शिमला: हिमाचल में आईएएस अफसरों की भारी (IAS Officers in Himachal) कमी है, लेकिन जयराम सरकार में तीन सीनियर मोस्ट ऑफिसर्स बिना काम के सचिवालय में बैठने को मजबूर हैं. हाल ही में मुख्य सचिव के पद से हटाए गए रामसुभग सिंह सहित दो अन्य अफसरों को भाजपा सरकार ने प्रधान सलाहकार बनाकर किनारे कर दिया है. बेशक इन अफसरों के पास नाममात्र काम है, लेकिन उन्हें बाकायदा हर महीने सवा दो लाख रुपए वेतन और अन्य सुविधाएं मिल रही हैं.
उधर, हाल ये है कि सचिवालय में विभिन्न विभागों को संभालने के लिए सचिव स्तर के अफसरों की कमी है. मौजूदा समय में हिमाचल में सरकार के पास सचिव स्तर के आईएएस अफसरों के 21 पद क्रिएट हैं. उनमें से मात्र नौ ही भरे हुए हैं. उस पर तुर्रा ये है कि सचिवालय में इन नौ अफसरों में से केवल पांच ही तैनात हैं. चार अफसरों में से कोई डिविजनल कमिश्नर है, तो कोई डेपुटेशन पर है. कुछ अफसर अवकाश पर हैं. यही कारण है कि मौजूदा दौर में एक आईएएस अफसर के पास कई-कई विभाग हैं.
एक अधिकारी के पास कई विभाग: अधिकारियों की कमी का आलम ये है कि मुख्य सचिव आरडी धीमान के पास सबसे महत्वपूर्ण विभागों में से एक बिजली विभाग है. यहां उल्लेखनीय है कि बिजली विभाग के एक साथ कई सैक्शन हैं. ऐसे में सचिवालय में काम की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. हिमाचल में मीडिया कर्मियों में सबसे वरिष्ठ लोगों में शुमार बलदेव शर्मा का कहना है कि अफसरों को बिना काम के विभाग देने से न केवल जनता के पैसे की बर्बादी होती है, बल्कि सरकार के कामकाज पर भी असर पड़ता है. शर्मा का कहना है कि कोई भी विभागीय सचिव जो आईएएस अफसर होते हैं, वे प्रधान सलाहकार से कोई सलाह नहीं लेते. रामसुभग सिंह को मुख्य सचिव स्तर के अफसर थे, लेकिन उनसे भी कोई सलाह लेने नहीं जाएगा. रूल्स ऑफ बिजनेस में इन अफसरों के पास कोई भी फाइल आने का प्रावधान नहीं है.
रामसुभग को हटाया, निशा सिंह और संजय गुप्ता भी खुड्डे लाइन: हिमाचल में निरंतर विवादों में चल रहे सीनियर मोस्ट आईएएस अफसर रामसुभग सिंह (IAS Officer Ram Subhag Singh) को हाल ही में जयराम ठाकुर सरकार ने पद से हटा दिया. उन्हें प्रशासनिक सुधार विभाग का प्रधान सलाहकार बनाया गया. यही नहीं, उनके बाद सीनियोरिटी में आने वाली उनकी पत्नी और सीनियर आईएएस निशा सिंह और सीनियर आईएएस संजय गुप्ता भी अलग-अलग विभागों में प्रधान सलाहकार बना दिए गए.
निशा सिंह व संजय गुप्ता, दोनों एसीएस स्तर के अफसर हैं. इस तरह तीन अफसर सलाहकार बनाए गए. इन तीनों के पास कोई खास काम नहीं होता. अलबत्ता महीने की भारी-भरकम सैलेरी, गाड़ी, आवास व स्टाफ की सुविधा बिना रोक-टोक हासिल है. उल्लेखनीय है कि जब सरकार को कोई अफसर खुड्डे लाइन लगाना होता है तो उसे प्रधान सलाहकार का पद दे दिया जाता है. वीरभद्र सिंह सरकार के समय सबसे पावरफुल नौकरशाह वीसी फारका को जयराम ठाकुर सरकार ने सत्ता में आते ही बदल दिया था. वे रिटायरमेंट तक प्रधान सलाहकार जन शिकायत निवारण विभाग रहे.
इस समय संजय गुप्ता जन शिकायत निवारण विभाग के और निशा सिंह प्रशिक्षण और विदेश मामलों में प्रधान सलाहकार हैं. रामसुभग सिंह जुलाई 2023 में रिटायर होने हैं. यदि प्रदेश में फिर से भाजपा की सत्ता आती है, तो वे आने वाले समय में इसी पद से रिटायर होंगे. रामसुभग सिंह व निशा सिंह 1987 बैच के आईएएस अफसर हैं. इसी तरह संजय गुप्ता 1988 बैच के आईएएस अफसर हैं. संजय गुप्ता के पास तो और भी अधिक लंबी पारी है. अतिरिक्त मुख्य सचिव को मुख्य सचिव के बराबर लेवल 17 का पे स्केल मिलता है. वर्तमान में इस पद पर 2 लाख 25 हजार का फिक्स सकेल है. भत्ते इसके अतिरिक्त हैं.
आईएएस अफसरों की भारी कमी: प्रदेश में सचिव स्तर के आईएएस अधिकारियों की भी भारी कमी है. स्वीकृत 21 पदों के कोटे में से केवल 9 पद ही भरे हुए हैं. इनमें से भी केवल 5 अधिकारी ही प्रदेश सचिवालय में मौजूद हैं. एक डिवीजनल कमिश्नर और अन्य या तो छुट्टी पर हैं या फिर डेपुटेशन पर केंद्र में हैं. प्रधान सचिव को लेवल 15 और सचिव को लेवल 14 का पे स्केल मिलता है. अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों को भत्ते और पेंशन भी अधिक मिलती है.
हिमाचल में इस समय प्रबोध सक्सेना के तौर पर एकमात्र अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं. इससे पहले निशा सिंह, संजय गुप्ता और आरडी धीमान एसीएस रैंक पर काम कर रहे थे. हिमाचल प्रदेश में 135 के करीब आईएएस कैडर है. लेकिन हिमाचल प्रदेश हमेशा से अफसरों की कमी से जूझता रहता है. कई अफसर केंद्रीय डेपुटेशन पर हैं. अफसरों की कमी के कारण सचिवालय में एक अफसर को कई विभाग संभालने पड़ते हैं. हिमाचल सरकार के मौजूदा मुख्य सचिव आरडी धीमान इसी साल दिसंबर में रिटायर हो जाएंगे. दिसंबर में ही जयराम सरकार का कार्यकाल भी पूरा होगा.