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यूरोलॉजी में इलाज करना हुआ मुश्किल! घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद भी नहीं आ रहा नंबर

हिमाचल के सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल आईजीएमसी में इन दिनों यूरोलॉजी में इलाज कराना काफी मुश्किल हो गया है. यहां घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद मरीजों का नंबर नहीं आ रहा है, जिसके चलते उनकी परेशानी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. हालांकि आईजीएमसी के एमएस (IGMC MS) डॉ जनक राज ने बताया कि यूरालॉजी में मरीजों का ठीक से उपचार चल रहा है. अगर किसी भी मरीज को कोई दिक्कत आ रही है, तो उसे शीघ्र ही दूर किया जाएगा.

patients facing problems in igmc
IGMC के यूरोलॉजी में मरीजों को हो रही परेशानी
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Published : Sep 3, 2021, 4:55 PM IST

शिमला: आईजीएमसी में मरीजों को सुविधा देने को लेकर प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. यहां सबसे ज्यादा खराब स्थिति यूरोलॉजी ओटी और ओपीडी की है. जहां पर मरीजों को सुबह से लेकर शाम तक उपचार करवाने में कई तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है. ओटी की हलात इतनी खस्ता है कि यहां पर मरीजों की पर्ची तक ही गायब हो जा रही है. मरीज सुबह से ही ओटी के बाहर उपचार करवाने बैठ जाते हैं, लेकिन शाम में पता चलता है कि उनकी पर्ची अंदर पहुंची ही नहीं है.

शिमला के रहने वाले एक मरीज रमेश का कहना है कि उसे पथरी की शिकायत थी. ऐसे में वह यूरोलॉजी ओटी के बाहर डॉक्टरों से चेकअप करवाने चला गया. उसने अपनी पर्ची भी अंदर दे दी थी. शाम तक इंतजार करता रहा, लेकिन उसका नबंर तक नहीं आया. जब शाम के समय में डॉक्टरों से बात की तो डॉक्टरों ने कहा कि हमारे पास तो आपकी पर्ची ही नहीं है. यहां पर इस तरह की यह पहली शिकायत नहीं है इससे पहले भी कई मरीज शिकायत कर चुके हैं.

यूरोलॉजी में पथरी और किडनी के मरीजों में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है फिर भी इस विभाग में प्रशासन की ओर से कोई सुधार नहीं किया जा रहा है. ऐसे में यहां पर मरीज आए दिन दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. बड़ी बात यह है कि दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की निगरानी में आईजीएमसी में अभी तक पांच के किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं. ऐसे में अब तो यहां पर यूरोलॉजी विभाग को और ज्यादा अपग्रेड किया जाना चाहिए था.

किडनी के मरीज पहुंचते हैं आईजीएमसी: आए दिन किडनी के ही कई मरीज आईजीएमसी में पहुंचते हैं. इसके अलावा पथरी के मरीज भी भारी संख्या में यहां पहुंचते हैं. किडनी के मरीजों में 10 फीसदी रोगियों को तुरंत किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत रही है. वहीं, अन्य अंगों के ट्रांसप्लांट के लिए भी यहां से मरीजों को पीजीआई या एम्स जाने के लिए कहा जाता है. इसमें कई गरीब मरीज अधिक खर्च होने के कारण ट्रांसप्लांट नहीं करवा सकते. ऐसे में जब आईजीएमसी में ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो गई है तो प्रशासन को भी अब स्थिति में सुधार लाने की जरूरत है, ताकि मरीज ठीक से उपचार करवा सकें.

इस संबंध में आईजीएमसी के एमएस (IGMC MS) डॉ जनक राज ने बताया कि यूरालॉजी में मरीजों का ठीक से उपचार चल रहा है. अगर किसी भी मरीज को कोई दिक्कत आ रही है, तो उसे शीघ्र ही दूर किया जाएगा. कई बार मरीजों की भीड़ बढ़ जाती है. ऐसे में मरीजों के उपचार करने में भी समय लग जाता है. हमारी यही कोशिश है कि आईजीएमसी में मरीजों को बेहतरीन सुविधा मिले.

शिमला: आईजीएमसी में मरीजों को सुविधा देने को लेकर प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. यहां सबसे ज्यादा खराब स्थिति यूरोलॉजी ओटी और ओपीडी की है. जहां पर मरीजों को सुबह से लेकर शाम तक उपचार करवाने में कई तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है. ओटी की हलात इतनी खस्ता है कि यहां पर मरीजों की पर्ची तक ही गायब हो जा रही है. मरीज सुबह से ही ओटी के बाहर उपचार करवाने बैठ जाते हैं, लेकिन शाम में पता चलता है कि उनकी पर्ची अंदर पहुंची ही नहीं है.

शिमला के रहने वाले एक मरीज रमेश का कहना है कि उसे पथरी की शिकायत थी. ऐसे में वह यूरोलॉजी ओटी के बाहर डॉक्टरों से चेकअप करवाने चला गया. उसने अपनी पर्ची भी अंदर दे दी थी. शाम तक इंतजार करता रहा, लेकिन उसका नबंर तक नहीं आया. जब शाम के समय में डॉक्टरों से बात की तो डॉक्टरों ने कहा कि हमारे पास तो आपकी पर्ची ही नहीं है. यहां पर इस तरह की यह पहली शिकायत नहीं है इससे पहले भी कई मरीज शिकायत कर चुके हैं.

यूरोलॉजी में पथरी और किडनी के मरीजों में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है फिर भी इस विभाग में प्रशासन की ओर से कोई सुधार नहीं किया जा रहा है. ऐसे में यहां पर मरीज आए दिन दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. बड़ी बात यह है कि दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की निगरानी में आईजीएमसी में अभी तक पांच के किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं. ऐसे में अब तो यहां पर यूरोलॉजी विभाग को और ज्यादा अपग्रेड किया जाना चाहिए था.

किडनी के मरीज पहुंचते हैं आईजीएमसी: आए दिन किडनी के ही कई मरीज आईजीएमसी में पहुंचते हैं. इसके अलावा पथरी के मरीज भी भारी संख्या में यहां पहुंचते हैं. किडनी के मरीजों में 10 फीसदी रोगियों को तुरंत किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत रही है. वहीं, अन्य अंगों के ट्रांसप्लांट के लिए भी यहां से मरीजों को पीजीआई या एम्स जाने के लिए कहा जाता है. इसमें कई गरीब मरीज अधिक खर्च होने के कारण ट्रांसप्लांट नहीं करवा सकते. ऐसे में जब आईजीएमसी में ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो गई है तो प्रशासन को भी अब स्थिति में सुधार लाने की जरूरत है, ताकि मरीज ठीक से उपचार करवा सकें.

इस संबंध में आईजीएमसी के एमएस (IGMC MS) डॉ जनक राज ने बताया कि यूरालॉजी में मरीजों का ठीक से उपचार चल रहा है. अगर किसी भी मरीज को कोई दिक्कत आ रही है, तो उसे शीघ्र ही दूर किया जाएगा. कई बार मरीजों की भीड़ बढ़ जाती है. ऐसे में मरीजों के उपचार करने में भी समय लग जाता है. हमारी यही कोशिश है कि आईजीएमसी में मरीजों को बेहतरीन सुविधा मिले.

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