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शिमला में बहाल नहीं हुई टैक्सी सेवा, जॉइंट टैक्सी यूनियन वेलफेयर कमेटी ने जताया विरोध

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Published : May 13, 2020, 10:21 PM IST

राजधानी शिमला में टैक्सी सेवा को बहाल नहीं किए जाने को लेकर ज्वाइन टैक्सी यूनियन वेलफेयर कमिटी शिमला ने विरोध जताया है. उनका कहना है कि जब सभी जिलों में टैक्सियों के लिए छूट दी गई है तो जिला शिमला में टैक्सी मालिकों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है.

shimla taxi union demand
shimla taxi union demand

शिमलाः लॉकडाउन और कर्फ्यू के तीसरे चरण के बीच में प्रदेश के अधिकतर जिलों में टैक्सी सेवा को बहाल कर दिया गया है. अधिकतर जिलों में टैक्सियों को चलाने की अनुमति दे दी गई है और टैक्सियां चलाई जा रही हैं, लेकिन राजधानी शिमला में अभी तक टैक्सी सेवा को सरकार और प्रशासन की ओर से बहाल नहीं किया गया है.

ऐसे में पिछले करीब 90 दिनों से टैक्सी ऑपरेटर का पूरा कारोबार ठप पड़ा हुआ है जिससे अब उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ दिन पहले ही शिमला में टैक्सियों को चलाने की अनुमति देने की मांग को लेकर शिमला जॉइंट टैक्सी यूनियन वेलफेयर कमेटी शिमला ने परिवहन निवेशक और आरटीओ से भी मुलाकात की थी.

इस मुलाकात के दौरान उन्हें वहां से आश्वासन दिया गया था कि जिला प्रशासन के साथ इस मसले पर बात करने के बाद उनकी टैक्सी सेवा बहाल कर दी जाएगी, लेकिन अभी तक राजधानी शिमला में टैक्सी सेवा को बहाल नहीं किया गया है.

अब इस पर ज्वाइन टैक्सी यूनियन वेलफेयर कमिटी शिमला ने विरोध जताया है. उनका कहना है कि जब सभी जिलों में टैक्सियों के लिए छूट दी गई है तो जिला शिमला में टैक्सी मालिकों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है.

लॉकडाउन के दौरान छूट में जिला के अंतर्गत अगर किसी व्यक्ति ने एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना है और उस व्यक्ति के पास अपनी निजी गाड़ी ही एकमात्र विकल्प रह जाता है.

जॉइंट टैक्सी यूनियन वेल्फेयर कमेटी के सचिव संदीप कंवर ने कहा कि जिला प्रशासन शिमला में टैक्सी को चलाने की अनुमति नहीं दी है और ऐसे में निजी गाड़ियों के मालिक बेखौफ होकर टैक्सी व्यवसाय कर रहे हैं जिसे टैक्सी मालिक अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

उन्होंने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि लॉकडाउन के दौरान मिली छूट में शिमला में टैक्सी सेवा को बहाल किया जाए जिससे टैक्सी ऑपरेटरों के साथ ही जो टैक्सी चालक इस व्यवसाय से जुड़े हैं, उन्हें राहत मिल सके.

पहले ही सीजन के दौरान टैक्सी ना चलने से करोड़ों का नुकसान हुआ है और ऐसे में जब इस समय स्थानीय काम टैक्सी से हो सकता था वह भी प्रशासन की अनुमति ना मिलने के चलते नहीं हो पा रहा है.

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन शिमला में टैक्सी सेवा बहाल ना करने के पीछे क्या वजह हैं, इसे लेकर कोई स्थिति भी स्पष्ट नहीं कर रहा है. उनकी मांग है कि जल्द से जल्द शिमला में भी टैक्सी सेवा को बहाल किया जाए जिससे कि इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी राहत मिल सके और वह भी परिवारों का गुजर बसर कर सकें.

ये भी पढ़ें- 'हिमाचल में कोरोना का स्प्रेडिंग रेट कम और रिकवरी रेट ज्यादा, घबराने की नहीं सावधानी बरतने की जरूरत'

शिमलाः लॉकडाउन और कर्फ्यू के तीसरे चरण के बीच में प्रदेश के अधिकतर जिलों में टैक्सी सेवा को बहाल कर दिया गया है. अधिकतर जिलों में टैक्सियों को चलाने की अनुमति दे दी गई है और टैक्सियां चलाई जा रही हैं, लेकिन राजधानी शिमला में अभी तक टैक्सी सेवा को सरकार और प्रशासन की ओर से बहाल नहीं किया गया है.

ऐसे में पिछले करीब 90 दिनों से टैक्सी ऑपरेटर का पूरा कारोबार ठप पड़ा हुआ है जिससे अब उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ दिन पहले ही शिमला में टैक्सियों को चलाने की अनुमति देने की मांग को लेकर शिमला जॉइंट टैक्सी यूनियन वेलफेयर कमेटी शिमला ने परिवहन निवेशक और आरटीओ से भी मुलाकात की थी.

इस मुलाकात के दौरान उन्हें वहां से आश्वासन दिया गया था कि जिला प्रशासन के साथ इस मसले पर बात करने के बाद उनकी टैक्सी सेवा बहाल कर दी जाएगी, लेकिन अभी तक राजधानी शिमला में टैक्सी सेवा को बहाल नहीं किया गया है.

अब इस पर ज्वाइन टैक्सी यूनियन वेलफेयर कमिटी शिमला ने विरोध जताया है. उनका कहना है कि जब सभी जिलों में टैक्सियों के लिए छूट दी गई है तो जिला शिमला में टैक्सी मालिकों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है.

लॉकडाउन के दौरान छूट में जिला के अंतर्गत अगर किसी व्यक्ति ने एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना है और उस व्यक्ति के पास अपनी निजी गाड़ी ही एकमात्र विकल्प रह जाता है.

जॉइंट टैक्सी यूनियन वेल्फेयर कमेटी के सचिव संदीप कंवर ने कहा कि जिला प्रशासन शिमला में टैक्सी को चलाने की अनुमति नहीं दी है और ऐसे में निजी गाड़ियों के मालिक बेखौफ होकर टैक्सी व्यवसाय कर रहे हैं जिसे टैक्सी मालिक अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.

उन्होंने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि लॉकडाउन के दौरान मिली छूट में शिमला में टैक्सी सेवा को बहाल किया जाए जिससे टैक्सी ऑपरेटरों के साथ ही जो टैक्सी चालक इस व्यवसाय से जुड़े हैं, उन्हें राहत मिल सके.

पहले ही सीजन के दौरान टैक्सी ना चलने से करोड़ों का नुकसान हुआ है और ऐसे में जब इस समय स्थानीय काम टैक्सी से हो सकता था वह भी प्रशासन की अनुमति ना मिलने के चलते नहीं हो पा रहा है.

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन शिमला में टैक्सी सेवा बहाल ना करने के पीछे क्या वजह हैं, इसे लेकर कोई स्थिति भी स्पष्ट नहीं कर रहा है. उनकी मांग है कि जल्द से जल्द शिमला में भी टैक्सी सेवा को बहाल किया जाए जिससे कि इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी राहत मिल सके और वह भी परिवारों का गुजर बसर कर सकें.

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