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हिमाचल की नदियां हो रहीं प्रदूषित, सात नदियों में बढ़ा प्रदूषण, फिलहाल ऑक्सीजन का लेवल अच्छा

हिमाचल में बहने वाली नदियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है. हालांकि छोटी नदियां अभी प्रदूषण मुक्त हैं. हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदेश में 344 लोकेशन से पानी के सैंपल ले रहा है ताकि इसकी गुणवत्ता की जांच की जा सके.

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Published : Apr 24, 2021, 4:59 PM IST

Updated : Apr 25, 2021, 2:01 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अन्य राज्यों की अपेक्षा पानी की गुणवत्ता काफी अच्छी है. पानी में ऑक्सीजन लेवल भी ठीक माना जा रहा है. हालांकि प्रदेश की कुछ बड़ी नदियों के प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन अन्य छोटी नदियां प्रदूषण मुक्त हैं और इनका पानी पीने योग्य है. प्रदेश में पानी की गुणवत्ता पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नजर रख रहे हैं और पानी की क्वालिटी की हर महीने जांच की जा रही है.

बीते वर्ष केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा पानी की गुणवत्ता को जांचा गया तो ब्यास में बीओडी (बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) की मात्रा अधिक पाई गई, बीओडी की मात्रा तय मानकों से अधिक 7.6 आंकी गई है, जबकि स्वां की 9 आंकी गई है. इसके अलावा सिरसा, सुखना, सुकेती, अश्वनी खड्ड, मारकंडा और पब्बर नदियां शामिल हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

प्रदूषित होता जा रहा नदियों का पानी

हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव निकुल जिंदल बताते हैं कि प्रदेश में बोर्ड समय-समय पर पानी की गुणवत्ता की जांच कर रहा है. प्रदेश भर में 344 लोकेशन ऐसे हैं, जहां पर समय-समय पर पानी के नमूने लिए जाते हैं और उसमें प्रदूषण के स्तर को मापा जाता है. प्रदेश में 213 लोकेशन ऐसी हैं, जिनका 15 दिन के बाद और 131 लोकेशन की तीन महीने के बाद जांच की जा रही है. प्रदेश में बहने वाली सात नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का किया जाता है निरीक्षण

निकुल जिंदल का कहना है कि नदियों का पानी ऐसा भी नहीं हुआ है कि उसे पीने लायक ना रहा हो. प्रदूषण बोर्ड सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण भी करते हैं और यह देखा जाता है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी नदियों में ना जाए. उन्होंने कहा कि पानी मे ऑक्सीजन लेवल जितना ज्यादा होगा उतना ज्यादा पानी स्वच्छ होगा.

समय-समय पर लिये जा रहे हैं पानी के नमूने

प्रदेश में रनिंग वाटर है जिसके चलते पानी में ऑक्सीजन की मात्रा काफी ज्यादा रहती है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समय-समय पर जल स्रोतों में पानी के नमूने लेकर उनकी उसकी जांच भी करता रहता है ताकि लोगों को स्वच्छ पानी पीने को मिले.

शहर में 6 स्रोतों से होती है पानी की सप्लाई

जल निगम के एजीएम राजेश कश्यप का कहना है कि शिमला शहर में 6 स्रोतों से पानी शहर के लिए आता है. शहर में आने वाले सभी स्रोतों में पानी की गुणवत्ता काफी अच्छी है. केवल अश्वनी कार्ड का पानी ही दूषित है वहां से पानी नहीं लगाया जाता है.

जल निगम पानी का कर रहा फिल्टरिंग

जल निगम तीन चरणों में पानी की जांच करता है उसके बाद ही लोगों को पानी पीने के लिए मुहैया करवाया जा रहा है. शहर में इन परियोजनाओं में सीवरेज का पानी ना मिले इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इसके अलावा शहर में प्राकृतिक स्रोतों के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए भी जल निगम ने फिल्टरिंग की है और उस पानी को टॉयलेट गार्डन इत्यादि में प्रयोग किया जा रहा है.

जांच के लिए पुणे भेजे जाते हैं पानी के सैंपल

शहर में आने वाले पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी काफी अच्छी है. यहां पर वाटर रनिंग में होता है तो उस में ऑक्सीजन की मात्रा काफी अच्छी पाई जाती है. शहर में लोगों को मिलने वाला पानी जांच करने के बाद ही उन्हें दिया जाता है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पानी के नमूनों की जांच करवाने के अलावा पुणे भेजे जाते हैं.

वैज्ञानिक तकनीक से किया जाता है सीवरेज ट्रीटमेंट

वहीं, शहर की सीवरेज के लिए जल निगम द्वारा अलग-अलग प्लांट स्थापित किए गए हैं और वहां पर वैज्ञानिक तकनीक से सीवरेज ट्रीटमेंट किया जाता है, लेकिन कई एरियों में सीवरेज का पानी में मिल रहा है, जिससे स्रोत दूषित हो रहे हैं. इन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि सीवरेज का पानी मिलने से कई स्रोत दूषित हो गए हैं, जिसे यह पानी पीने योग्य नहीं रहा है, जिसे काफी परेशानी हो रही है.

साल 2016 में अश्वनी खड्ड का पानी हुआ था दूषित

बता दें कि 2016 में भी अश्वनी खड्ड में सीवरेज मिलने से शिमला शहर में पीलिया फैला था. जिसमें हजारों लोग इसकी चपेट में आए थे और कई लोगों की मौत भी हो गई थी. उसके बाद हालांकि अश्वनी खड्ड से पानी लाना बंद कर दिया गया था, अभी भी इस खड्ड का पानी दूषित है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में अन्य राज्यों की अपेक्षा पानी की गुणवत्ता काफी अच्छी है. पानी में ऑक्सीजन लेवल भी ठीक माना जा रहा है. हालांकि प्रदेश की कुछ बड़ी नदियों के प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन अन्य छोटी नदियां प्रदूषण मुक्त हैं और इनका पानी पीने योग्य है. प्रदेश में पानी की गुणवत्ता पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नजर रख रहे हैं और पानी की क्वालिटी की हर महीने जांच की जा रही है.

बीते वर्ष केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा पानी की गुणवत्ता को जांचा गया तो ब्यास में बीओडी (बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) की मात्रा अधिक पाई गई, बीओडी की मात्रा तय मानकों से अधिक 7.6 आंकी गई है, जबकि स्वां की 9 आंकी गई है. इसके अलावा सिरसा, सुखना, सुकेती, अश्वनी खड्ड, मारकंडा और पब्बर नदियां शामिल हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

प्रदूषित होता जा रहा नदियों का पानी

हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव निकुल जिंदल बताते हैं कि प्रदेश में बोर्ड समय-समय पर पानी की गुणवत्ता की जांच कर रहा है. प्रदेश भर में 344 लोकेशन ऐसे हैं, जहां पर समय-समय पर पानी के नमूने लिए जाते हैं और उसमें प्रदूषण के स्तर को मापा जाता है. प्रदेश में 213 लोकेशन ऐसी हैं, जिनका 15 दिन के बाद और 131 लोकेशन की तीन महीने के बाद जांच की जा रही है. प्रदेश में बहने वाली सात नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है.

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का किया जाता है निरीक्षण

निकुल जिंदल का कहना है कि नदियों का पानी ऐसा भी नहीं हुआ है कि उसे पीने लायक ना रहा हो. प्रदूषण बोर्ड सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण भी करते हैं और यह देखा जाता है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी नदियों में ना जाए. उन्होंने कहा कि पानी मे ऑक्सीजन लेवल जितना ज्यादा होगा उतना ज्यादा पानी स्वच्छ होगा.

समय-समय पर लिये जा रहे हैं पानी के नमूने

प्रदेश में रनिंग वाटर है जिसके चलते पानी में ऑक्सीजन की मात्रा काफी ज्यादा रहती है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समय-समय पर जल स्रोतों में पानी के नमूने लेकर उनकी उसकी जांच भी करता रहता है ताकि लोगों को स्वच्छ पानी पीने को मिले.

शहर में 6 स्रोतों से होती है पानी की सप्लाई

जल निगम के एजीएम राजेश कश्यप का कहना है कि शिमला शहर में 6 स्रोतों से पानी शहर के लिए आता है. शहर में आने वाले सभी स्रोतों में पानी की गुणवत्ता काफी अच्छी है. केवल अश्वनी कार्ड का पानी ही दूषित है वहां से पानी नहीं लगाया जाता है.

जल निगम पानी का कर रहा फिल्टरिंग

जल निगम तीन चरणों में पानी की जांच करता है उसके बाद ही लोगों को पानी पीने के लिए मुहैया करवाया जा रहा है. शहर में इन परियोजनाओं में सीवरेज का पानी ना मिले इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. इसके अलावा शहर में प्राकृतिक स्रोतों के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए भी जल निगम ने फिल्टरिंग की है और उस पानी को टॉयलेट गार्डन इत्यादि में प्रयोग किया जा रहा है.

जांच के लिए पुणे भेजे जाते हैं पानी के सैंपल

शहर में आने वाले पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी काफी अच्छी है. यहां पर वाटर रनिंग में होता है तो उस में ऑक्सीजन की मात्रा काफी अच्छी पाई जाती है. शहर में लोगों को मिलने वाला पानी जांच करने के बाद ही उन्हें दिया जाता है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पानी के नमूनों की जांच करवाने के अलावा पुणे भेजे जाते हैं.

वैज्ञानिक तकनीक से किया जाता है सीवरेज ट्रीटमेंट

वहीं, शहर की सीवरेज के लिए जल निगम द्वारा अलग-अलग प्लांट स्थापित किए गए हैं और वहां पर वैज्ञानिक तकनीक से सीवरेज ट्रीटमेंट किया जाता है, लेकिन कई एरियों में सीवरेज का पानी में मिल रहा है, जिससे स्रोत दूषित हो रहे हैं. इन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि सीवरेज का पानी मिलने से कई स्रोत दूषित हो गए हैं, जिसे यह पानी पीने योग्य नहीं रहा है, जिसे काफी परेशानी हो रही है.

साल 2016 में अश्वनी खड्ड का पानी हुआ था दूषित

बता दें कि 2016 में भी अश्वनी खड्ड में सीवरेज मिलने से शिमला शहर में पीलिया फैला था. जिसमें हजारों लोग इसकी चपेट में आए थे और कई लोगों की मौत भी हो गई थी. उसके बाद हालांकि अश्वनी खड्ड से पानी लाना बंद कर दिया गया था, अभी भी इस खड्ड का पानी दूषित है.

Last Updated : Apr 25, 2021, 2:01 PM IST
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