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1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक बैन, हिमाचल में 2009 से हुई थी शुरुआत

केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार देश में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा. हालांकि स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए हिमाचल में इस मुहिम की शुरुआत साल 2009 में ही हो गई थी. वहीं, अब प्रशासन ने सभी दुकानदारों और व्यापारियों को शुक्रवार से सिंगल यूज प्लास्टिक न बेचने के निर्देश (Single use plastic ban in Himachal) दे दिए हैं और 1 जुलाई के बाद यदि कोई सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग करता है या दुकानदार बेचते हैं तो उन पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

Single use plastic ban in Himachal
हिमाचल में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक बैन.
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Published : Jun 30, 2022, 8:12 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में शुक्रवार, 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. व्यपारियों के विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार सख्ती से इसे लागू (Single use plastic ban in Himachal ) कर रही है. प्रदेश में पहली जुलाई से प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड, गुब्बारे में लगी प्लास्टिक स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, कैंडी स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, सजावट में इस्तेमाल होने वाले पोलिस्ट्रीन (थर्माकोल), कटलरी प्लेट, कप, चाकू, ट्रे, गिलास, फोर्क, स्ट्रॉ इत्यादि एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं का निर्माण, यातायात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंधित है.

स्वच्छ भारत मिशन 2.0 (Swachh Bharat Mission) के अन्तर्गत शहरी विकास और ग्रामीण विकास विभाग को अपने सम्बन्धित क्षेत्रों में कूडे़-कचरे के लिए डम्पिंग साइट और सिंगल यूज प्लास्टिक को समाप्त करने के उद्देश्य से प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए. प्रदेश सरकार ने हिमकोस्ट को प्रदेश के विभिन्न जिलों में सैटेलाइट के माध्यम से डम्पिंग साइट तथा जल स्रोतों के निकट कचरे से सम्बन्धित स्थानों को चिन्हित करने के निर्देश भी दिए गए हैं. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक अपशिष्ट का समुचित प्रबन्धन करने को कहा गया है.

पुराना स्टॉक खत्म करने के निर्देश: जो व्यक्ति एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक वाले इन उत्पादों को बेचते हुए पकड़ा गया, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जितनी अधिक प्लास्टिक की मात्रा होगी, उतना ही अधिक राशि का चालान किया जाएगा. सरकार ने 30 जून तक पुराना स्टॉक खत्म करने के निर्देश दे रखे हैं.

हिमाचल ने 2009 से शुरू की मुहिम: हिमाचल को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करान की मुहीम 2009 में उस वक्त व्यावहारिक रूप से शुरू हुई थी जब प्रदेश में प्लास्टिक और पॉलिथीन से बने थैलों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था. इस प्रयास को सफलता पूर्वक लागू करने के बाद वर्तमान सरकार ने प्रदेश में थर्मोकोल से बने कप, प्लेट, ग्लास और चम्मच इत्यादी पर भी रोक लगा दी है. अब देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन किया जा रहा है.

किसे कहते हैं सिंगल यूज प्लास्टिक: सिंगल-यूज प्लास्टिक उसे कहते हैं जिसका हम एक बार ही इस्‍तेमाल करते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में तमाम ऐसे प्‍लास्टिक के प्रोडक्‍ट हैं जिसे हम एक बार इस्‍तेमाल कर फेंक देते हैं. इसी तरह के प्‍लास्टिक को सिंगल यूज प्‍लास्टिक कहा जाता है. इसे डिस्पोजेबल प्‍लास्टिक के नाम से भी जाना जाता है. सिंगल यूज प्‍लास्टिक प्रोडक्‍ट की बात करें तो इसमें- प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स, फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी के डिस्पोजेबल कप्स आदि शामिल हैं.

प्‍लास्टिक कई बीमारियों की जड़: प्‍लास्टिक के प्रदूषण के असर से कोई अछूता नहीं है. जो प्‍लास्टिक फेंक दिया जाता है वो मिट्टी और पानी दोनों को प्रदूषित करता है. इस वजह से जीवों के अलावा हमारे शरीर को भी नुकसान पहुंचता है. प्‍लास्टिक कई बीमारियों की जड़ भी बन चुका है. यही वजह है कि दुनियाभर के देश इसको लेकर कठोर रणनीति बना रहे हैं.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में शुक्रवार, 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. व्यपारियों के विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार सख्ती से इसे लागू (Single use plastic ban in Himachal ) कर रही है. प्रदेश में पहली जुलाई से प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड, गुब्बारे में लगी प्लास्टिक स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, कैंडी स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, सजावट में इस्तेमाल होने वाले पोलिस्ट्रीन (थर्माकोल), कटलरी प्लेट, कप, चाकू, ट्रे, गिलास, फोर्क, स्ट्रॉ इत्यादि एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं का निर्माण, यातायात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंधित है.

स्वच्छ भारत मिशन 2.0 (Swachh Bharat Mission) के अन्तर्गत शहरी विकास और ग्रामीण विकास विभाग को अपने सम्बन्धित क्षेत्रों में कूडे़-कचरे के लिए डम्पिंग साइट और सिंगल यूज प्लास्टिक को समाप्त करने के उद्देश्य से प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए. प्रदेश सरकार ने हिमकोस्ट को प्रदेश के विभिन्न जिलों में सैटेलाइट के माध्यम से डम्पिंग साइट तथा जल स्रोतों के निकट कचरे से सम्बन्धित स्थानों को चिन्हित करने के निर्देश भी दिए गए हैं. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक अपशिष्ट का समुचित प्रबन्धन करने को कहा गया है.

पुराना स्टॉक खत्म करने के निर्देश: जो व्यक्ति एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक वाले इन उत्पादों को बेचते हुए पकड़ा गया, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जितनी अधिक प्लास्टिक की मात्रा होगी, उतना ही अधिक राशि का चालान किया जाएगा. सरकार ने 30 जून तक पुराना स्टॉक खत्म करने के निर्देश दे रखे हैं.

हिमाचल ने 2009 से शुरू की मुहिम: हिमाचल को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करान की मुहीम 2009 में उस वक्त व्यावहारिक रूप से शुरू हुई थी जब प्रदेश में प्लास्टिक और पॉलिथीन से बने थैलों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था. इस प्रयास को सफलता पूर्वक लागू करने के बाद वर्तमान सरकार ने प्रदेश में थर्मोकोल से बने कप, प्लेट, ग्लास और चम्मच इत्यादी पर भी रोक लगा दी है. अब देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन किया जा रहा है.

किसे कहते हैं सिंगल यूज प्लास्टिक: सिंगल-यूज प्लास्टिक उसे कहते हैं जिसका हम एक बार ही इस्‍तेमाल करते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में तमाम ऐसे प्‍लास्टिक के प्रोडक्‍ट हैं जिसे हम एक बार इस्‍तेमाल कर फेंक देते हैं. इसी तरह के प्‍लास्टिक को सिंगल यूज प्‍लास्टिक कहा जाता है. इसे डिस्पोजेबल प्‍लास्टिक के नाम से भी जाना जाता है. सिंगल यूज प्‍लास्टिक प्रोडक्‍ट की बात करें तो इसमें- प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स, फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी के डिस्पोजेबल कप्स आदि शामिल हैं.

प्‍लास्टिक कई बीमारियों की जड़: प्‍लास्टिक के प्रदूषण के असर से कोई अछूता नहीं है. जो प्‍लास्टिक फेंक दिया जाता है वो मिट्टी और पानी दोनों को प्रदूषित करता है. इस वजह से जीवों के अलावा हमारे शरीर को भी नुकसान पहुंचता है. प्‍लास्टिक कई बीमारियों की जड़ भी बन चुका है. यही वजह है कि दुनियाभर के देश इसको लेकर कठोर रणनीति बना रहे हैं.

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