शिमला: शिमला नागरिक सभा ने डाउनडेल इलाके से तेंदुए द्वारा 6 वर्षीय बच्चे को उठाए जाने के घटनाक्रम के लिए नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) व वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया है. सभा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह नगर निगम शिमला व वन विभाग को सख्त निर्देश दे कि इस तरह के हादसों पर रोक लगाने के लिए तुरन्त सख्त कदम उठाए जाएं. नागरिक सभा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि पिछले कुछ महीनों में तेंदुए के हमले का शिकार हुए दो बच्चों के परिजनों को कम से कम दस-दस लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाए.
शिमला नागरिक सभा अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा (Shimla Nagarik Sabha President Vijendra Mehra) ने शिमला शहर के बीचोंबीच इस तरह के हादसों पर हैरानी व्यक्त की है साथ ही इसे नगर निगम शिमला व वन विभाग की नाकामयाबी करार दिया है. उन्होंने कहा कि डाउनडेल शहर के बीचोंबीच है. जब इस तरह की घटना यहां पर हो सकती है तो फिर शिमला शहर के इर्द-गिर्द के इलाकों में नागरिकों की जानमाल की सुरक्षा की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है. इससे साफ है कि शिमला नगर निगम व इसके इर्द-गिर्द के इलाके में कोई भी नागरिक सुरक्षित नहीं है.
सबसे हैरानी की बात यह है कि डाउनडेल, नाभा, फागली व कनलोग जैसे शहर के रिहायशी इलाकों (residential areas) में तेंदुए बेखौफ घूम रहे हैं और वन विभाग संवेदनहीन वक्तव्य जारी करने व लीपापोती के सिवाए कुछ भी नहीं कर रहा है. अगर कनलोग में अगस्त के महीने में बच्ची को तेंदुए द्वारा उठाने की घटना को वन विभाग ने गम्भीरता से लिया होता तो डाउनडेल की यह घटना नहीं होती. विजेंद्र मेहरा ने कहा कि नगर निगम भी नागरिकों की सुरक्षा के प्रति गम्भीर नहीं है. शहर के रिहायशी इलाकों में या तो स्ट्रीट लाइटें कई महीनों से खराब पड़ी हैं या फिर हैं ही नहीं. इन दोनों की लापरवाही का खामियाजा निर्दोष जनता को भुगतना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा है कि उक्त घटनाक्रम पर नगर निगम शिमला व वन विभाग की भूमिका संवेदनहीन रही है. शिमला शहर में पिछले तीन महीनों में तेंदुआ दो बच्चों की जान ले चुका है परन्तु वन विभाग तेंदुए को आदमखोर घोषित करने में आनाकानी कर रहा है. उक्त घटनाक्रम में शिमला शहर जोकि प्रदेश की राजधानी भी है, उसमें डॉग स्क्वयड टीम (dog squad team) भी तीसरे दिन भूमिका में आई.
इसी से पता चलता है कि शिमला शहर जैसी जगह में भी सुरक्षा व छानबीन के न्यूनतम प्रबंध नहीं हैं. उन्होंने कहा कि कनलोग व डाउनडेल में तेंदुए के हमलों का शिकार हुए दोनों बच्चों के हादसों में एक समानता यह है कि ये घटनाक्रम गरीब बस्तियों में हुए जहां पर स्ट्रीट लाइटों व अन्य सुविधाओं का अभाव है. जिसके कारण तेंदुए को हमला करने का मौका मिला इसलिए नगर निगम भी ऐसे हादसों से अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता है.
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