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चुनावी साल में भाजपा में पावर गेम: होशियार और प्रकाश से भाजपा में कितना होगा उजाला, किसकी मचेगी धूम

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Published : Jun 9, 2022, 9:00 PM IST

Updated : Jun 9, 2022, 9:06 PM IST

कांगड़ा जिले के देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह व मंडी जिले के जोगिंदर नगर से निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए. गौर करने वाली बात है कि देहरा से होशियार सिंह ने पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के खास रविंद्र सिंह रवि को पराजित किया था. वहीं, मंडी की जोगिंदर नगर सीट से प्रकाश राणा ने भाजपा के बड़े चेहरे और धूमल कैंप के खास नेता गुलाब सिंह ठाकुर को हराया था.

election year in Himachal Pradesh
डिजाइन फोटो.

शिमला: चुनावी साल में हिमाचल भाजपा में जबर्दस्त घटनाक्रम पेश आया है. कांगड़ा जिले के देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह व मंडी जिले के जोगिंदर नगर से निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए. शिमला में पार्टी कार्यालय दीपकमल में उक्त दोनों के पार्टी में शामिल होने के दौरान खुद सीएम जयराम ठाकुर मौजूद थे. इस तरह चुनावी रण से पहले दो निर्दलीय विधायकों के पार्टी में शामिल होने से भाजपा की पावर गेम में मोहरे नए सिरे से सजेंगे.

गौर करने वाली बात है कि देहरा से होशियार सिंह ने पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के खास रविंद्र सिंह रवि को पराजित किया था. वहीं, मंडी की जोगेंद्रनगर सीट से प्रकाश राणा ने भाजपा के बड़े चेहरे और धूमल कैंप के खास नेता गुलाब सिंह ठाकुर को हराया था. यहां बता दें कि गुलाब सिंह ठाकुर की बेटी का ब्याह प्रेम कुमार धूमल के बेटे और केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के साथ हुआ है. इस तरह गुलाब सिंह ठाकुर प्रेम कुमार धूमल के समधी भी हैं. अब नई परिस्थितियों में भाजपा में जयराम ठाकुर और मजबूत होकर उभरे हैं. इस घटनाक्रम के आलोक में पार्टी के भीतर कुछ रोचक समीकरणों का जिक्र करना दिलचस्प होगा.

पूर्व में हिमाचल भाजपा में शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल के खेमे चर्चित रहे हैं. हिमाचल में शांता कुमार एक दशक से लगभग हाशिए पर हैं. वर्ष 2017 के चुनाव में हिमाचल में भाजपा के प्रेम कुमार धूमल किचन कैबिनेट के कई चेहरे चुनाव हार गए. उनमें गुलाब सिंह ठाकुर, रविंद्र सिंह रवि, सतपाल सिंह सत्ती आदि का नाम प्रमुख है. वीरेंद्र कंवर भी प्रेम कुमार धूमल में खास स्थान रखते थे, लेकिन वे चुनाव जीत गए.

बाद में जब चुनाव हारने के बाद प्रेम कुमार धूमल का नाम सीएम के पद को लेकर चल रहा था तो वीरेंद्र कंवर ने ही अपनी सीट खाली करने के लिए पेशकश की थी. खैर, पार्टी हाईकमान इस पक्ष में नहीं था और जयराम ठाकुर को हिमाचल में सीएम पद की जिम्मेवारी सौंपी गई. हालांकि चुनाव पूर्व प्रेम कुमार धूमल हिमाचल भाजपा के सीएम फेस थे. उन्होंने प्रदेश भर में रैलियां की थीं और पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन धूमल खुद सुजानपुर सीट से चुनाव हार गए थे और साथ ही सीएम पद की बाजी भी उनके हाथ से फिसल गई. जयराम ठाकुर को हिमाचल की सत्ता का मुखिया बनाया गया. जयराम ठाकुर की पीठ पर जेपी नड्डा का हाथ शुरू से ही रहा.

ये भी पढ़ें- Dragon Fruit Farming In Una: 16 हेक्टेयर में की जाएगी ड्रैगन फ्रूट की खेती, 80 किसानों को मनरेगा के तहत दिया जाएगा इस खेती का लाभ

इधर, चुनावी साल में हिमाचल भाजपा में फिर से पावर गेम शुरू हुई. उत्तराखंड में धर्मवीर धामी विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद सीएम बनाए गए. उसके बाद हिमाचल में भी ये सवाल उठा कि दोहरे मापदंड क्यों? जब धामी सीएम बन सकते हैं तो प्रेम कुमार धूमल का नाम क्यों काटा गया था? ये सवाल खुद प्रेम कुमार धूमल की तरफ से भी आए थे. यही नहीं, प्रेम कुमार धूमल ने बयान दिया था कि वो चुनाव लड़ भी सकते हैं और लड़वा भी सकते हैं. ऐसे में पावर गेम की शुरुआत हो गई थी.

उधर, वर्ष 2011 में जिस तरह से जेपी नड्डा को हिमाचल में कैबिनेट मंत्री से दिल्ली में संगठन में जाने को मजबूर किया गया तो उसकी टीस भी नड्डा के मन में रह-रहकर उठती रही है. कभी हिमाचल में भी सरकार का चेहरा बदलने की बात उठती रही, लेकिन जेपी नड्डा ने जयराम ठाकुर की पीठ पर अभय का हाथ रखा. वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी जयराम ठाकुर के पक्ष में रहे. पीएम की हालिया शिमला रैली में नरेंद्र मोदी ने मंच से जयराम ठाकुर को अपना मित्र तक बताया.

वहीं, राजनीति की बिसात पर चतुराई भरी चाल चलते हुए भाजपा ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हमीरपुर में रखी. यही नहीं, पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल की शादी की गोल्डन जुबली का समारोह हमीरपुर में हुआ तो सीएम सहित सरकार भी उस आयोजन में शामिल हुई. फिर कार्यसमिति की बैठक में प्रेम कुमार धूमल का आशीष भी लिया गया, लेकिन उसके ठीक बाद शिमला में धूमल गुट को पावर गेम में झटका दे दिया गया.

ये भी पढे़ं- कहीं से भी डाल सकेंगे वोट, रिमोट वोटिंग की संभावनाएं तलाश रहा चुनाव आयोग

कहा जा रहा है कि हाईकमान के अनुसार प्रेम कुमार धूमल के परिवार के युवा सदस्य अनुराग ठाकुर का कद केंद्र में निरंतर बढ़ता रहे, उसके लिए पूर्व सीएम को हिमाचल में पार्टी के लिए जी-जान लड़ानी ही होगी. अब नई परिस्थितियों में देहरा और द्रंग से तो कम से कम धूमल खेमे के नेताओं के टिकट कट ही जाएंगे. देखना होगा कि रविंद्र सिंह रवि को प्रेम कुमार धूमल कहां एडजस्ट करवाते हैं. ये देखना भी रोचक होगा कि क्या रविंद्र रवि व गुलाब सिंह ठाकुर चुनाव लड़ेंगे.

ये भी देखना होगा कि भाजपा होशियार सिंह व प्रकाश राणा को फिर से टिकट देती है या नहीं. मौजूदा परिस्थितियों में तो दोनों का टिकट पक्का है. कारण ये है कि जब उक्त दोनों नेता निर्दलीय चुनाव लड़ कर पूर्व में जीत चुके हैं तो अब 2022 में क्यों नहीं जीत सकते. फिर होशियार सिंह ने कुछ समय पहले कहा था कि वे चुनाव जरूर लड़ेंगे चाहे किसी भी दल से लड़ें. हिमाचल की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का कहना है कि भाजपा अब शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल के समय से आगे निकली है. परिस्थितियां बताती हैं कि कुल मिलाकर जयराम ठाकुर मजबूत हुए हैं. केंद्र में यदि अनुराग ठाकुर मजबूत दिखते रहना चाहते हैं तो प्रेम कुमार धूमल को हिमाचल में पार्टी के लिए अपने अनुभव का प्रयोग चुनावी सफलता के लिए करना जरूरी होगा. राजनीति में ऐसा समय आता है, जब नई पीढ़ी प्रभावी होती है.

हिमाचल भाजपा में ये ऐसा ही समय है. दो निर्दलीय विधायकों को पार्टी में विधिवत रूप से शामिल करने की सियासी घटना कोई एक रात में संभव नहीं होती. इसके लिए बाकायदा पटकथा लिखी जाती है. नवनीत शर्मा का कहना है कि फिलहाल भाजपा में पावर गेम नए व रोचक मोड़ पर मानी जाएगी. वहीं, भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप का कहना है कि पार्टी वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन से चलती है.

प्रेम कुमार धूमल पार्टी के सम्मानित नेता हैं. पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उनके अनुभव और मार्गदर्शन से लाभ लेते हैं. उन्होंने दावा किया कि जयराम सरकार के चार साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के सहारे भाजपा मिशन रिपीट में कामयाब होगी. उन्होंने कहा कि केंद्र में व राज्य में एक ही दल की सरकार होने से विकास की गाड़ी तेज गति से दौड़ती है और प्रदेश का जागरुक मतदाता इस बात को समझता है.

शिमला: चुनावी साल में हिमाचल भाजपा में जबर्दस्त घटनाक्रम पेश आया है. कांगड़ा जिले के देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह व मंडी जिले के जोगिंदर नगर से निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए. शिमला में पार्टी कार्यालय दीपकमल में उक्त दोनों के पार्टी में शामिल होने के दौरान खुद सीएम जयराम ठाकुर मौजूद थे. इस तरह चुनावी रण से पहले दो निर्दलीय विधायकों के पार्टी में शामिल होने से भाजपा की पावर गेम में मोहरे नए सिरे से सजेंगे.

गौर करने वाली बात है कि देहरा से होशियार सिंह ने पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के खास रविंद्र सिंह रवि को पराजित किया था. वहीं, मंडी की जोगेंद्रनगर सीट से प्रकाश राणा ने भाजपा के बड़े चेहरे और धूमल कैंप के खास नेता गुलाब सिंह ठाकुर को हराया था. यहां बता दें कि गुलाब सिंह ठाकुर की बेटी का ब्याह प्रेम कुमार धूमल के बेटे और केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के साथ हुआ है. इस तरह गुलाब सिंह ठाकुर प्रेम कुमार धूमल के समधी भी हैं. अब नई परिस्थितियों में भाजपा में जयराम ठाकुर और मजबूत होकर उभरे हैं. इस घटनाक्रम के आलोक में पार्टी के भीतर कुछ रोचक समीकरणों का जिक्र करना दिलचस्प होगा.

पूर्व में हिमाचल भाजपा में शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल के खेमे चर्चित रहे हैं. हिमाचल में शांता कुमार एक दशक से लगभग हाशिए पर हैं. वर्ष 2017 के चुनाव में हिमाचल में भाजपा के प्रेम कुमार धूमल किचन कैबिनेट के कई चेहरे चुनाव हार गए. उनमें गुलाब सिंह ठाकुर, रविंद्र सिंह रवि, सतपाल सिंह सत्ती आदि का नाम प्रमुख है. वीरेंद्र कंवर भी प्रेम कुमार धूमल में खास स्थान रखते थे, लेकिन वे चुनाव जीत गए.

बाद में जब चुनाव हारने के बाद प्रेम कुमार धूमल का नाम सीएम के पद को लेकर चल रहा था तो वीरेंद्र कंवर ने ही अपनी सीट खाली करने के लिए पेशकश की थी. खैर, पार्टी हाईकमान इस पक्ष में नहीं था और जयराम ठाकुर को हिमाचल में सीएम पद की जिम्मेवारी सौंपी गई. हालांकि चुनाव पूर्व प्रेम कुमार धूमल हिमाचल भाजपा के सीएम फेस थे. उन्होंने प्रदेश भर में रैलियां की थीं और पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन धूमल खुद सुजानपुर सीट से चुनाव हार गए थे और साथ ही सीएम पद की बाजी भी उनके हाथ से फिसल गई. जयराम ठाकुर को हिमाचल की सत्ता का मुखिया बनाया गया. जयराम ठाकुर की पीठ पर जेपी नड्डा का हाथ शुरू से ही रहा.

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इधर, चुनावी साल में हिमाचल भाजपा में फिर से पावर गेम शुरू हुई. उत्तराखंड में धर्मवीर धामी विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद सीएम बनाए गए. उसके बाद हिमाचल में भी ये सवाल उठा कि दोहरे मापदंड क्यों? जब धामी सीएम बन सकते हैं तो प्रेम कुमार धूमल का नाम क्यों काटा गया था? ये सवाल खुद प्रेम कुमार धूमल की तरफ से भी आए थे. यही नहीं, प्रेम कुमार धूमल ने बयान दिया था कि वो चुनाव लड़ भी सकते हैं और लड़वा भी सकते हैं. ऐसे में पावर गेम की शुरुआत हो गई थी.

उधर, वर्ष 2011 में जिस तरह से जेपी नड्डा को हिमाचल में कैबिनेट मंत्री से दिल्ली में संगठन में जाने को मजबूर किया गया तो उसकी टीस भी नड्डा के मन में रह-रहकर उठती रही है. कभी हिमाचल में भी सरकार का चेहरा बदलने की बात उठती रही, लेकिन जेपी नड्डा ने जयराम ठाकुर की पीठ पर अभय का हाथ रखा. वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी जयराम ठाकुर के पक्ष में रहे. पीएम की हालिया शिमला रैली में नरेंद्र मोदी ने मंच से जयराम ठाकुर को अपना मित्र तक बताया.

वहीं, राजनीति की बिसात पर चतुराई भरी चाल चलते हुए भाजपा ने प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हमीरपुर में रखी. यही नहीं, पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल की शादी की गोल्डन जुबली का समारोह हमीरपुर में हुआ तो सीएम सहित सरकार भी उस आयोजन में शामिल हुई. फिर कार्यसमिति की बैठक में प्रेम कुमार धूमल का आशीष भी लिया गया, लेकिन उसके ठीक बाद शिमला में धूमल गुट को पावर गेम में झटका दे दिया गया.

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कहा जा रहा है कि हाईकमान के अनुसार प्रेम कुमार धूमल के परिवार के युवा सदस्य अनुराग ठाकुर का कद केंद्र में निरंतर बढ़ता रहे, उसके लिए पूर्व सीएम को हिमाचल में पार्टी के लिए जी-जान लड़ानी ही होगी. अब नई परिस्थितियों में देहरा और द्रंग से तो कम से कम धूमल खेमे के नेताओं के टिकट कट ही जाएंगे. देखना होगा कि रविंद्र सिंह रवि को प्रेम कुमार धूमल कहां एडजस्ट करवाते हैं. ये देखना भी रोचक होगा कि क्या रविंद्र रवि व गुलाब सिंह ठाकुर चुनाव लड़ेंगे.

ये भी देखना होगा कि भाजपा होशियार सिंह व प्रकाश राणा को फिर से टिकट देती है या नहीं. मौजूदा परिस्थितियों में तो दोनों का टिकट पक्का है. कारण ये है कि जब उक्त दोनों नेता निर्दलीय चुनाव लड़ कर पूर्व में जीत चुके हैं तो अब 2022 में क्यों नहीं जीत सकते. फिर होशियार सिंह ने कुछ समय पहले कहा था कि वे चुनाव जरूर लड़ेंगे चाहे किसी भी दल से लड़ें. हिमाचल की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का कहना है कि भाजपा अब शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल के समय से आगे निकली है. परिस्थितियां बताती हैं कि कुल मिलाकर जयराम ठाकुर मजबूत हुए हैं. केंद्र में यदि अनुराग ठाकुर मजबूत दिखते रहना चाहते हैं तो प्रेम कुमार धूमल को हिमाचल में पार्टी के लिए अपने अनुभव का प्रयोग चुनावी सफलता के लिए करना जरूरी होगा. राजनीति में ऐसा समय आता है, जब नई पीढ़ी प्रभावी होती है.

हिमाचल भाजपा में ये ऐसा ही समय है. दो निर्दलीय विधायकों को पार्टी में विधिवत रूप से शामिल करने की सियासी घटना कोई एक रात में संभव नहीं होती. इसके लिए बाकायदा पटकथा लिखी जाती है. नवनीत शर्मा का कहना है कि फिलहाल भाजपा में पावर गेम नए व रोचक मोड़ पर मानी जाएगी. वहीं, भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप का कहना है कि पार्टी वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन से चलती है.

प्रेम कुमार धूमल पार्टी के सम्मानित नेता हैं. पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उनके अनुभव और मार्गदर्शन से लाभ लेते हैं. उन्होंने दावा किया कि जयराम सरकार के चार साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के सहारे भाजपा मिशन रिपीट में कामयाब होगी. उन्होंने कहा कि केंद्र में व राज्य में एक ही दल की सरकार होने से विकास की गाड़ी तेज गति से दौड़ती है और प्रदेश का जागरुक मतदाता इस बात को समझता है.

Last Updated : Jun 9, 2022, 9:06 PM IST
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