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बुक कैफे का निजीकरण करने के विरोध में साहित्यकार, CM और नगर निगम के सामने उठाई ये मांग

शिमला में जेल में कैदियों द्वारा चलाए जा रहे बुक कैफे के निजीकरण करने के विरोध में साहित्यिक वर्ग ने मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेटरी सहित हाई कोर्ट को पत्र लिखा है.

Book Cafe takka bench
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Published : Sep 1, 2019, 8:36 AM IST

शिमलाः राजधानी में जेल में सजा काट रहे कैदियों द्वारा चलाए जा रहे बुक कैफे की पहचान ना केवल देश और विदेशों में भी है. इन दिनों बुक कैफे के निजी हाथों में सौंपने की कवायद चल रही है. लेकिन शिमला के साहित्यिक वर्ग बुक कैफे के निजीकरण करने के विरोध में है.


साहित्यकारों का कहना है कि इस बुक की पहचान को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि बुक कैफे को कारागार एवं सुधार सेवा विभाग के पास ही रखा जाना चाहिए. ताकि इस बुक कैफे की जो पहचान है वह कायम रह सके. साहित्यकारों को भी इस बुक कैफे ने साहित्यिक गतिविधियों के लिए स्थान मिलने की बात कही.

वीडियो.


इस मांग को लेकर शिमला के लेखकों ने मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेटरी सहित हाई कोर्ट को भी पत्र लिखा है. इसके बाद लेखकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की जिसमें मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह निगम कमिश्नर से इस मामले को लेकर बात करेंगे.


वहीं नगर निगम के कमिश्नर ने भी लेखकों को आश्वसन देते हुए कहा कि बुक कैफे को आउटसोर्स करने का मकसद किसी से स्थान छिनना नहीं है बल्कि इस कैफे को विस्तार देना है जिससे कि यह ओर बेहतर तरीके से चल सके और लोगों में इसका आकर्षण बढ़े.


हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एस.आर हरनोट ने कहा कि शिमला के टक्का बैंच पर दो वर्ष पहले बनाए गए बुक कैफे की पहचान है कि कैफे कैदियों द्वारा चलाया जा रहा है और साथ ही कैफे में साहित्य से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जाती है. उन्होंने कहा कि कैफे में मिलने वाली चीजें कैदियों द्वारा बनाई जाती है, जिससे उन्हें रोजगार मिलने के साथ ही उनके हुनर को भी एक पहचान मिल रही है.

ये भी पढ़ें- जयराम सरकार ने दो साल में लिया इतने करोड़ का कर्ज, सीएम बोले- कांग्रेस का लोन चुका रही सरकार

शिमलाः राजधानी में जेल में सजा काट रहे कैदियों द्वारा चलाए जा रहे बुक कैफे की पहचान ना केवल देश और विदेशों में भी है. इन दिनों बुक कैफे के निजी हाथों में सौंपने की कवायद चल रही है. लेकिन शिमला के साहित्यिक वर्ग बुक कैफे के निजीकरण करने के विरोध में है.


साहित्यकारों का कहना है कि इस बुक की पहचान को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि बुक कैफे को कारागार एवं सुधार सेवा विभाग के पास ही रखा जाना चाहिए. ताकि इस बुक कैफे की जो पहचान है वह कायम रह सके. साहित्यकारों को भी इस बुक कैफे ने साहित्यिक गतिविधियों के लिए स्थान मिलने की बात कही.

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इस मांग को लेकर शिमला के लेखकों ने मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेटरी सहित हाई कोर्ट को भी पत्र लिखा है. इसके बाद लेखकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की जिसमें मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह निगम कमिश्नर से इस मामले को लेकर बात करेंगे.


वहीं नगर निगम के कमिश्नर ने भी लेखकों को आश्वसन देते हुए कहा कि बुक कैफे को आउटसोर्स करने का मकसद किसी से स्थान छिनना नहीं है बल्कि इस कैफे को विस्तार देना है जिससे कि यह ओर बेहतर तरीके से चल सके और लोगों में इसका आकर्षण बढ़े.


हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एस.आर हरनोट ने कहा कि शिमला के टक्का बैंच पर दो वर्ष पहले बनाए गए बुक कैफे की पहचान है कि कैफे कैदियों द्वारा चलाया जा रहा है और साथ ही कैफे में साहित्य से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जाती है. उन्होंने कहा कि कैफे में मिलने वाली चीजें कैदियों द्वारा बनाई जाती है, जिससे उन्हें रोजगार मिलने के साथ ही उनके हुनर को भी एक पहचान मिल रही है.

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Intro:शिमला के प्रसिद्ध बुक कैफ़े जिसको जेल में सजा काट रहे कैदियों के हाथों से चलाया जा रहा है। इसी से इस बुक कैफ़े की पहचान ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी है और अब इस बुक कैफ़े का निजीकरण कर इसे किसी कंपनी को सपुर्द किया जा रहा है जिससे कि इसकी पहचान को समाप्त किया जा रहा है। तो अब इस बुक कैफ़े की पहचान को सहेजने के लिए शिमला का साहित्यिक वर्ग आगे आया है। साहित्यकार इस बुक कैफ़े को आउटसोर्स करने का विरोध जता रहे है। साहित्यकारों का कहना है कि इस बुक को पहले की तरह कारागार एवं सुधार सेवाएं विभाग के पास ही रखा जाना चाहिए ताकि इस बुक कैफ़े की जो पहचान है वह कायम रह सके और साहित्यकारों को भी इस बुक कैफ़े ने साहित्यिक गतिविधियों के लिए स्थान मिल सके।


Body:अपनी इसी मांग को लेकर शिमला के लेखकों ने मुख्यमंत्री के साथ ही चीफ सेक्रेटरी सहित हाई कोर्ट को भी पत्र लिखा था। इसके बाद लेखकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की जिसमें मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह निगम कमिश्नर से इस मामले को लेकर बात करेंगे। मुख्यमंत्री के बात करने के बाद नगर निगम के कमिश्नर ने भी लेखकों से बात की ओर उनसे मुलाकात कर उन्हें आश्वस्त किया है कि इस बुक कैफ़े को आउटसोर्स करने का मकसद किसी से स्थान छिनना नहीं है बल्कि इस कैफ़े को विस्तार देना है जिससे कि यह ओर बेहतर तरीके से चल सके और लोगों में इसका आकर्षण बढ़े। उन्होंने यह भी कहा है कि इस बुक कैफ़े के आउटसोर्स होने के बाद भी यहां लेखकों और साहित्यकारों को अपनी साहित्यिक गतिविधियों के लिए स्थान दिया जाएगा। भले ही साहित्यकारों को यह आश्वासन दिया गया हो लेकिन अभी भी वह यही चाह रहे है कि इस बुक कैफ़े का निजीकरण ना किया जाए और इसका बेहतर रूप से संचालन नगर निगम शिमला के साथ ही कारागार विभाग मिकलर करें। इस बुक कैफ़े को आउटसोर्स करने के विरोध में ही शिमला के लेखकों ने विरोध स्वरूप एक साहित्यिक गोष्टि का आयोजन शनिवार को बुक कैफ़े में करना था लेकिन आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने इस आयोजन को साधारण तरीके से किया।


Conclusion:हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एस.आर हरनोट ने कहा कि शिमला के टक्का बैंच पर दो वर्ष पहले बनाए गए बुक कैफ़े की पहचान दो बातों से ना केवल देश बल्कि विदेशों में भी है। एक तो यह बुक कैफ़े कैदियों के द्वारा चलाया जा रहा है। दूसरा इस बुक कैफ़े में साहित्य से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जाती है। इस बुक कैफ़े के बनने के बाद यहां बहुत सी किताबे दान के रूप में दी गई है और यहां जो उत्पाद खाने के लिए मिल रहे है वो कैदियों के हाथों के बने के जिससे उन्हें रोजगार मिलने के साथ ही उनके हुनर को भी एक पहचान मिल रही है। ऐसे में जब यह कैफ़े सही तरीके से चल रहा है तो इसको आउटसोर्स करना जायज नाम हैं।
उन्होंने कहा कि वैसे तो कमिश्नर की ओर से उन्हें यह आश्वस्त किया गया है कि जब भी इस बुक कैफ़े को आउटसोर्स किया जाएगा तो उसकी टर्म एंड कंडीशन को तय करने के समय उसमें क्या-क्या प्रावधान किए जाने चाहिए उसके लिए साहित्यकारों को भी उसमें शामिल किया जाएगा। उनके सुझाव लेने के बाद ही आउटसोर्स की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है की बुक कैफ़े को कारागार विभाग ओर नगर निगम मिलकर ओर बेहतर कर सकते है। इससे जहां इसकी पहचान भी बनी रहेगी वहीं बाहर से आने वाले लोगों भी इस बुक कैफ़े को उतना ही सराहेंगे जितना अभी। बता के देश भर में 14 ही बुक कैफ़े हैं जिसमें शिमला का यह बुक कैफ़े भी शामिल हैं।
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