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कर्नाटक में हिजाब विवाद: शिमला में एसएफआई ने किया प्रदर्शन - SFI Kotshera Unit

एसएफआई कोटशेरा इकाई द्वारा (SFI protest in Shimla) शुक्रवार को कर्नाटक (karnataka Hijab Issue) में मुस्लिम समुदाय की लड़कियों को पढ़ाई से वंचित करने के विरोध एक प्रदर्शन किया गया. एसएफआई का कहना है कि कर्नाटक में भाजपा सरकार द्वारा मुस्लिम छात्राओं को सांप्रदायिक एवं महिला विरोधी नीतियों का निशाना बनाए जाने के खिलाफ मजबूती से खड़ी है.

SFI protest in Shimla
शिमला में एसएफआई का प्रदर्शन
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Published : Feb 11, 2022, 4:53 PM IST

शिमला: स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया कोटशेरा इकाई द्वारा (SFI protest in Shimla) शुक्रवार को कर्नाटक (karnataka Hijab Issue) में मुस्लिम समुदाय की लड़कियों को पढ़ाई से वंचित करने के विरोध एक प्रदर्शन किया गया. इस दौरान कैंप्स सचिव योगेश ने कहा की कर्नाटक में भाजपा सरकार द्वारा मुस्लिम छात्राओं को सांप्रदायिक एवं महिला विरोधी नीतियों का निशाना बनाए जाने के खिलाफ मजबूती से खड़ी है. हिजाब पहनने पर पाबंदी का फैसला संविधान के अनुच्छेद 25 द्वारा सभी धर्मों को मिली आचरण और व्यवहार की स्वतंत्रता के खिलाफ है.

प्रशासन द्वारा हिजाब पहनने वाली छात्राओं को स्कूल/कॉलेज परिसर में प्रवेश देने से मना करना सरासर असंवैधानिक कदम है. यद्यपि ड्रेस कोड में कोई बदलाव किया भी जाना था, तो उसे छात्र-छात्राओं के साथ विचार विमर्श कर के सर्वसम्मति से लागू किया जाना था. उन्होंने कहा कि धार्मिक आचरण और शिक्षा में से किसी एक को चुनने के लिए छात्राओं को मजबूर किया जाना पूरी तरह से निन्दनीय है.

योगेश ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में मौजूदा समय में मुस्लिम महिलाओं का नामांकन दर न्यूनतम स्तर पर है और बड़ी तादाद में छत्राओं को स्कूल/कॉलेज से बाहर करने वाले सरकार और प्रशासन की मिलीभगत से उठाए गए इस कदम से स्थिति को और बदतर किया जा रहा है. मुस्लिम महिलाओं को दांव पर रख कर यह धर्मनिरपेक्षता पर एक खतरनाक हमला है. शिक्षण संस्थानों में मुस्लिम महिलाओं का इस तरीके का उत्पीड़न देश के भाईचारे को ध्वस्त करने वाला है.

वहीं, कैंपस (SFI Kotshera Unit) अध्यक्ष पवन ने भी इस मुद्दे पर छात्रों की बीच बात पहुंचाने का प्रयास किया और कहा की एसएफआई देश की एकजुट होने की अपील करती है की हमें मिलकर इन कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर इनका सामना करना है तथा देश में भाईचारा बनाए रखना है. शिक्षण और संस्थानों को सांप्रदायिक रूप से एक विशेष धर्म और विचारधारा के अड्डे में बदलने के खिलाफ भी अपना विरोध करेंगे हैं. ऐसे माहौल में महिलाओं की भागेदारी पर प्रतिकूल प्रभाव ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में हम सरकार के रुख को विद्यार्थी विरोधी तथा महिला विरोधी मानते हैं. हम उन छात्राओं के हक में न्याय की मांग करते हैं, जो अपनी शिक्षा और स्वायत्तता के लिए लड़ रही है.

ये भी पढ़ें: ऊना में भाजपा की बैठक में वीरेंद्र कंवर और सतपाल सत्ती ने की शिरकत, पंजाब विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ता संभालेंगे मोर्चा

शिमला: स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया कोटशेरा इकाई द्वारा (SFI protest in Shimla) शुक्रवार को कर्नाटक (karnataka Hijab Issue) में मुस्लिम समुदाय की लड़कियों को पढ़ाई से वंचित करने के विरोध एक प्रदर्शन किया गया. इस दौरान कैंप्स सचिव योगेश ने कहा की कर्नाटक में भाजपा सरकार द्वारा मुस्लिम छात्राओं को सांप्रदायिक एवं महिला विरोधी नीतियों का निशाना बनाए जाने के खिलाफ मजबूती से खड़ी है. हिजाब पहनने पर पाबंदी का फैसला संविधान के अनुच्छेद 25 द्वारा सभी धर्मों को मिली आचरण और व्यवहार की स्वतंत्रता के खिलाफ है.

प्रशासन द्वारा हिजाब पहनने वाली छात्राओं को स्कूल/कॉलेज परिसर में प्रवेश देने से मना करना सरासर असंवैधानिक कदम है. यद्यपि ड्रेस कोड में कोई बदलाव किया भी जाना था, तो उसे छात्र-छात्राओं के साथ विचार विमर्श कर के सर्वसम्मति से लागू किया जाना था. उन्होंने कहा कि धार्मिक आचरण और शिक्षा में से किसी एक को चुनने के लिए छात्राओं को मजबूर किया जाना पूरी तरह से निन्दनीय है.

योगेश ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में मौजूदा समय में मुस्लिम महिलाओं का नामांकन दर न्यूनतम स्तर पर है और बड़ी तादाद में छत्राओं को स्कूल/कॉलेज से बाहर करने वाले सरकार और प्रशासन की मिलीभगत से उठाए गए इस कदम से स्थिति को और बदतर किया जा रहा है. मुस्लिम महिलाओं को दांव पर रख कर यह धर्मनिरपेक्षता पर एक खतरनाक हमला है. शिक्षण संस्थानों में मुस्लिम महिलाओं का इस तरीके का उत्पीड़न देश के भाईचारे को ध्वस्त करने वाला है.

वहीं, कैंपस (SFI Kotshera Unit) अध्यक्ष पवन ने भी इस मुद्दे पर छात्रों की बीच बात पहुंचाने का प्रयास किया और कहा की एसएफआई देश की एकजुट होने की अपील करती है की हमें मिलकर इन कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर इनका सामना करना है तथा देश में भाईचारा बनाए रखना है. शिक्षण और संस्थानों को सांप्रदायिक रूप से एक विशेष धर्म और विचारधारा के अड्डे में बदलने के खिलाफ भी अपना विरोध करेंगे हैं. ऐसे माहौल में महिलाओं की भागेदारी पर प्रतिकूल प्रभाव ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में हम सरकार के रुख को विद्यार्थी विरोधी तथा महिला विरोधी मानते हैं. हम उन छात्राओं के हक में न्याय की मांग करते हैं, जो अपनी शिक्षा और स्वायत्तता के लिए लड़ रही है.

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