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हिंदुस्तान के आखिरी गांव छितकुल में बर्फबारी, तापमान में भारी गिरावट

हिंदुस्तान के आखिरी गांव छितकुल में बर्फबारी होने के कारण ठंड बढ़ गई. वहीं, प्रशासन ने पर्यटकों को भी मौसम अनुकूल होने तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों की तरफ नहीं जाने की हिदायत दी है.

छितकुल
छितकुल
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Published : Oct 18, 2021, 3:16 PM IST

किन्नौर: जिले के छितकुल गांव(Chitkul Village) जिसे देश का आखिरी गांव भी माना जाता है. सोमवार को यहां बर्फबारी(snowfall) का दौर शुरू हो गया,जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश का दौर लगातार जारी है. छितकुल में बर्फबारी शुरू होते ही तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई. पूर्व प्रधान अरविंद नेगी(Former President Arvind Negi) ने बताया कि आज सुबह से ही बर्फबारी का दौर शुरू हुआ, जिसके चलते ठंड ज्यादा बढ़ गई. वही, तापमान शून्य तक पहुंच गया.

बर्फबारी के चलते ऊंचाई वाले क्षेत्रों में नकदी फसल ओगला,फाफड़ा,आलू,मटर आदि खराब होने की आशंका बढ़ गई, जिससे किसानों को नुकसान होने से इंकार नहीं किया जा सकता. बता दें कि छितकुल में बर्फबारी के चलते लोग अब घरों के अंदर दुबक गए और फिलहाल प्रशासन ने पर्यटकों को भी मौसम अनुकूल होने तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों की तरफ नहीं जाने की हिदायत दी.

वीडियो

छितकुल की भौगोलिक परिस्थिति: छितकुल गांव की सीमा सांगला वैली से 18 किलोमीटर आगे तिब्बत बॉर्डर से लगती है. गांव के मध्य अधिकतर भाग पर पानी है. छितकुल में अगस्त के बाद कड़ाके की सर्दी पड़ना शुरू हो जाती है. गांव में अगस्त के बाद लोग ठंड से बचने के लिए आग जलाना शुरू कर देते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में बुखारी जलाना कहा जाता है. सर्दियों के दिनों में गांव की महिलाएं एक साथ बुखारी सेंकती है. किन्नौर में सभी ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य फसल सेब है, लेकिन छितकुल एक ऐसा गांव हैं, जहां सेब नहीं होते. अधिक ऊंचाई और ठंड की वजह से यहां सेब के पौधे सफल नहीं होते. ग्रामीणों की मुख्य फसल ओगला व फाफड़ा है. छितकुल में चौड़े-चौड़े खेतों में लहलहाते रंग-बिरंगे ओगला, फाफड़ा की फसल पर्यटकों का मन मोह लेती है.

हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा: छितकुल गांव में हर साल 22 हजार की तादाद में पर्यटक आते हैं. छितकुल में हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा, बर्फ से ढकी ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, बसपा नदी के आसपास बने हट्स, छितकुल देवी का मंदिर, स्थानीय ग्रामीणों के सैकड़ों वर्ष पुराने लकड़ी के मकान, ट्रेकिंग प्वॉइंट, रानी कंडा, बॉर्डर पर आईटीबीपी कैंप, लहलहाते ओगला-फाफड़ा के खेत, स्थानीय देवी का किला, लालनती स्थल मुख्य आकर्षण का केंद्र है.

संचार सुविधा न के बराबर: कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण छितकुल घुमने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. छितकुल में संचार सुविधा न के बराबर है. छितकुल जाने वाली सड़कों की हालत बेहद खस्ता है.छितकुल में करीब 16 फीट बर्फबारी होती है और चार महीने तक इस गांव के लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. ऐसे में गांव में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव में केवल बीएसएनएल संचार सुविधा है. आज के समय में जहां दुनियां 5जी नेटवर्क से रुबरू होने वाली है वहीं, घाटी में 2जी नेटवर्क की सुविधाएं भी ढंग से नहीं मिल पाती.

ये भी पढ़ें :हिमाचल में बारिश और बर्फबारी का दौर जारी, शीतलहर की चपेट में आया प्रदेश

किन्नौर: जिले के छितकुल गांव(Chitkul Village) जिसे देश का आखिरी गांव भी माना जाता है. सोमवार को यहां बर्फबारी(snowfall) का दौर शुरू हो गया,जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश का दौर लगातार जारी है. छितकुल में बर्फबारी शुरू होते ही तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई. पूर्व प्रधान अरविंद नेगी(Former President Arvind Negi) ने बताया कि आज सुबह से ही बर्फबारी का दौर शुरू हुआ, जिसके चलते ठंड ज्यादा बढ़ गई. वही, तापमान शून्य तक पहुंच गया.

बर्फबारी के चलते ऊंचाई वाले क्षेत्रों में नकदी फसल ओगला,फाफड़ा,आलू,मटर आदि खराब होने की आशंका बढ़ गई, जिससे किसानों को नुकसान होने से इंकार नहीं किया जा सकता. बता दें कि छितकुल में बर्फबारी के चलते लोग अब घरों के अंदर दुबक गए और फिलहाल प्रशासन ने पर्यटकों को भी मौसम अनुकूल होने तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों की तरफ नहीं जाने की हिदायत दी.

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छितकुल की भौगोलिक परिस्थिति: छितकुल गांव की सीमा सांगला वैली से 18 किलोमीटर आगे तिब्बत बॉर्डर से लगती है. गांव के मध्य अधिकतर भाग पर पानी है. छितकुल में अगस्त के बाद कड़ाके की सर्दी पड़ना शुरू हो जाती है. गांव में अगस्त के बाद लोग ठंड से बचने के लिए आग जलाना शुरू कर देते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में बुखारी जलाना कहा जाता है. सर्दियों के दिनों में गांव की महिलाएं एक साथ बुखारी सेंकती है. किन्नौर में सभी ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य फसल सेब है, लेकिन छितकुल एक ऐसा गांव हैं, जहां सेब नहीं होते. अधिक ऊंचाई और ठंड की वजह से यहां सेब के पौधे सफल नहीं होते. ग्रामीणों की मुख्य फसल ओगला व फाफड़ा है. छितकुल में चौड़े-चौड़े खेतों में लहलहाते रंग-बिरंगे ओगला, फाफड़ा की फसल पर्यटकों का मन मोह लेती है.

हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा: छितकुल गांव में हर साल 22 हजार की तादाद में पर्यटक आते हैं. छितकुल में हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा, बर्फ से ढकी ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, बसपा नदी के आसपास बने हट्स, छितकुल देवी का मंदिर, स्थानीय ग्रामीणों के सैकड़ों वर्ष पुराने लकड़ी के मकान, ट्रेकिंग प्वॉइंट, रानी कंडा, बॉर्डर पर आईटीबीपी कैंप, लहलहाते ओगला-फाफड़ा के खेत, स्थानीय देवी का किला, लालनती स्थल मुख्य आकर्षण का केंद्र है.

संचार सुविधा न के बराबर: कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण छितकुल घुमने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. छितकुल में संचार सुविधा न के बराबर है. छितकुल जाने वाली सड़कों की हालत बेहद खस्ता है.छितकुल में करीब 16 फीट बर्फबारी होती है और चार महीने तक इस गांव के लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. ऐसे में गांव में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव में केवल बीएसएनएल संचार सुविधा है. आज के समय में जहां दुनियां 5जी नेटवर्क से रुबरू होने वाली है वहीं, घाटी में 2जी नेटवर्क की सुविधाएं भी ढंग से नहीं मिल पाती.

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