रामरपुरः प्रदेश के सेब बहुल इलाकों में बड़े सीए स्टोरेज और सेब क्रय करने वाली कंपनियों के आने से बागवानों को सुविधा मिल रही है. बागवानों का कहना है कि अब उनके उत्पादों के सही दाम उन्हें मिल रहे हैं. इससे पहले बागवानों को सेब लेकर दिल्ली व अन्य मंडियों में जाना पड़ता था, लेकिन अब उनका उत्पाद घर द्वार पर बिक रहा है.
उपमंडल रामपुर के स्थानीय बागवानों का कहना है कि पहले दिल्ली-चंडीगढ़ की मंडियों में सेब व अन्य उत्पाद ले जाने पर वहां के आढ़तियों पर निर्भर रहना पड़ता था. वहां बागवानों को आढ़ती और लदानी द्वारा तय किए दाम पर सेब बेचना मजबूरी होना पड़ता था. बागवानों का कहना है कि अब ऐसा नहीं है.
आढ़ती कमीशन के अलावा भी देने पर थे चार्जेस
बागवान हरीश लक्टू ने बताया कि सेब दिल्ली की मंडी पर ले जाने पर करीब आठ प्रतिशत कमीशन बागवानों के पास चली जाती थी और सेब के रेट भी सही नहीं मिलते थे. जबसे हिमाचल में छोटी-छोटी मंडिया स्थापित हुई हैं और बाहर से सेब क्रय करने वाले घरद्वार पर पहुंच रहे हैं, उसके बाद सेब के दाम सही मिल रहे हैं जबकि दिल्ली में आढ़ती कमीशन के अलावा बिल में फोन कॉल व चिट्ठी भेजने के चार्ज तक जोड़ देते थे.
एक अन्य बागवान ने बताया कि प्रदेश के सेब बहुल इलाकों तक विभिन्न सेब क्रय करने वाली एजेंसियां पहुंचने पर उन के पास अब इच्छानुसार सेब बेचने के विकल्प खुल गए हैं. वहीं, एक अन्य हिमाचल प्रदेश में भी शुरू में सेब की दरें सही होती हैं, जैसे ही बड़े सेब क्रेता या अन्य बड़ी कंपनिया सेब खरीदना शुरू कर देते हैं तो सेब के दाम एकदम गिर जाते हैं. इस बार भी देखने को मिला है कि सेब के दाम बहुत ज्यादा गिराए गए.
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