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ओलावृष्टि ने बागवानों की मेहनत पर फेरा 'पानी', सरकार से की मुआवजे की मांग

ननखड़ी तहसील में ओलावृष्टि की मार किसानों व बागवानों को लगातार तीसरी बार झेलनी पड़ी है. बागवानों ने कहा कि पहले वे कोरोना वायरस की मार झेल रहे थे, लेकिन खराब मौसम का भी सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने सरकार से सर्वे कर मुआवजा दिए जाने की मांग की है.

rain damage apples in shimla
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Published : May 1, 2020, 11:35 PM IST

शिमला/रामपुरः राजधानी शिमला की ननखड़ी तहसील की विभिन्न पंचायतों में ओलावृष्टि से सेब व चैरी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. यहां के बागवानों ने सरकार से अब ओलावृष्टि से हुए नुकसान के लिए मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

बागवानों का कहना है कि समय पर सभी पंचायतों में राजस्व विभाग व उद्वान विभाग की टीम को भेज कर बागवानों की फसल का आकलन किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को उनकी बरबाद हुई फसल के लिए राहत मिल सके.

बागवानों ने कहा कि पहले वे कोरोना वायरस की मार झेल रहे थे, लेकिन प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ रहा है. ननखड़ी तहसील में ये ओलावृष्टि की मार किसानों व बागवानों को लगातार तीसरी बार झेलनी पड़ रही है.

तहसील के ग्राम पंचायत जाहू, खड़ाहण, खुन्नी पनोली, गाहन, अड्डू, बगलती व ग्राम पंचायत बड़ोग में 30 अप्रैल को दोपहर बाद भारी ओलावृष्टि हुई. देखते ही देखते इस ओलावृष्टि ने बागवानों की करोड़ों की फसलों को तबाह कर दिया.

वहीं, भाजपा मंडल अध्यक्ष भीमसेन ठाकुर, किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष कुलबीर खून्द, मनोज ठाकुर, पिंकू खून्द ने कहा कि ओलावृष्टि ने किसानों व बागवानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया है. क्षेत्र में हर साल लाखों पेटियों का सेब उत्पादित होता है. यहां के लोगों की 80 प्रतिशत आर्थिकी कृषि और बागवानी पर निर्भर करती है.

मुश्किल के दौर से गुजर रहे किसान व बागवान की अब सरकार की ओर अपने जीवन यापन की आस लगाए हुए हैं. वहीं, किसान मोर्चा जिला महासु के अध्यक्ष कुलवीर खूंद ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि किसानों व बागवानों की फसल का आकलन कर उन्हें फौरी तौर पर राहत प्रदान की जाए.

ये भी पढ़ें- कोरोना पर कांग्रेस राजनीति नहीं बल्कि जनता के मुद्दों को उठा रही है: मुकेश अग्निहोत्री

शिमला/रामपुरः राजधानी शिमला की ननखड़ी तहसील की विभिन्न पंचायतों में ओलावृष्टि से सेब व चैरी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. यहां के बागवानों ने सरकार से अब ओलावृष्टि से हुए नुकसान के लिए मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

बागवानों का कहना है कि समय पर सभी पंचायतों में राजस्व विभाग व उद्वान विभाग की टीम को भेज कर बागवानों की फसल का आकलन किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को उनकी बरबाद हुई फसल के लिए राहत मिल सके.

बागवानों ने कहा कि पहले वे कोरोना वायरस की मार झेल रहे थे, लेकिन प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ रहा है. ननखड़ी तहसील में ये ओलावृष्टि की मार किसानों व बागवानों को लगातार तीसरी बार झेलनी पड़ रही है.

तहसील के ग्राम पंचायत जाहू, खड़ाहण, खुन्नी पनोली, गाहन, अड्डू, बगलती व ग्राम पंचायत बड़ोग में 30 अप्रैल को दोपहर बाद भारी ओलावृष्टि हुई. देखते ही देखते इस ओलावृष्टि ने बागवानों की करोड़ों की फसलों को तबाह कर दिया.

वहीं, भाजपा मंडल अध्यक्ष भीमसेन ठाकुर, किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष कुलबीर खून्द, मनोज ठाकुर, पिंकू खून्द ने कहा कि ओलावृष्टि ने किसानों व बागवानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया है. क्षेत्र में हर साल लाखों पेटियों का सेब उत्पादित होता है. यहां के लोगों की 80 प्रतिशत आर्थिकी कृषि और बागवानी पर निर्भर करती है.

मुश्किल के दौर से गुजर रहे किसान व बागवान की अब सरकार की ओर अपने जीवन यापन की आस लगाए हुए हैं. वहीं, किसान मोर्चा जिला महासु के अध्यक्ष कुलवीर खूंद ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि किसानों व बागवानों की फसल का आकलन कर उन्हें फौरी तौर पर राहत प्रदान की जाए.

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