शिमला: छात्र संगठन SFI हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रोफेसर व अन्य भर्तियों में पिछले दो सालों से लगातार फर्जीवाड़े की बात उठा रहा है. एसएफआई का आरोप है कि कोरोना काल में विश्वविद्यालय के टीचिंग स्टाफ में हुई भर्तियों में धांधली की गई हैं. जिसमें सभी यूजीसी नियमों को दरकिनार किया गया है. एसएफआई ने मामले में न्यायिक जांच की मांग की है.
एसएफआई के विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष रॉकी ने पत्रकार वार्ता कर बताया कि आरटीआई से जुटाई गई 13 हजार पन्नों की सूचना से यह साबित हुआ है कि विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की भर्ती में नकली व फर्जी अनुभवों के (scam in Professor Recruitment in HPU) आधार पर नियुक्तियां दी गई हैं. उन्होंने मांग की है कि इस फर्जीवाड़े की न्यायिक जांच होनी चाहिए. वर्तमान में भी विश्वविद्यालय में चुनावों से पहले कुछ और भर्तियां कर अपने लोगों को फर्जी तरीके से भर्ती करना चाह रहें हैं. ऐसे में नई भर्तियों पर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने चेताया कि एसएफआई इस फर्जीवाड़े के खिलाफ जल्द विश्वविद्यालय एवं पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगी.
एसएफआई की मांग है कि अभी जो भर्ती प्रक्रिया कार्यवाहक कुलपति जारी रखे हुए हैं उन पर तुरंत रोक लगनी चाहिए और अभी तक की भर्तियों की एक निष्पक्ष जांच उच्च न्यायालय के जज के द्वारा होनी चाहिए. रॉकी ने कहा कि विश्वविद्यालय के भ्रष्ट अफसरों जिसमें ज्योतिप्रकाश (Pro-VC), नागेष (Member EC), अरबिंद मटट (Dean Planning), कलमुद्रण चंदेल (Dean of Studies), पवन गर्गा (Dean & Director), पीएल वर्मा (Director) के अलावा अभी तक जो नियमों को ताक पर रखकर 260 से भी ज्यादा शिक्षकों की भर्तियां हो चुकी हैं, उन सभी को हटाया जाए. उन्होंने कहा कि 2020 से अब तक की जांच के लिए उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायधीश की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाए ताकि विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती घोटाले का पर्दाफाश हो सके.
ये भी पढ़ें: CBI-ED हिमाचल में देगी दस्तक, होली लॉज के दरवाजे खुले, जलपान की कर दी है व्यवस्था: विक्रमादित्य सिंह