ETV Bharat / city

स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने कोरोना वॉरियर्स को भेजी राखियां - आईजीएमसी शिमला

प्रदेश की विभिन्न स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने आईजीएमसी के डॉक्टर्स और अन्य कोरोना वॉरियर्स के लिए भाई-बहन के प्यार का प्रतीक कहने जाने वाले रक्षाबंधन के त्यौहार पर राखियां भेजी हैं.

Self help group send rakhi for iGMC doctors
शिमला
author img

By

Published : Aug 2, 2020, 2:39 PM IST

शिमला: आईजीएमसी के डॉक्टर्स और अन्य कोरोना वॉरियर्स के लिए पहली बार प्रदेश के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों ने राखियां भेजी हैं. ये राखियां उन डॉक्टरों को भेजी गई हैं, जिनकी बहनें नहीं हैं. ये राखियां रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की मैनेजर निर्मला चौहान और ओम प्रकाश ने आईजीएमसी के सीएमओ कर्नल महेश को सौंपी हैं. वहीं, राखियां पाकर आईजीएमसी प्रशासन ने स्वयं सहायता समूहों की बहनों का आभार व्यक्त किया है.

मैनेजर निर्मला चौहान और ओम प्रकाश ने बताया कि प्रदेश के कई स्वयं सहायता समूहों में कार्य करने वाली महिलाओं ने ये राखियां खुद अपने हाथों से तैयार की हैं और आईजीएमसी के डॉक्टरों सहित अन्य कोरोना वॉरियर्स के लिए भेजी हैं. उन्होंने कहा कि ये योद्धा कोरोना काल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, इसलिए स्वयं सहायता समूहों द्वारा ये पहल की गई है.

Self help group send rakhi for iGMC doctors
स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने कोरोना वारियर्स को भेजी राखियां

आईजीएमसी के सीएमओ कर्नल महेश ने बताया कि विभिन्न स्वयं सहायता समूहों द्वारा आज अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर्स और अन्य कोरोना वारियर्स के लिए रक्षाबंधन के त्यौहार पर राखियां भेजी गई हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर और अन्य स्टाफ रक्षाबंधन के दिन इन राखियों को अपने हाथों पर बांधेंगे.

भाई-बहन के प्यार का प्रतीक कहने जाने वाले रक्षाबंधन पर कोरोना का कहर साफ देखा जा रहा है, क्योंकि इस साल कोविड-19 के डर की वजह से लोग बाजारों का कम रुख कर रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने दुकानों को खुलने की अनुमति दे दी है, लेकिन ग्राहक न आने पर कारोबारी उदास नजर आ रहे हैं.

लोअर बाजार के कारोबारी सुरेश ने बताया कि इस बार वो करीब 50 प्रकार की राखियां लाए थे, जिसमें 30 फीसदी राखियां ही बिक पाई हैं. 70 फीसदी राखियां ऐसी ही पड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से कारोबारियों को बहुत नुकसान हो रहा है.

रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं. इस दिन राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है. इसलिए बहने अपने भाई के हाथों पर रेशमी धागे से बनी राखी या रक्षासूत्र बाधंती हैं.

ये भी पढ़ें:लंबे इंतजार के बाद खुला अंबेडकर मार्केट का मुख्य रास्ता, व्यापारियों ने जताया आभार

शिमला: आईजीएमसी के डॉक्टर्स और अन्य कोरोना वॉरियर्स के लिए पहली बार प्रदेश के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों ने राखियां भेजी हैं. ये राखियां उन डॉक्टरों को भेजी गई हैं, जिनकी बहनें नहीं हैं. ये राखियां रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की मैनेजर निर्मला चौहान और ओम प्रकाश ने आईजीएमसी के सीएमओ कर्नल महेश को सौंपी हैं. वहीं, राखियां पाकर आईजीएमसी प्रशासन ने स्वयं सहायता समूहों की बहनों का आभार व्यक्त किया है.

मैनेजर निर्मला चौहान और ओम प्रकाश ने बताया कि प्रदेश के कई स्वयं सहायता समूहों में कार्य करने वाली महिलाओं ने ये राखियां खुद अपने हाथों से तैयार की हैं और आईजीएमसी के डॉक्टरों सहित अन्य कोरोना वॉरियर्स के लिए भेजी हैं. उन्होंने कहा कि ये योद्धा कोरोना काल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, इसलिए स्वयं सहायता समूहों द्वारा ये पहल की गई है.

Self help group send rakhi for iGMC doctors
स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने कोरोना वारियर्स को भेजी राखियां

आईजीएमसी के सीएमओ कर्नल महेश ने बताया कि विभिन्न स्वयं सहायता समूहों द्वारा आज अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर्स और अन्य कोरोना वारियर्स के लिए रक्षाबंधन के त्यौहार पर राखियां भेजी गई हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर और अन्य स्टाफ रक्षाबंधन के दिन इन राखियों को अपने हाथों पर बांधेंगे.

भाई-बहन के प्यार का प्रतीक कहने जाने वाले रक्षाबंधन पर कोरोना का कहर साफ देखा जा रहा है, क्योंकि इस साल कोविड-19 के डर की वजह से लोग बाजारों का कम रुख कर रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने दुकानों को खुलने की अनुमति दे दी है, लेकिन ग्राहक न आने पर कारोबारी उदास नजर आ रहे हैं.

लोअर बाजार के कारोबारी सुरेश ने बताया कि इस बार वो करीब 50 प्रकार की राखियां लाए थे, जिसमें 30 फीसदी राखियां ही बिक पाई हैं. 70 फीसदी राखियां ऐसी ही पड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से कारोबारियों को बहुत नुकसान हो रहा है.

रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं. इस दिन राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्त्व है. इसलिए बहने अपने भाई के हाथों पर रेशमी धागे से बनी राखी या रक्षासूत्र बाधंती हैं.

ये भी पढ़ें:लंबे इंतजार के बाद खुला अंबेडकर मार्केट का मुख्य रास्ता, व्यापारियों ने जताया आभार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.