शिमलाः प्रदेश में कोरोना संकट के बीच बरसात के बाद खिलने वाली धूप के दौरान देवदार के पेड़ों से गिरने वाला पोलन का खतरा मंडराने लगा है. लोगों को अब पोलन से सांस की बीमारियों का खतरा सताने लगा है. इस बार पोलन की मात्रा बीते सालों के मुकाबले ज्यादा बताई जा रही है.
बता दें कि पोलन देवदार के पेड़ों से गिरने वाला पीला बुरादा होता है. इससे सांस, आंख और त्वचा संबंधी एलर्जी हो जाती है. पोलन हवा में घुलकर कान, नाक और मुंह के रास्ते फेफड़ों में चला जाता है. पोलन सांस संबंधी बीमारी को बढ़ाता है.
इस बारे में आईजीएमसी में मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. विमल भारती ने बताया कि बरसात के बाद धूप खिलने से देवदार के पेड़ों से पीले रंग का पोलन गिरता है जो दमा या पुरानी बीमारीं वाले मरीजो के लिए खतरनाक है. डॉ. विमल भारती ने बताया कि पोलन दमा के मरीजों के लिए यह घातक बन जाता है. पोलन से बचाव के लिए मास्क एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है. मास्क मुंह और नाक में पोलन से रोकेगा जिससे इसके खतरे से बचा जा सकता है.
उन्होंने लोगों को अपने खान-पान को सही रखने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि हमें नशे आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. खाने में बैलेंस डाइट का ध्यान रखना चाहिए. पानी व इम्युनिटी बढ़ाने वाली खाद्य वस्तुयों का सेवन करते रहे.
बता दें कि देवदार के पेड़ों से पोलन गिरना प्राकृतिक है. सितंबर और अक्टूबर के महीने में ये ज्यादा रहता है. मूल रूप से पोलन से ही देवदार का सीड बनता है. इसके बगैर देवदार के नए पौधे जंगलों में लगना संभव नहीं है. ज्यादा उम्र वाले लोगों को भी इस सीजन में अधिक एहतियात बरतने की जरूरत है. पोलन गिरने वाले इलाकों में सैर करने से परहेज करना चाहिए. जिनकी सांस सैर करते समय अधिक फूलती है वे पोलन गिरने वाले दिनों में सैर से परहेज करें.
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