शिमला: हिमाचल प्रदेश में एनएचएम कर्मचारियों की दूसरे दिन भी सांकेतिक पेन डाउन हड़ताल गुरुवार को भी (NHM EMPLOYEES STRIKE IN IGMC) जारी है. जिसके कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, राजधानी शिमला में भी दूर दराज क्षेत्रों से आए दर्जनों मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
दरअसल, एनएचएम कर्मचारियों ने बुधवार को एक दिन की सांकेतिक पेन डाउन हड़ताल की थी, लेकिन सरकार की तरफ कोई भी प्रतिक्रिया न आने के बाद कर्मचारियों ने अब 6 फरवरी तक सांकेतिक हड़ताल करने का फैसला (NHM strike in igmc shimla) लिया है. ऐसे में एनएचएम का कोई भी कर्मचारी अस्पताल में कार्य नहीं कर रहा है.
बर्फबारी के बीच आईजीएमसी पहुंचे मरीज- गुरुवार को भारी बर्फबारी के बीच आईजीएमसी अस्पताल में इलाज के लिए दर्जनों मरीज पहुंचे, लेकिन एनएचएम कर्मचारियों की सांकेतिक हड़ताल के कारण उन्हें बिना इलाज करवाए ही अपने घरों को वापस जाना पड़ा. जिसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
मरीजों को उठानी पड़ी परेशानी- सुन्नी से इलाज के लिए आईजीएमसी अस्पताल पहुंचे मरीज ने बताया कि वह सुबह बर्फबारी के बीच आईजीएमसी आये, लेकिन यहां एनएचएम कर्मचारियों की सांकेतिक हड़ताल के कारण उन्हें बिना इलाज करवाए ही वापस जाना पड़ (Patients face problem in igmc) रहा है. वहीं, रामपुर से इलाज के लिए आए एक तीमारदार ने बताया कि वह 5000 रुपये की गाड़ी करके अपने मरीज के साथ आईजीएमसी आए हैं, लेकिन यहां पर एनएचएम कर्मचारियों की सांकेतिक हड़ताल की वजह से उनका टेस्ट नहीं हो पाया और उन्हें वैसे ही निराश होकर वापस जाना पड़ रहा है.
कर्मचारियों को नहीं मिला ग्रेच्युटी का लाभ: एनएचएम कर्मचारी अंजू धीमान ने बताया की सभी जिले के एनएचएम कर्मचारियों ने सीएमओ के माध्यम से भी सचिव स्वास्थ्य मिशन निदेशक, निदेशक स्वास्थ्य सहित सभी अधिकारियाें काे ज्ञापन (nhm employees protest in hp) भेजा है. उन्हाेंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में राज्य स्वास्थ्य समिति (एनएचएम) के तहत 1996 से कुष्ठ रोग कार्यक्रम से शुरुआत हुई और सन् 1998 से क्षय रोग कार्यक्रम के तहत कर्मचारियों की नियुक्तियां हुई और अब तक प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों के तहत विभिन्न पदाें पर कर्मचारी नियुक्त हैं जिनको अपनी सेवाएं देते हुए लगभग 23 वर्ष हो गए हैं.
इनमें से कई कर्मचारी सेवानिवृत भी हो चुके हैं व सेवाकाल के दौरान 4 कर्मचारियों की मृत्यु भी हो चुकी है, जो कर्मचारी सेवानिवृत हुए इन कर्मचारियों को कोई ग्रेच्युटी का लाभ भी नहीं दिया गया. सरकार 23 वर्षों से कोई भी स्थाई नीति नहीं बना पाई है. ऐसे में अब कर्मचारियाें के पास काेई रास्ता नहीं बचा है. उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती तब तक वे अपनी हड़ताल को जारी रखेंगे.
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