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UGC की गाइडलाइंस का NSUI ने किया विरोध, डीसी ऑफिस के बाहर किया प्रदर्शन - एनएसयूआई विरोध प्रदर्शन

एनएसयूआई ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह परीक्षाओं को ना करवा कर पहले और दूसरे वर्ष के छात्रों को उनकी पहले की परफॉर्मेंस के आधार पर आगामी कक्षाओं में प्रमोट करें.

NSUI protest against UGC guidelines  in shimla
एनएसयूआई शिमला
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Published : Jul 10, 2020, 7:11 PM IST

शिमलाः प्रदेश में यूजीसी ने स्नातक स्तर की परीक्षाओं को करवाने के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं. साथ ही यूजीसी ने कॉलेज में अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं को करवाना अनिवार्य किया है. यूजीसी के इस फैसले को लेकर एनएसयूआई ने शुक्रवार को डीसी ऑफिस के बाहर विरोध प्रर्दशन किया.

इस दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने यूजीसी की ओर से परीक्षाओं को लेकर जारी की गाइडलाइंस की प्रतिलिपि जलाई. साथ ही एनएसयूआई ने 'एग्जाम फर्स्ट, बट लाइफ मस्ट' का नारा दिया.

वीडियो रिपोर्ट

एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 की वजह से पूरे देश मे स्थिति खराब बनी हुई है, लेकिन यूजीसी और सरकार छात्रों की चिंता को छोड़कर परीक्षाएं करवाने का समर्थन कर रही है, जोकि गलत है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से छात्रों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला जाएगा.

छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा कि परीक्षाएं करवाने में पहले ही देरी हो चुकी है. अभी परीक्षाएं करवाई जाती हैं, तो एचपीयू परिणाम समय पर घोषित नहीं कर पाएगा, जिससे छात्रों का पूरा साल बर्बाद होगा.

एनएसयूआई ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह परीक्षाओं को ना करवा कर पहले और दूसरे वर्ष के छात्रों को उनकी पहले की परफॉर्मेंस के आधार पर अगली कक्षाओं में प्रमोट किया जाए. साथ ही अंतिम समेस्टर के छात्रों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त अंक देकर पास किया जाए.

उन्होंने कहा कि वे मानते है कि परीक्षाएं जरूरी है, लेकिन उससे पहले छात्रों का स्वास्थ्य जरूरी है. उन्होंने कहा कि छात्रों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए परीक्षाएं अभी इन हालतों में ना करवाई जाएं.

प्रदेश अध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा कि जब आईआईटी मुंबई छात्रों की परीक्षाएं ना करवा कर छात्रों को प्रमोट कर सकती है तो विश्वविद्यालय भी यह फैसला ले सकता है. यह फैसला छात्रों के हित में है. इसलिए सरकार को इसी के आधार पर परीक्षाएं ना करवा कर छात्रों को आगामी कक्षाओं में प्रमोट करना चाहिए.

ये भी पढ़ें : कांग्रेस पार्टी दिशाहीन, विपक्ष की भूमिका निभाने में नाकामः वीरेंद्र कंवर

शिमलाः प्रदेश में यूजीसी ने स्नातक स्तर की परीक्षाओं को करवाने के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं. साथ ही यूजीसी ने कॉलेज में अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं को करवाना अनिवार्य किया है. यूजीसी के इस फैसले को लेकर एनएसयूआई ने शुक्रवार को डीसी ऑफिस के बाहर विरोध प्रर्दशन किया.

इस दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने यूजीसी की ओर से परीक्षाओं को लेकर जारी की गाइडलाइंस की प्रतिलिपि जलाई. साथ ही एनएसयूआई ने 'एग्जाम फर्स्ट, बट लाइफ मस्ट' का नारा दिया.

वीडियो रिपोर्ट

एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 की वजह से पूरे देश मे स्थिति खराब बनी हुई है, लेकिन यूजीसी और सरकार छात्रों की चिंता को छोड़कर परीक्षाएं करवाने का समर्थन कर रही है, जोकि गलत है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से छात्रों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला जाएगा.

छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा कि परीक्षाएं करवाने में पहले ही देरी हो चुकी है. अभी परीक्षाएं करवाई जाती हैं, तो एचपीयू परिणाम समय पर घोषित नहीं कर पाएगा, जिससे छात्रों का पूरा साल बर्बाद होगा.

एनएसयूआई ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह परीक्षाओं को ना करवा कर पहले और दूसरे वर्ष के छात्रों को उनकी पहले की परफॉर्मेंस के आधार पर अगली कक्षाओं में प्रमोट किया जाए. साथ ही अंतिम समेस्टर के छात्रों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त अंक देकर पास किया जाए.

उन्होंने कहा कि वे मानते है कि परीक्षाएं जरूरी है, लेकिन उससे पहले छात्रों का स्वास्थ्य जरूरी है. उन्होंने कहा कि छात्रों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए परीक्षाएं अभी इन हालतों में ना करवाई जाएं.

प्रदेश अध्यक्ष छत्तर सिंह ठाकुर ने कहा कि जब आईआईटी मुंबई छात्रों की परीक्षाएं ना करवा कर छात्रों को प्रमोट कर सकती है तो विश्वविद्यालय भी यह फैसला ले सकता है. यह फैसला छात्रों के हित में है. इसलिए सरकार को इसी के आधार पर परीक्षाएं ना करवा कर छात्रों को आगामी कक्षाओं में प्रमोट करना चाहिए.

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