शिमला: हिमाचल प्रदेश को झकझोर देने वाले गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले (Gudiya Rape and Murder Case) में दुखद सियासत हो रही है. कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह (Himachal Congress President Pratibha Singh) ने एक बयान में गुड़िया मामले को छोटा मामला बताया था. उसके बाद भाजपा ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया. भाजपा महिला मोर्चा ने कांग्रेस का तीखा विरोध किया. भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष से माफी मांगने की मांग उठाई तो कांग्रेस नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रतिभा सिंह को माफी क्यों मांगनी चाहिए.उन्होंने उल्टा भाजपा पर वार किया और कहा कि जयराम सरकार के कार्यकाल में अब तक डेढ़ हजार से अधिक बलात्कार के केस सामने आए हैं, इस पर भाजपा बात क्यों नहीं करती.
यही नहीं, प्रतिभा सिंह के बेटे और विधायक विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh on rape cases in Himachal) ने भी अपने सोशल मीडिया पेज पर आंकड़े डालकर सरकार को घेरा. ये बात अलग है कि विक्रमादित्य सिंह के सोशल मीडिया पेज पर डाले गए आंकड़े में 2018 के आंकड़े गलत हैं. कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया पर भी जयराम सरकार को हिमाचल में बढ़ते दुष्कर्म मामलों पर घेरा.
उधर, पुलिस का कहना है कि अब महिलाएं अपने खिलाफ हो रहे अपराधों पर खामोश नहीं रहती. यही कारण है कि अब पुलिस में मामला दर्ज करवाया जाता है. तर्क चाहे जो भी हो, लेकिन सभ्य समाज में महिलाओं के प्रति अपराध किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं होने चाहिए. यहां इस रिपोर्ट का आशय आंकड़े पेश करना नहीं है, बल्कि समाज के सभी वर्गों से इस दूषित मानसिकता के प्रति संवेदना जगाना है. राजनेताओं को भी ऐसे मामलों में राजनीति की बजाय संवेदनशील होने की जरूरत है.
निरंतर बढ़ रहे महिलाओं के खिलाफ अपराध: हिमाचल प्रदेश में दुष्कर्म के मामलों का अध्ययन (Study of rape cases in Himachal Pradesh) करें तो सामाजिक ताने-बाने को लेकर दुखद तस्वीर उभरती है. सरकार चाहे किसी की भी हो, दुष्कर्म के मामले निरंतर बढ़ते रहे हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकना सामूहिक जिम्मेदारी है.
आंकड़ों की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2012 में दुष्कर्म के 183 मामले सामने आए थे. फिर वर्ष 2013 में ये मामले बढ़कर 250 हो गए. वर्ष 2014 में 284 और वर्ष 2015 में ये आंकड़ा 244 तक पहुंच गया. वर्ष 2016 में भी दुष्कर्म के 244 मामले ही सामने आए. इस तरह पांच साल में महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म के 1309 मामले दर्ज किए गए. वर्ष 2017 में हिमाचल में दुष्कर्म के 249 केस दर्ज किए गए. उसके बाद वर्ष 2018 में 345, वर्ष 2019 में 360 व वर्ष 2020 में 331 रेप के केस दर्ज किए गए. वर्ष 2021 में 359 दुष्कर्म के मामले सामने आए.
हिमाचल प्रदेश में दुष्कर्म के मामले | |
2012 | 183 |
2013 | 250 |
2014 | 284 |
2015 | 244 |
2016 | 244 |
2017 | 249 |
2018 | 345 |
2019 | 360 |
2020 | 331 |
2021 | 359 |
जुलाई 2017 में गुड़िया मामले से फैला आक्रोश: गुड़िया रेप एंड मर्डर केस (Gudiya rape and murder case) ने पूरे हिमाचल को आक्रोशित कर दिया था. लोग कहते हैं कि इसी केस के कारण हिमाचल में कांग्रेस की सरकार की विदाई हुई. खैर, हिमाचल में कई ऐसे दुखद मामले हुए हैं, जिसने मानवता को शर्मसार किया है. वर्ष 2017 में ही अप्रैल महीने में कुल्लू में आठ साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या हो गई थी. इस मामले में भी हाईकोर्ट ने सरकार को फटकारा था. नवंबर 2018 में चंबा के सिहुंता में 10 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था.
2015 में युवती से सामूहिक दुष्कर्म: वर्ष 2015 में बिलासपुर के बरमाणा में एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि ये अपराध किसी की हत्या से भी बड़ा है और दुष्कर्म के आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए. वर्ष 2016 में बजट सत्र के दौरान दुष्कर्म के मामलों पर जवाब देते हुए पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह (Former Himachal CM Virbhadra Singh) ने बताया था कि तीन साल में दुष्कर्म के 779 केस सामने आए. विधानसभा में 15 मार्च को ये सवाल पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल (Former Himachal CM Prem Kumar Dhumal) का था. इस तरह तीन साल में 779 केस का अर्थ ये हुआ कि साल में 259 दुष्कर्म के मामले औसतन आए.
28 साल पहले हुआ रेप, दोषियों को मिली तीन साल की सजा: हिमाचल में दुष्कर्म का एक ऐसा केस भी सामने आया, जिसमें 28 साल बाद सजा सुनाई गई. वर्ष 1989 में मनाली में एक नाबालिग के साथ गैंगरेप हुआ था. उस मामले में 7 अप्रैल 2017 को हाईकोर्ट ने दोषियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई थी. सामाजिक कार्यकर्ता जीयानंद शर्मा कहते हैं कि इस संवेदनशील मामले पर राजनीति दुखद है.
महिलाओं के साथ अपराध दूषित मानसिकता का परिणाम: सरकार किसी की भी हो, महिला सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए. महिलाओं के साथ अपराध दूषित मानसिकता का परिणाम (Crime against women in Himachal) है. मनोचिकित्सक डॉ. रवि शर्मा इसके लिए संस्कारों की कमी को जिम्मेदार मानते हैं. डॉ. रवि शर्मा का कहना है कि इसके अलावा समाज में नशे की प्रवृति भी इसके लिए जिम्मेदार है. अधिकांश दुष्कर्म नशे की हालत में किए जाते हैं. गुड़िया दुष्कर्म मामले में भी दोषी नीलू चरानी ने नशे की हालत में जुर्म किया था. डॉ. शर्मा दुष्कर्म एवं महिलाओं के खिलाफ अपराधों को सभ्य समाज पर कलंक बताते हैं.
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