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यहां स्वच्छ भारत अभियान फेल, लोगों की लापरवाही से दूषित हो रही किन्नौर की आबो हवा - कैमिकल

रिकांगपिओ मुख्यालय में अब अवो -हवा बदलने लगी है. वाहनों की तादात के साथ-साथ अब सड़कों, गलियों में खराब सब्जियां, शराब की बोतलों की गंदगी के अंबार लगे हुए हैं.

किन्नौर रिकांगपिओ में गंदगी का लगा पहाड़
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Published : Apr 21, 2019, 2:57 PM IST

किनौर: जिला के कई क्षेत्रों और रिकांगपिओ मुख्यालय में अब अवो -हवा बदलने लगी है. वाहनों की तादात के साथ-साथ अब सड़कों, गलियों, होटलों के बाहर प्लास्टिक की बोतलों, खराब सब्जियां, शराब की बोतलों की गंदगी के अंबार लगे हुए हैं.

ये भी पढ़ें: प्रदेश में फिर करवट ले सकता है मौसम, इस दिन बारिश और बर्फबारी की संभावना

बता दें कि जनगणना 2011 के मुताबिक किन्नौर की आबादी लगभग 84 हजार थी, लेकिन अब आबादी काफी बढ़ गई है और आबादी बढ़ने के साथ ही कंम्पनियों ने खुले में डंपिंग एरिया बनाना शुरु कर दिया है. मरे हुए जानवरों को भी सड़कों पर फेंका जा रहा है.

वहीं, अगर बात सतलुज नदी की जाए तो पोवारी के पास स्पेशल एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी द्वारा सारे रिकांगपिओ का कुड़ा नदी में फेंकने से पानी और हवा जहरीले हो रहे हैं, जिससे सैकड़ों जीव मर रहे है. लोगों द्वारा जगह-जगह पॉलिथीन, कैमिकल से बने कई पदार्थों को कही भी फेंक दिया जा रहा है.

लोगों की लापरवाही से दूषित हो रही किन्नौर की आबो हवा

ये भी पढ़ें: गुरु-शिष्य का रिश्ता हुआ तार-तार, 8वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा के साथ शिक्षक ने की छेड़छाड़

जिला किन्नौर में निर्माणाधीन प्रोजेक्ट भी प्राकृति निर्माणधीन एरिये से सारी मिट्टी व अन्य गंदगी को नदी के समीप डंपिंग एरिया बनाकर फेंक रहे हैं. उपायुक्त किन्नौर गोपाल चंद ने बताया कि नदी के आसपास कूड़ा न फेंके, डंपिंग के लिए पोवारी के पास सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट मशीन लगाई जा रही है.

किनौर: जिला के कई क्षेत्रों और रिकांगपिओ मुख्यालय में अब अवो -हवा बदलने लगी है. वाहनों की तादात के साथ-साथ अब सड़कों, गलियों, होटलों के बाहर प्लास्टिक की बोतलों, खराब सब्जियां, शराब की बोतलों की गंदगी के अंबार लगे हुए हैं.

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बता दें कि जनगणना 2011 के मुताबिक किन्नौर की आबादी लगभग 84 हजार थी, लेकिन अब आबादी काफी बढ़ गई है और आबादी बढ़ने के साथ ही कंम्पनियों ने खुले में डंपिंग एरिया बनाना शुरु कर दिया है. मरे हुए जानवरों को भी सड़कों पर फेंका जा रहा है.

वहीं, अगर बात सतलुज नदी की जाए तो पोवारी के पास स्पेशल एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी द्वारा सारे रिकांगपिओ का कुड़ा नदी में फेंकने से पानी और हवा जहरीले हो रहे हैं, जिससे सैकड़ों जीव मर रहे है. लोगों द्वारा जगह-जगह पॉलिथीन, कैमिकल से बने कई पदार्थों को कही भी फेंक दिया जा रहा है.

लोगों की लापरवाही से दूषित हो रही किन्नौर की आबो हवा

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जिला किन्नौर में निर्माणाधीन प्रोजेक्ट भी प्राकृति निर्माणधीन एरिये से सारी मिट्टी व अन्य गंदगी को नदी के समीप डंपिंग एरिया बनाकर फेंक रहे हैं. उपायुक्त किन्नौर गोपाल चंद ने बताया कि नदी के आसपास कूड़ा न फेंके, डंपिंग के लिए पोवारी के पास सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट मशीन लगाई जा रही है.


---------- Forwarded message ---------
From:ANIL NEGI <ywaringchaaras90@gmail.com>
Date: Sun, Apr 21, 2019, 10:45 AM
Subject: अनिल नेगी रिकांगपिओ किन्नौर-21 अप्रैल
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


हिंदुस्तान की सबसे स्वछ हवा वाले किन्नौर..अब वायु प्रदूषण और गन्दगी की कैद में।




जनजातीय जिला किन्नौर को कुछ वर्ष पहले एक सर्वेक्षण में हिंदुस्तान की सबसे तरोताज़ा हवा और स्वछ वातावरण वाले जिला में शामिल किया गया था और देश की राजधानी दिल्ली को सबसे प्रदूषित हवा वाले इलाके का दर्जा मिला था।

जिला किन्नौर देश के अंतिम छोर तिब्बत सीमावर्ती वाला जिला है जहां की आबादी जनगणना 2011 के मुताबिक लगभग 84 हज़ार के आसपास थी लेकिन अब आबादी काफी बढ़ गई है और जिला के कई क्षेत्र व मुख्यालय रिकांगपिओ जैसे क्षेत्रों में अब वातावरण भी बदलने लगा है वाहनों की तादात व उनके प्रदूषण के साथ अब सड़को.गलियों.होटलों के बाहर.सतलुज नदी के आसपास.दफ्तरों के बाहर जगह जगह किसी न किसी रूप में प्लास्टिक की बनी बोतले.सिगरेट बीड़ी के टोटे.सड़ी गली सब्जियों की गन्दगी.शराब की बोतलें जो जगह जगह फैली होती है.कम्पनियों द्वारा खुले में मनमर्ज़ी के डंपिंग एरिया बनाना जिससे धूल समूचे क्षेत्रो को नुकसान पहुँचा रहा है.

मरे हुए जानवरो को सड़कों पर फेकना.और भी बहुत से मामले है जिसके चलते किन्नौर की हवाओ में भी अब केमिकल घलने लगा है। बात सतलुज नदी से किया जाए तो पोवारी के समीप स्पेशल एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी द्वारा सारे रिकांगपिओ का कुड्डा सतलुज नदी पर फैंकना भी नदी के पानी और वायु को भयंकर ज़हरीला बना रहा है जिससे सतलुज नदी में सैकड़ों जीव मर रहे है और वायु के साथ आसपास के क्षेत्रों में बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है।

दूसरी बात जगह जगह लोगो द्वारा पोलिथीन.कैमिकल से बने कई प्रदार्थ.सिगरेट.बीड़ी के टोटे हर कही फैंकना भी वायु के साथ धरती की जान को कमज़ोर कर रही है.और कई जंगलों में जो बाज़ार के आसपास है बड़े बड़े पेड़ भी सूखने लगे है।वहीं जिला किन्नौर में जितने भी निर्माणाधीन प्रोजेक्ट है वे अपने प्रगति के कार्यो के चक्कर मे प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे है अपने निर्माणधीन एरिये से सारे मिट्टी व अन्य गन्दगी को नदी के समीप डंपिंग एरिया बनाकर वायु के साथ आसपास के क्षेत्रों को प्रदूषित कर रहे है। यदि समय रहते सरकार व जिला प्रशासन इस पर विचार विमर्श नही करती तो किन्नौर को प्रदूषण की लाइन में दिल्ली बनने में देरी नही लगेगी

वही इन मामलों में उपायुक्त किन्नौर गोपाल चन्द का कहना है कि नदी के आसपास कूड़ा न फैंके इसलिए पोवारी के समीप सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट मशीन लगाई जा रही है जल्द ही इसको चलाया जाएगा।


वीडियो--------किन्नौर के पोवारी के समीप रिकांगपिओ के सारे कूड़े के ढेर जो सतलुज नदी पर फैंका गया है प्रशासन द्वारा जलता हुआ और प्रदूषण फैलता हुआ ।


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