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रामपुर में धूमधाम से मनाई गई परशुराम जयंती, जानिए 'न्याय के देवता' से जुड़ी मान्यताएं

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Published : May 7, 2019, 3:21 PM IST

Updated : May 7, 2019, 5:18 PM IST

आज परशुराम जयंती है और पूरे देशभर में इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. हर साल अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार परशुराम भगवान विष्‍णु के छठे अवतार हैं.

भगवान परशुराम की पूजा करते लोग

शिमला: आज परशुराम जयंती है और पूरे देशभर में इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. हर साल अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार परशुराम भगवान विष्‍णु के छठे अवतार हैं.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस पर बरसे शांता कुमार, मुगल शासक गजनी और गौरी से की तुलना

रामपुर में भी ब्राह्मण सभा द्वारा अयोध्या नाथ मंदिर में परशुराम राम जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई. इसी बीच ब्राह्मण सभा ने ब्लॉक स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें रामपुर क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया.

Parshuram Ram Jayanti celebrated in shimla
भगवान परशुराम की पूजा करते लोग
ब्राह्मण समाज के लोगों ने परशुराम की मूर्ति के आगे दीपक जलाकर उनकी पुजा अर्चना की और क्षेत्र की सुख-समृद्धि के लिए हवन भी किया. इसके अलावा इस दौरान भगवान परशुराम के जीवन पर प्रकाश डाला और लोगों से उनके आचरण पर चलने की अपील की.

भगवान परशुराम से जुड़ी पौराणिक कथाएं
पौराणिक कथाओं भगवान परशुराम को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. कहा जाता है कि एक बार परशुराम ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था. इसके अलावा भी कई ऐसी घटनाएं हैं जिनमें परशुराम के क्रोध की कहानियां मिलती हैं. कहा जाता है कि इनके क्रोध से सभी देवी-देवता भयभीत रहा करते थे.

Parshuram Ram Jayanti celebrated in shimla
भगवान परशुराम की पूजा करते लोग

मान्यता है कि पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म छह उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने. प्रतापी एवं माता-पिता भक्त परशुराम ने जहां पिता की आज्ञा से माता का गला काट दिया, वहीं, पिता से माता को जीवित करने का वरदान भी मांग लिया.

ये भी पढ़ें: CM ने वीरभद्र और सुखराम के गठजोड़ को बताया दिखावा, कहा- सिर्फ सत्ता के लिए गले मिले हैं कांग्रेस नेता

कहा जाता है कि भगवान शिव के परमभक्त परशुराम न्याय के देवता हैं, जिन्होंने 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन किया था. परशुराम ने अपने माता-पिता के अपमान का बदला लेने के लिए 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था. उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन ने अपने बल और घमंड की वजह से ब्राह्राणों और ऋषियों पर अत्याचार किया था.

Parshuram Ram Jayanti celebrated in shimla
भगवान परशुराम की पूजा करते लोग

एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी पूरी सेना समेत भगवान परशुराम के पिता जमदग्रि मुनी के आश्रम पहुंच गया. मुनि ने कामधेनु गाय के दूध से पूरी सेना का आदर से स्वागत किया, लेकिन चमत्कारी कामधेनु की आलौकिकता को देखते हुए उसने अपने बल का प्रयोग कर छीन लिया.


उसके बाद जब यह बात परशुराम को पता चली तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन को मार डाला. उसके बाद सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने बदला लेने के लिए परशुराम के पिता का वध कर दिया और माता-पिता के वियोग में चिता पर सती हो गईं.
इसके बाद पिता के शरीर पर 21 घाव को देखते हुए परशुराम ने शपथ ली थी कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंशों का संहार कर देंगे. इसके बाद पूरे 21 बार उन्होंने पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की.

भगवान परशुराम के बारे में जानकारी देते ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष

ये भी पढ़ें:'आश्रय को टिकट देना मंडी की जनता से मजाक, 'आया राम गया राम' ने हिमाचल का नाम किया बदनाम'

हिंदू धर्म शास्त्रों में लिखा है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन हुआ था. देवराज इन्द्र ने भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि के पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न होकर ऋषि की पत्नी रेणुका को परशुराम के जन्म का आशीर्वाद दिया था. वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन ही परशुराम जयंती को मनाया जाता है.

शिमला: आज परशुराम जयंती है और पूरे देशभर में इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. हर साल अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार परशुराम भगवान विष्‍णु के छठे अवतार हैं.

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रामपुर में भी ब्राह्मण सभा द्वारा अयोध्या नाथ मंदिर में परशुराम राम जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई. इसी बीच ब्राह्मण सभा ने ब्लॉक स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें रामपुर क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया.

Parshuram Ram Jayanti celebrated in shimla
भगवान परशुराम की पूजा करते लोग
ब्राह्मण समाज के लोगों ने परशुराम की मूर्ति के आगे दीपक जलाकर उनकी पुजा अर्चना की और क्षेत्र की सुख-समृद्धि के लिए हवन भी किया. इसके अलावा इस दौरान भगवान परशुराम के जीवन पर प्रकाश डाला और लोगों से उनके आचरण पर चलने की अपील की.

भगवान परशुराम से जुड़ी पौराणिक कथाएं
पौराणिक कथाओं भगवान परशुराम को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. कहा जाता है कि एक बार परशुराम ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था. इसके अलावा भी कई ऐसी घटनाएं हैं जिनमें परशुराम के क्रोध की कहानियां मिलती हैं. कहा जाता है कि इनके क्रोध से सभी देवी-देवता भयभीत रहा करते थे.

Parshuram Ram Jayanti celebrated in shimla
भगवान परशुराम की पूजा करते लोग

मान्यता है कि पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म छह उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने. प्रतापी एवं माता-पिता भक्त परशुराम ने जहां पिता की आज्ञा से माता का गला काट दिया, वहीं, पिता से माता को जीवित करने का वरदान भी मांग लिया.

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कहा जाता है कि भगवान शिव के परमभक्त परशुराम न्याय के देवता हैं, जिन्होंने 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन किया था. परशुराम ने अपने माता-पिता के अपमान का बदला लेने के लिए 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था. उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन ने अपने बल और घमंड की वजह से ब्राह्राणों और ऋषियों पर अत्याचार किया था.

Parshuram Ram Jayanti celebrated in shimla
भगवान परशुराम की पूजा करते लोग

एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी पूरी सेना समेत भगवान परशुराम के पिता जमदग्रि मुनी के आश्रम पहुंच गया. मुनि ने कामधेनु गाय के दूध से पूरी सेना का आदर से स्वागत किया, लेकिन चमत्कारी कामधेनु की आलौकिकता को देखते हुए उसने अपने बल का प्रयोग कर छीन लिया.


उसके बाद जब यह बात परशुराम को पता चली तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन को मार डाला. उसके बाद सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने बदला लेने के लिए परशुराम के पिता का वध कर दिया और माता-पिता के वियोग में चिता पर सती हो गईं.
इसके बाद पिता के शरीर पर 21 घाव को देखते हुए परशुराम ने शपथ ली थी कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंशों का संहार कर देंगे. इसके बाद पूरे 21 बार उन्होंने पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की.

भगवान परशुराम के बारे में जानकारी देते ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष

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हिंदू धर्म शास्त्रों में लिखा है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन हुआ था. देवराज इन्द्र ने भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि के पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न होकर ऋषि की पत्नी रेणुका को परशुराम के जन्म का आशीर्वाद दिया था. वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन ही परशुराम जयंती को मनाया जाता है.

Intro:रामपुर बुशहर 7मई मीनाक्षी


Body:रामपुर में ब्राह्मण सभा ने अयोध्या नाथ मंदिर में में परशुराम राम जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई । इस मौके पर रामपुर ब्राह्मण सभा ने ब्लाक स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें रामपुर क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया ।
इस दौरान ब्राहमण सभा के लोगों ने परशुराम की मूर्ति के आगे दीपक जलाकर उनकीं पुजा अर्चना की । इस दौरान उन्होंने वहन भी किया । इस दौरान उन्होंने क्षेत्र की सुख समृद्धि के लिए हवन भी किया । इस दौरान परशुराम राम के जीवन पर परकाश डाला और लोगों से उनके आचरण पर चलने की अपील की ।


बाईट: अध्यक्ष ब्राह्मण सभा रामपुर


Conclusion:
Last Updated : May 7, 2019, 5:18 PM IST
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