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इंस्पेक्शन कैडर अधिकारियों की लेटलतीफी पर शिक्षा विभाग सख्त, रिपोर्ट न देने पर रोक दिया जाएगी सैलरी - स्कूल इंस्पेक्शन

प्रदेश के स्कूलों में इंस्पेक्शन न होने के मामले में शिक्षा विभाग ने  सख्ती का रूख अपना लिया है. विभाग ने इंस्पेक्शन कैडर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए तया किया है कि अगर इंस्पेक्शन टीम के अधिकारियों ने सही तरीके से स्कूलों का इंस्पेक्शन नहीं किया तो विभाग की ओर से उनका वेतन रोक दिया जाएगा.

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Published : Feb 4, 2019, 10:14 AM IST

शिमला: प्रदेश के स्कूलों की इंस्पेक्शन के लिए इंस्पेक्शन टीम होने के बाद भी स्कूलों में इंस्पेक्शन नहीं हो पा रही है. जिसके चलते स्कूल किस तरह से छात्रों को शिक्षा दे रहे हैं और इनमें क्या खामियां हैं, इसकी जानकारी विभाग को नहीं मिल पा रही है. अब टीम की लापरवाही पर शिक्षा विभाग मामले में सख्ती दिखा रहा है.

बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश के हर जिला में इंस्पेक्शन कैडर बनाया गया है. हर जिला में करीब सात अधिकारियों को इसके तहत रखा गया है. जिला ने इंस्पेक्शन कैडर के तहत अधिकारी तो रख दिए गए हैं, लेकिन स्कूलों में इंस्पेक्शन फिर भी नहीं हो पा रहा है और न ही विभाग शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने को लेकर इंस्पेक्शन से जुड़ी कोई रिपोर्ट सौंपी जा रही है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो प्रदेश के मात्र दो जिला सोलन ओर सिरमौर से ही इंस्पेक्शन की रिपोर्ट आ रही है और बाकि जिलों से कोई भी रिपोर्ट विभाग को नहीं मिल पाई है.

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इंस्पेक्शन कैडर में जो अधिकारी विभाग की ओर से शामिल किए गए हैं, उनमें कई शिक्षक भी शामिल हैं और ये शिक्षक न तो स्कूलों में जा कर इंस्पेक्शन कर रहे हैं और न ही छात्रों को पढ़ा रहे हैं. ऐसे में अब विभाग जल्द ही इंस्पेक्शन कैडर में शामिल अधिकारियों का भी फेरबदल करेगा. इसमें शमिल शिक्षकों को वापिस स्कूलों में पढ़ाने के लिए भेजा जाएगा. बीते एक साल से निरीक्षण की रिपोर्ट ना आने के बाद विभाग ने ये निर्देश जारी किए हैं कि उपनिदेशकों की अध्यक्षता में कार्य कर रहे इंस्पेक्शन कैडर के अधिकारियों को इंस्पेक्शन के कार्य पर लगाया जाए.

अगर ये प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं होती है तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. विभाग इन अधिकारियों के वेतन पर लाखों खर्च कर रहा है, लेकिन विभाग को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है और ना ही शिक्षा के स्तर को सुधारने में इस कैडर की कोई मदद विभाग को मिल पा रही है.

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शिमला: प्रदेश के स्कूलों की इंस्पेक्शन के लिए इंस्पेक्शन टीम होने के बाद भी स्कूलों में इंस्पेक्शन नहीं हो पा रही है. जिसके चलते स्कूल किस तरह से छात्रों को शिक्षा दे रहे हैं और इनमें क्या खामियां हैं, इसकी जानकारी विभाग को नहीं मिल पा रही है. अब टीम की लापरवाही पर शिक्षा विभाग मामले में सख्ती दिखा रहा है.

बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश के हर जिला में इंस्पेक्शन कैडर बनाया गया है. हर जिला में करीब सात अधिकारियों को इसके तहत रखा गया है. जिला ने इंस्पेक्शन कैडर के तहत अधिकारी तो रख दिए गए हैं, लेकिन स्कूलों में इंस्पेक्शन फिर भी नहीं हो पा रहा है और न ही विभाग शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने को लेकर इंस्पेक्शन से जुड़ी कोई रिपोर्ट सौंपी जा रही है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो प्रदेश के मात्र दो जिला सोलन ओर सिरमौर से ही इंस्पेक्शन की रिपोर्ट आ रही है और बाकि जिलों से कोई भी रिपोर्ट विभाग को नहीं मिल पाई है.

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इंस्पेक्शन कैडर में जो अधिकारी विभाग की ओर से शामिल किए गए हैं, उनमें कई शिक्षक भी शामिल हैं और ये शिक्षक न तो स्कूलों में जा कर इंस्पेक्शन कर रहे हैं और न ही छात्रों को पढ़ा रहे हैं. ऐसे में अब विभाग जल्द ही इंस्पेक्शन कैडर में शामिल अधिकारियों का भी फेरबदल करेगा. इसमें शमिल शिक्षकों को वापिस स्कूलों में पढ़ाने के लिए भेजा जाएगा. बीते एक साल से निरीक्षण की रिपोर्ट ना आने के बाद विभाग ने ये निर्देश जारी किए हैं कि उपनिदेशकों की अध्यक्षता में कार्य कर रहे इंस्पेक्शन कैडर के अधिकारियों को इंस्पेक्शन के कार्य पर लगाया जाए.

अगर ये प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं होती है तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. विभाग इन अधिकारियों के वेतन पर लाखों खर्च कर रहा है, लेकिन विभाग को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है और ना ही शिक्षा के स्तर को सुधारने में इस कैडर की कोई मदद विभाग को मिल पा रही है.

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Intro:प्रदेश के स्कूलों की इंस्पेक्शन के लिए इंस्पेक्शन टीम होने के बाद भी स्कूलों में इंस्पेक्शन नहीं हो पा रही है। स्कूल किस तरह से छात्रों को शिक्षा दे रहे है और खामियां इनमें है इसकी जानकारी विभाग को नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते अब शिक्षा विभाग मामले में सख्ती दिखा रहा है। प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा का स्तर जानने के लिए जो इंस्पेक्शन कैडर तैयार किया गया है उसकी कार्यप्रणाली पर विभाग ने सवाल उठाते हुए यह तय किया है कि अगर इंस्पेक्शन टीम के अधिकारियों ने सही तरीके से स्कूलों का इंस्पेक्शन नहीं किया तो उनका वेतन विभाग की ओर से रोक दिया जाएगा।


Body:शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश के हर जिला में इंस्पेक्शन कैडर बनाया है,जिसमें हर जिला में सात के करीब अधिकारियों को इसके तहत रखा गया है। जिला ने इंस्पेक्शन कैडर के तहत अधिकारी तो रख दिए गए है लेकिन स्कूलों में इंस्पेक्शन फिर भी नहीं हो पा रहा है और ना ही कोई रिपोर्ट विभाग को इंस्पेक्शन से जुड़ी ओर शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने को लेकर विभाग को सौंपी जा रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो प्रदेश के मात्र दो जिला सोलन ओर सिरमौर से ही इंस्पेक्शन की रिपोर्ट आ रही है अन्य जिलों से कोई भी रिपोर्ट विभाग को नहीं मिल पाई है। अब विभाग ने तय कर लिया है कि जिन अधिकारियों की इंस्पेक्शन रिपोर्ट टाइम टू टाइम विभाग के पास आएगी उसका आकंलन करने के बाद ही काम कर रहे अधिकारियों का वेतन ही विभाग जारी करेगा अन्य अधिकारियों का वेतन रोक दिया जाएगा।


Conclusion:बता दे कि इंस्पेक्शन कैडर में जो अधिकारी विभाग की ओर से शामिल किए गए है उनमें कई शिक्षक भी शामिल है। यह शिक्षक का तो स्कूलों में जा कर इंस्पेक्शन कर रहे है और ना ही छात्रों को पढ़ा रहे है ऐसे में अब विभाग जल्द ही इंस्पेक्शन कैडर में शामिल अधिकारियों का भी फेरबदल करेगा। इसमें शमिल शिक्षकों को वापिस स्कूलों में पढ़ाने के लिए भेजा जाएगा। बीते एक साल से निरीक्षण की रिपोर्ट ना आने के बाद अब विभाग ने यह निर्देश जारी किए है कि उपनिदेशकों की अध्यक्षता में कार्य कर रहे इंस्पेक्शन कैडर के अधिकारियों को इंस्पेक्शन के कार्य पर लगाया जाए। अगर यह प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं होती है तो अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। लाखों का खर्च विभाग इन अधिकारियों के वेतन पर खर्च कर रहा है लेकिन इसका लाभ विभाग को नहीं मिल पा रहा है और ना ही शिक्षा के स्तर को सुधारने में इस कैडर की कोई मदद विभाग को मिल पा रही है। ऐसे में अब विभाग ने अपनी सख्ती दिखाई है।
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