शिमला: सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने विभागीय गतिविधियों की समीक्षा बैठक करते हुए प्रदेश की प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी सभाओं के उत्थान के लिए विशेष प्रयास करने का आह्वान किया है. उन्होंने सुझाव दिया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत नाबार्ड द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली कृषि अधोसंरचना निधि व प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी सभाओं को बहु सेवा केंद्रों में बदलने से संबंधित योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ देने के प्रयास किए जाए, ताकि ग्राम स्तर की सहकारिताएं अपनी व्यापारिक गतिविधियों में विविधीकरण लाया जा सके.
सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बताया कि कृषि अधोसंरचना निधि योजना के तहत सहकारी सभाओं को ऋण पर देय ब्याज में तीन प्रतिशत राहत प्रदान की जाएगी. साथ ही प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी सभाओं को बहु सेवा केंद्रों में बदलने के लिए पात्र सहकारी सभाओं को केवल चार प्रतिशत की दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा. वहीं, मीटिंग में नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक, हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक समिति व जोगिन्द्रा केंद्रीय सहकारी बैंक सीमित के प्रबंध निदेशक मुख्य रुप से शमिल हुए.
बैठक में निर्णय लिया गया कि जिला से संबंधित सहायक पंजीयक सहकारी सभाएं, नाबार्ड व सहकारी बैंकों के अधिकारी जिले वार पांच-पांच सक्षम सहकारी सभाओं को मिलकर चिन्हित करेंगे. साथ ही चालू वित्तीय वर्ष के दौरान प्रदेश में कुल 60 सहकारी सभाओं को लाएंगे और प्रबंधक समितियों से व्यापक विचार-विमर्श करेंगे. इसके बाद इनकी परियोजना प्रतिवेदन तैयार करके स्वीकृति हेतु संबंधित बैंकों के माध्यम से नाबार्ड को प्रेषित की जाएगी.
डाॅ. एसएस गुलेरिया ने बताया कि कृषि अधोसंरचना निधि योजना में कृषि भंडारण, शीत भंडार, कृषि सेवा व विधायन केंद्रों, कृषि विपणन व परिवहन, उपभोक्ता भंडार, फसल कटाई के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है. वहीं, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक ने बताया कि प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी सभाओं के कम्प्यूटरीकरण के लिए उनके पास एक योजना है, जिसका लाभ प्रदेश की सहकारी सभाएं उठा सकती हैं.
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