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Shardiya Navratri 2022: मां ज्वाला ने तोड़ा था अकबर का अहंकार, फिर चढ़ाया था सोने का छत्र - Story of Mata Jwala Ji

शारदीय नवरात्रि 2022 का आज दूसरा दिन है. हिमाचल में मां ज्वाला के दरबार में भक्तों का तांता है. मां ज्वाला के दरबार में ही अकबर का अहंकार टूटा था, फिर उसने सोने का छत्र चढ़ाया. आखिर ऐसा क्या हुआ था जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Shardiya Navratri 2022
Shardiya Navratri 2022
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Published : Sep 27, 2022, 9:12 AM IST

कांगड़ा: शारदीय नवरात्रि 2022 का आज दूसरा दिन है. आज मां ब्रह्मचारिणी माता की पूजा-अर्चना कर खुशहाली की कामना की जा रही है. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में मां ज्वाला के दरबार में नवरात्रि में देश के कौने-कौने से भक्तों के आने-जाने का सिलसिला शुरू है. मां ज्वाला का मंदिर देश के शक्तीपीठों में शुमार है. (Shardiya Navratri 2022)

मां ज्वाला की महिमा निराली: ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां देवी सती की जीभ गिरी थी. यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है, क्योंकि यहां पर किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती है, बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही 9 ज्वालाओं की पूजा होती है.यहां पर धरती से 9 अलग-अलग जगह से ज्वालाएं निकल रहीं है, जिसके ऊपर ही मंदिर बना है. इन 9 ज्योतियों को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है.(Mata Jwala Ji Kangra Himachal )

यहां टूटा था अकबर का अहंकार: मां के इस मंदिर को लेकर एक कथा काफी प्रचिलत है. कहा जाता है कि सम्राट अकबर जब इस जगह पर आए तो उन्हें यहां पर ध्यानू नाम का व्यक्ति मिला. ध्यानू देवी का परम भक्त था. ध्यानू ने अकबर को ज्योतियों की महिमा के बारे में बताया, लेकिन अकबर उसकी बात न मान कर उस पर हंसने लगा.अहंकार में आकर अकबर ने अपने सैनिकों को यहां जल रही 9 ज्योतियों पर पानी डालकर उन्हें बुझाने को कहा. पानी डालने पर भी ज्योतियों पर कोई असर नहीं हुआ. यह देखकर ध्यानू ने अकबर से कहा कि देवी मां तो मृत मनुष्य को भी जीवित कर देती हैं. ऐसा कहते हुए ध्यानू ने अपना सिर काट कर देवी मां को भेंट कर दिया, तभी अचानक वहां मौजूद ज्वालाओं का प्रकाश बढ़ा और ध्यानू का कटा हुआ सिर अपने आप जुड़ गया और वह फिर से जीवित हो गया.

अकबर ने चढ़ाया सोने का छत्र: यह देखकर अकबर भी देवी की शक्तियों को पहचान गया और उसने देवी को सोने का छत्र भी चढ़ाया. कहा जाता है कि मां ने अकबर का चढ़ाया हुआ छत्र स्वीकार नहीं किया था. अकबर के चढ़ाने पर वह छत्र गिर गया और वह सोने का न रह कर किसी अज्ञात धातु में बदल गया था. वह छत्र आज भी मंदिर में सुरक्षित रखा हुआ है.छत्र किस धातु का है किसी को पता नहीं.

वैज्ञानिकों ने किया परीक्षण: बादशाह अकबर की ओर से चढ़ाया गया छत्र आखिर किस धातु में बदल गया. इसकी जांच के लिए 60 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पहल पर यहां वैज्ञानिकों का एक दल पहुंचा. इसके बाद छत्र के एक हिस्से का वैज्ञानिक परीक्षण किया गया. वैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर इसे किसी भी धातु की श्रेणी में नहीं माना गया है. जो भी श्रद्धालु देवी मां के इस शक्तिपीठ में आता है वो अकबर के छत्र देखे बगैर अपनी यात्रा को अधूरा ही मानता है. आज भी छत्र मंदिर परिसर के पास भवन में रखा हुआ है.

ये भी पढ़ें : Shardiya Navratri 2022 2nd Day: नवरात्रि के दूसरे दिन होती है ब्रह्मचारिणी माता की पूजा, जानें विधि

कांगड़ा: शारदीय नवरात्रि 2022 का आज दूसरा दिन है. आज मां ब्रह्मचारिणी माता की पूजा-अर्चना कर खुशहाली की कामना की जा रही है. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में मां ज्वाला के दरबार में नवरात्रि में देश के कौने-कौने से भक्तों के आने-जाने का सिलसिला शुरू है. मां ज्वाला का मंदिर देश के शक्तीपीठों में शुमार है. (Shardiya Navratri 2022)

मां ज्वाला की महिमा निराली: ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां देवी सती की जीभ गिरी थी. यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है, क्योंकि यहां पर किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती है, बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही 9 ज्वालाओं की पूजा होती है.यहां पर धरती से 9 अलग-अलग जगह से ज्वालाएं निकल रहीं है, जिसके ऊपर ही मंदिर बना है. इन 9 ज्योतियों को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है.(Mata Jwala Ji Kangra Himachal )

यहां टूटा था अकबर का अहंकार: मां के इस मंदिर को लेकर एक कथा काफी प्रचिलत है. कहा जाता है कि सम्राट अकबर जब इस जगह पर आए तो उन्हें यहां पर ध्यानू नाम का व्यक्ति मिला. ध्यानू देवी का परम भक्त था. ध्यानू ने अकबर को ज्योतियों की महिमा के बारे में बताया, लेकिन अकबर उसकी बात न मान कर उस पर हंसने लगा.अहंकार में आकर अकबर ने अपने सैनिकों को यहां जल रही 9 ज्योतियों पर पानी डालकर उन्हें बुझाने को कहा. पानी डालने पर भी ज्योतियों पर कोई असर नहीं हुआ. यह देखकर ध्यानू ने अकबर से कहा कि देवी मां तो मृत मनुष्य को भी जीवित कर देती हैं. ऐसा कहते हुए ध्यानू ने अपना सिर काट कर देवी मां को भेंट कर दिया, तभी अचानक वहां मौजूद ज्वालाओं का प्रकाश बढ़ा और ध्यानू का कटा हुआ सिर अपने आप जुड़ गया और वह फिर से जीवित हो गया.

अकबर ने चढ़ाया सोने का छत्र: यह देखकर अकबर भी देवी की शक्तियों को पहचान गया और उसने देवी को सोने का छत्र भी चढ़ाया. कहा जाता है कि मां ने अकबर का चढ़ाया हुआ छत्र स्वीकार नहीं किया था. अकबर के चढ़ाने पर वह छत्र गिर गया और वह सोने का न रह कर किसी अज्ञात धातु में बदल गया था. वह छत्र आज भी मंदिर में सुरक्षित रखा हुआ है.छत्र किस धातु का है किसी को पता नहीं.

वैज्ञानिकों ने किया परीक्षण: बादशाह अकबर की ओर से चढ़ाया गया छत्र आखिर किस धातु में बदल गया. इसकी जांच के लिए 60 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पहल पर यहां वैज्ञानिकों का एक दल पहुंचा. इसके बाद छत्र के एक हिस्से का वैज्ञानिक परीक्षण किया गया. वैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर इसे किसी भी धातु की श्रेणी में नहीं माना गया है. जो भी श्रद्धालु देवी मां के इस शक्तिपीठ में आता है वो अकबर के छत्र देखे बगैर अपनी यात्रा को अधूरा ही मानता है. आज भी छत्र मंदिर परिसर के पास भवन में रखा हुआ है.

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