शिमला: हिमाचल सरकार दागी अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्ती (action against officers with doubtful integrity) करने के मूड में है. हिमाचल में सभी विभागों को अपने स्तर पर अफसरों तथा कर्मियों का नियमित रूप से सर्विस रिव्यू प्रोसेस (service review process in himachal) करना होगा. अभी तक आईएएस व आईपीएस अफसरों का सर्विस रिव्यू होता आया है.
हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मसले पर कोई ठोस निर्णय लेने के लिए कहा है. अदालत ने पूर्व में टिप्पणी की थी कि सरकार ओडीआई यानी ऑफिसर्ज विद डाउटफुल इंटेग्रिटी जिसे दागी पब्लिक सर्वेंट कहा जाता है. उनके खिलाफ नौकरी से हटाने यानी जबरन रिटायर (Himachal action against corrupted officer) करने के नियमों का इस्तेमाल करे. राज्य सरकार (Jairam Strict on Tainted officers) का इरादा सभी विभागों में नियुक्ति से जुड़ी अथॉरिटी को साल में एक बार सर्विस रिव्यू सुनिश्चित करना है. इसका असर यह होगा कि भ्रष्टाचार या किसी अन्य प्रकार के मामले में फंसे सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जल्द कार्रवाई संभव होगी.
वर्तमान समय में हिमाचल प्रदेश में केवल आईएएस या एचएएस, आईपीएस या एचपीएस और आईएफएस या एचएफएस आदि सर्विसिज में रेगुलर सर्विस रिव्यू होता है, लेकिन ड्रग इंस्पेक्टर, इंजीनियर, डॉक्टर या किसी अन्य पेशे के कर्मचारियों के खिलाफ सर्विस रिव्यू के मौजूदा कानून का इस्तेमाल नहीं होता. आल इंडिया सर्विजिस में भी ये इसलिए किया जाता है, क्योंकि केंद्र सरकार प्रमोशन या इंडक्शन के समय सर्विस रिव्यू के मिनट्स की रिक्वायरमेंट जरूरी मानती है.
वर्तमान में सर्विस रिव्यू का प्रावधान फंडामेंटल रूल्स और प्री-मैच्योर रिटायरमेंट रूल्स में है. ये दोनों ही नियम (Himachal policy against tainted employee) सभी सरकारी कर्मचारियों या अधिकारियों पर लागू होते हैं. यानी क्लास वन से लेकर फोर तक, लेकिन इनका इस्तेमाल इस तरह नहीं हो रहा था. इस रिव्यू में संबंधित कर्मचारी के सर्विस रिकार्ड और आरोपों को देखते हुए उसे 'डैड वुड घोषित किया जा सकता है. यानी सरकारी काम के लिए अनुपयोगी.
ऐसा होते ही उस दागी अफसर और कर्मचारी को प्री-मैच्योर रिटायरमेंट लेनी होगी. उल्लेखनीय है कि अदालत में चल रहे इस मामले में पूर्व में जयराम सरकार ने सत्ता संभालने के बाद मार्च 2018 में हाईकोर्ट में दायर शपथ पत्र में बताया था कि उस समय 66 अफसर संदेहास्पद छवि यानी ओडीआई लिस्ट में थे.
वहीं, इस साल बजट सत्र के दौरान सरकार ने जानकारी दी थी कि प्रदेश के 244 अधिकारी व कर्मचारी दागी हैं. अधिकांश पर विजिलेंस की जांच चल रही है. कई मामलों में जांच आगे बढ़ी है और अभियोजन के चरण तक पहुंच गई है. वहीं, कुछ मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर व कर्मचारी ट्रायल का सामना कर रहे हैं.
राज्य सरकार के तहत लोक निर्माण, जल शक्ति विभाग, वन विभाग, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, केसीसी बैंक, राजस्व विभाग, कृषि, परिवहन, शिक्षा, उद्यान, पुलिस विभाग आदि में भ्रष्टाचार के मामले आए हैं. वहीं, जिन मामलों को लेकर सीबीआई जांच कर रही है, उनमें सहायक उप निरीक्षक रामलाल, हेड कांस्टेबल कमल सिंह, हेड कांस्टेबल राम सिंह, हेड कांस्टेबल मनोज, कांस्टेबल यादवेंद्र सिंह, उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक तिलकराज शामिल हैं. इसके अलावा स्कॉलरशिप घोटाले के आरोपी अरविंद राजटा भी हैं.
ये शिक्षा विभाग में अधीक्षक ग्रेड टू के पद पर थे. तिलक राज के खिलाफ मामला पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन है. विभाग ने 12 अक्टूबर 2017 को सीबीआइ को अवगत करवाया था कि इस मामले में अभियोजन मंजूरी की जरूरत नहीं है. फिलहाल हिमाचल सरकार अब सभी विभागों में अफसरों व कर्मियों के रेगुलर सर्विस रिव्यू की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है. राज्य सरकार दागी पाए अफसरों और कर्मियों के साथ सख्ती से पेश आएगी इसके लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है और अदालती आदेश के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.
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