शिमला: सावन माह को लेकर शहर के शिव मंदिरों में विशेष तैयारियां शुरू (Shimla Shiv temples) हो गई है.कोरोना संक्रमण के 2 साल बाद इस बार मंदिरों में सावन महीने में विशेष पूजा -अर्चना की जाएगी. राजधानी शिमला के मिडल बाजार स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर में सावन के महीने में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी.
हिमाचल में सावन 16 जुलाई से कोरोना संक्रमण के 2 साल बाद इस बार सावन को लेकर तैयारियां की जा रही है. इसको लेकर शिव मंदिर के पुजारी वासुदेव शर्मा ने बताया कि सावन का महीना हिमाचल में संक्रांति के दिन से मनाया जाता है. इस बार 16 जुलाई से शुरू होगा और 18 जुलाई को सावन का पहला सोमवार होगा. वहीं, देश के कई राज्यों में सावन का महीना पूर्णिमा से शुरू होगा.
हर मनोकामना होती पूरी: उन्होंने कहा कि सावन महीने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना की जाती है. इस महीने भगवान शंकर की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. जिन युवतियों का विवाह नहीं होता वह व्रत रखती है. उन्होंने बताया सावन माह में सोमवार का व्रत रखने से भी कष्ट दूर होते हैं.
जमकर बरसे मेघ: मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया, जिससे उनके शरीर में ताप बढ़ गया. उन्हें ठंडक प्रदान करने के लिए देवराज इंद्र ने जमकर मेघ बरसाएं. इससे भगवान शिव को राहत मिली. वह सावन का महीना था और तभी से सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा व व्रत करने का विधान है.
शिव की आराधाना विधि: पंडित वासुदेव ने बताया कि सावन माह के सभी सोमवार विशेष महत्व रखते हैं. उन्होंने कहा कि सुबह-शाम स्नान के बाद शिव परिवार का पूजन करना चाहिए. पूजन का आरंभ भगवान शिव के अभिषेक के साथ किया जाना चाहिए. अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस, चंदन आदि से स्नान करना चाहिए. अभिषेक के बाद बेल पत्र, शमी पत्र, दूब आदि शिवजी को अर्पण करें. इसके अलावा धतूरा, भांग व श्रीफल का भोग लगाना चाहिए.
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