होकर फैल जाते हैं. यदि चिलिंग आवर्स पूरे न हों तो पौधे के पोषक तत्व एक समान नहीं फैलते. इससे पौधों में फूल अच्छे से नहीं आते और फल की सेटिंग भी ठीक नहीं होती.

यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2007 से पिछले साल तक की अवधि में सिर्फ वर्ष 2008, 2009 व 2011 में ही दिसंबर में शिमला में हिमपात नहीं हुआ है. वर्ष 2014 में तो 14,15 व 16 दिसंबर को लगातार तीन दिन तक शिमला (Total apple orchards in Himachal) ने बर्फबारी का आनंद लिया था. दिसंबर की बर्फ की एक खासियत ये भी है कि इस महीने में पड़ने वाली बर्फ लंबे समय तक धरती पर टिकती है. विशेष रूप से किसानी और बागवानी के लिए ये बर्फ बहुत फायदेमंद होती है. इससे जमीन की नमी बढ़ती है.

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ये भी पढ़ें- सोलन में बारिश बनी आफत: कालका-शिमला एनएच पर गिरी चट्टान, टला बड़ा हादसा

सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स भी पूरे होने के आसार बढ़ते हैं. फिर बर्फ का दीदार करने के लिए देश-विदेश से सैलानी हिमाचल की ओर उमड़ते हैं. इससे पर्यटन कारोबार भी चमकता है. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में वर्ष 2007 में 14 व 15 दिसंबर को बर्फ गिरी. फिर दो साल के सूखे के बाद वर्ष 2010 में 31 दिसंबर को हिमपात हुआ.

फिर एक साल मौसम ने निराश किया, लेकिन वर्ष 2012 में फिर से 12 व 14 दिसंबर को हिमपात हुआ. वर्ष 2013 में 22 व 23 दिसंबर को, वर्ष 2014 में 14,15 व 16 दिसंबर, वर्ष 2015 में 24 दिसंबर यानी क्रिसमस से एक दिन पहले शिमला में बर्फ गिरी. 2015 के बाद भी दिसंबर या जनवरी महीने में बर्फ गिरती रही है. हिमाचल की आर्थिकी में सेब का महत्वपूर्ण योगदान है.

Snowfall in Himachal Pradesh, हिमाचल में बर्फबारी, tourists in himachal
Snowfall in Himachal Pradesh

बागवानी विशेषज्ञों के मुताबिक आजकल स्टोन फ्रूट्स के लिए बर्फबारी वरदान से कम नहीं है मार्च तक बारिश और बर्फबारी स्टोन फ्रूट्स के बेहतर मानी जाती है, लेकिन करीब 15 मार्च के बाद स्टोन फ्रूट्स में फ्लावरिंग होती है. यह इनके लिए बेहद संवेदनशील समय होता है. इस दौरान तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक रहना चहिए. तभी स्टोन फ्रूट की सेंटिग हो पाएगी. स्टोन फ्रूट में बादाम, प्लम, खुमानी, आड़ू इत्यादि आते हैं.

इसके अलावा बर्फबारी से पर्यटन क्षेत्र को भी अच्छा खासा (tourists in himachal) लाभ पहुंचता है. भारी संख्या में पड़ोसी राज्यों और विदेशों से पर्यटक हिमाचल पहुंचते हैं. इस बार भी कोरोना संक्रमण के कारण लंबे समय तक पर्यटन क्षेत्र प्रभावी रहा है, लेकिन इस बार उम्मीद है कि अब बर्फबारी के कारण फिर से होटल फुल रहेंगे. पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों के लिए बर्फ मुनाफा लेकर आती है. हिमाचल प्रदेश में पर्यटन का राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण स्थान है. पर्यटन को भविष्य में आर्थिक विकास के प्रमुख स्रोत के रुप में देखा जा रहा है. हिमाचल के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 7 फीसदी है. वर्ष, 2020-21 में कोविड-19 महामारी के पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है.

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वर्ष 2019-20 में 1 करोड़ 72 लाख 12 हजार 107 पर्यटक हिमाचल प्रदेश आए. इनमें 1,68,29.231 भारतीय और 3,82,876 विदेशी पर्यटक शामिल थे. वर्ष 2020-21 में कुल 32,13,379 पर्यटक हिमाचल प्रदेश आए. सरकारी क्षेत्र की बात करें तो पर्यटन विकास निगम के तहत राज्य में होटल, रेस्तरां की सबसे बड़ी चेन है. जिसमें 54 होटल हैं, जिनमें 2,275 बेड वाले 983 कमरे हैं.

ये भी पढ़ें- बर्फबारी के बाद अब लाहौल घाटी में हिमस्खलन का खतरा, जिला प्रशासन ने जारी किया अलर्ट

शिमला: बर्फ हिमाचल के लिए आफत ही नहीं सौगात भी है. खेती-बागवानी का सेक्टर अच्छी बर्फबारी पर टिका है. बर्फबारी टूरिज्म सेक्टर के लिए (Snowfall in Himachal Pradesh) भी वरदान है. हिमाचल में कुल जीडीपी का 13. 62 फीसदी कृषि सेक्टर का है. इसके अलावा पांच हजार करोड़ रुपये सालाना का कारोबार सेब व स्टोन फ्रूट का है. इन सबको बर्फबारी का इंतजार रहता है. इस बार जनवरी के महीने में अच्छी बर्फबारी हो रही है. हिमाचल की नब्बे फीसदी आबादी खेती और बागवानी पर निर्भर है.

नौणी यूनिवर्सिटी (Nauni University Solan) में स्टोन फ्रूट डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर धर्मपाल शर्मा ने कहा कि साल की शुरुआत में हो रही बर्फबारी किसानों और बागवानों के लिए बहुत लाभदायक है. उनका कहना है कि इस बार ड्राई स्पेल कुछ लंबा हो गया था. जिससे कि पौधों को भविष्य में नुकसान हो सकता था, लेकिन बर्फबारी होने के कारण अब ड्राई स्पेल खत्म हो गया है और चिलिंग आवर्स की जो जरूरत पौधों को रहती है वह भी पूरी होने में सहायता मिलेगी.

हालांकि अभी भविष्य में और बर्फबारी की उम्मीद है, ताकि पौधों (Snowfall benefits apple crop) के चिलिंग आवर्स (chilling hours) पूरे हो सकें. प्रोफेसर धर्मपाल शर्मा ने बागवानों को प्रूनिंग और कटिंग के कार्य जल्द पूरा करने को कहा है उनका कहना है कि बर्फबारी होने के बाद अब बागवानों को पौधों की काट छांट (Apple pruning work in Himachal) का कार्य पूरा कर लेना चाहिए. वैसे धर्मपाल शर्मा ने बोडो मिक्चर कॉपी करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि बागवान टीएसओ की स्प्रे भी कर सकते हैं.

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उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार समय से बर्फबरी होने से पौधों में अच्छी फ्लावरिंग होगी. जहां तक चिलिंग आवर की बात है. इसकी आवश्यकता सभी पौधों में अलग-अलग होती है, लेकिन ऐसे सभी पौधे जिनके पत्ते झड़ते हैं उन्हें चिलिंग आवर्स की आवश्यकता रहती है. सेब (Apple crop in Himachal Pradesh) से शुरुआत करें तो प्रदेश में सालाना औसतन चार हजार करोड़ से अधिक सेब उत्पादन होता है.

सेब के पौधे में अच्छे फूल लगने के लिए 1200 से 1600 चिलिंग आवर्स जरूरी है. जनवरी में अच्छी बर्फबारी हो जाए तो यह चिलिंग आवर्स पूरे हो जाते हैं. दिसंबर से लेकर मार्च तक के चार महीनों में 1200 से 1600 चिलिंग आवर्स यानी इतने सर्द घंटे पूरे हों तो सेब के पौधों में नए प्राण आ जाते हैं. इन आवर्स पर ही हिमाचल के चार लाख बागवानों की उम्मीदें और चार हजार करोड़ का सेब कारोबार टिका है. इसके लिए दिसंबर और जनवरी में बारिश व बर्फबारी शुरू हो जाए तो आगामी समय में भी बर्फबारी के आसार के कारण चिलिंग आवर्स तय समय में पूरे हो जाते हैं. जिस तरह शरीर के लिए प्राण जरूरी है, वैसे ही सेब की सेहत के लिए चिलिंग आवर्स जरूरी है. सेब के पौधे में फल लगने के लिए सात डिग्री सेल्सियस से कम तापमान बेहद जरूरी है.

Snowfall in Himachal Pradesh, हिमाचल में बर्फबारी, tourists in himachal
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सेब के पौधे दिसंबर माह में सुप्त अवस्था में होते हैं. उन्हें इस अवस्था से बाहर आने के लिए सात डिग्री सेल्सियस का तापमान औसतन 1200 से 1600 घंटे तक चाहिए. ये सर्द घंटे चार माह में पूरे हो जाने चाहिए. यदि चार माह में जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएं तो सेब के पौधों में फल की सेटिंग बहुत अच्छी होती है और उत्पादन बंपर होता है. जब चिलिंग आवर्स पूरे हो जाएं तो सेब की फ्लावरिंग (Apple Flowering In Himachal) बेहतर होगी और फल की क्वालिटी भी अच्छी होती है.

यदि मौसम दगा दे जाए और चिलिंग आवर्स पूरे न हों तो पौधों में कहीं फूल अधिक आ जाते हैं और कहीं कम. इससे फलों की सेटिंग प्रभावित हो जाती है. डालियों में फल भी नहीं लगता. हिमाचल प्रदेश में चार लाख बागवान परिवार हैं. सबसे अधिक सेब (apple business in himachal) शिमला जिले में होता है. इसके अलावा कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर में भी सेब का उत्पादन होता है.

Snowfall in Himachal Pradesh, हिमाचल में बर्फबारी, tourists in himachal
Snowfall in Himachal Pradesh

हिमाचल में सालाना चार से पांच करोड़ पेटी सेब होता है. एक सेब सीजन में चार हजार करोड़ से अधिक का कारोबार होता है. युवा बागवान मनोज चौहान के अनुसार जनवरी में इस बार मौसम के आसार अच्छे हैं. चिलिंग आवर्स पूरा होने से किसानों बागवानों को लाभ होगा. उनका कहना है कि जिस समय चिलिंग आवर्स पूरे हो जाते हैं, पौधों की सुप्त अवस्था पूरी हो जाती है. जिस समय पौधे सुप्त अवस्था यानी डोरमेंसी में होते हैं, पौधों में मौजूद पोषक तत्व जड़ों की तरफ चले जाते हैं. जब चिलिंग आवर्स पूरे होने पर पौधे की सुप्त अवस्था टूटती है और पोषक तत्व फिर से सारे पौधे में एक समान होकर फैल जाते हैं. यदि चिलिंग आवर्स पूरे न हों तो पौधे के पोषक तत्व एक समान नहीं फैलते. इससे पौधों में फूल अच्छे से नहीं आते और फल की सेटिंग भी ठीक नहीं होती.

यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2007 से पिछले साल तक की अवधि में सिर्फ वर्ष 2008, 2009 व 2011 में ही दिसंबर में शिमला में हिमपात नहीं हुआ है. वर्ष 2014 में तो 14,15 व 16 दिसंबर को लगातार तीन दिन तक शिमला (Total apple orchards in Himachal) ने बर्फबारी का आनंद लिया था. दिसंबर की बर्फ की एक खासियत ये भी है कि इस महीने में पड़ने वाली बर्फ लंबे समय तक धरती पर टिकती है. विशेष रूप से किसानी और बागवानी के लिए ये बर्फ बहुत फायदेमंद होती है. इससे जमीन की नमी बढ़ती है.

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ये भी पढ़ें- सोलन में बारिश बनी आफत: कालका-शिमला एनएच पर गिरी चट्टान, टला बड़ा हादसा

सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स भी पूरे होने के आसार बढ़ते हैं. फिर बर्फ का दीदार करने के लिए देश-विदेश से सैलानी हिमाचल की ओर उमड़ते हैं. इससे पर्यटन कारोबार भी चमकता है. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में वर्ष 2007 में 14 व 15 दिसंबर को बर्फ गिरी. फिर दो साल के सूखे के बाद वर्ष 2010 में 31 दिसंबर को हिमपात हुआ.

फिर एक साल मौसम ने निराश किया, लेकिन वर्ष 2012 में फिर से 12 व 14 दिसंबर को हिमपात हुआ. वर्ष 2013 में 22 व 23 दिसंबर को, वर्ष 2014 में 14,15 व 16 दिसंबर, वर्ष 2015 में 24 दिसंबर यानी क्रिसमस से एक दिन पहले शिमला में बर्फ गिरी. 2015 के बाद भी दिसंबर या जनवरी महीने में बर्फ गिरती रही है. हिमाचल की आर्थिकी में सेब का महत्वपूर्ण योगदान है.

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बागवानी विशेषज्ञों के मुताबिक आजकल स्टोन फ्रूट्स के लिए बर्फबारी वरदान से कम नहीं है मार्च तक बारिश और बर्फबारी स्टोन फ्रूट्स के बेहतर मानी जाती है, लेकिन करीब 15 मार्च के बाद स्टोन फ्रूट्स में फ्लावरिंग होती है. यह इनके लिए बेहद संवेदनशील समय होता है. इस दौरान तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक रहना चहिए. तभी स्टोन फ्रूट की सेंटिग हो पाएगी. स्टोन फ्रूट में बादाम, प्लम, खुमानी, आड़ू इत्यादि आते हैं.

इसके अलावा बर्फबारी से पर्यटन क्षेत्र को भी अच्छा खासा (tourists in himachal) लाभ पहुंचता है. भारी संख्या में पड़ोसी राज्यों और विदेशों से पर्यटक हिमाचल पहुंचते हैं. इस बार भी कोरोना संक्रमण के कारण लंबे समय तक पर्यटन क्षेत्र प्रभावी रहा है, लेकिन इस बार उम्मीद है कि अब बर्फबारी के कारण फिर से होटल फुल रहेंगे. पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों के लिए बर्फ मुनाफा लेकर आती है. हिमाचल प्रदेश में पर्यटन का राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण स्थान है. पर्यटन को भविष्य में आर्थिक विकास के प्रमुख स्रोत के रुप में देखा जा रहा है. हिमाचल के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 7 फीसदी है. वर्ष, 2020-21 में कोविड-19 महामारी के पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है.

Snowfall in Himachal Pradesh, हिमाचल में बर्फबारी, tourists in himachal
फोटो.

वर्ष 2019-20 में 1 करोड़ 72 लाख 12 हजार 107 पर्यटक हिमाचल प्रदेश आए. इनमें 1,68,29.231 भारतीय और 3,82,876 विदेशी पर्यटक शामिल थे. वर्ष 2020-21 में कुल 32,13,379 पर्यटक हिमाचल प्रदेश आए. सरकारी क्षेत्र की बात करें तो पर्यटन विकास निगम के तहत राज्य में होटल, रेस्तरां की सबसे बड़ी चेन है. जिसमें 54 होटल हैं, जिनमें 2,275 बेड वाले 983 कमरे हैं.

ये भी पढ़ें- बर्फबारी के बाद अब लाहौल घाटी में हिमस्खलन का खतरा, जिला प्रशासन ने जारी किया अलर्ट

Last Updated : Jan 10, 2022, 9:58 PM IST
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